Karun Nair को Drop करने पर Sanjay Manjrekar ने Gautam Gambhir के लिए दिया तीखा बयान
पूर्व क्रिकेटर Sanjay Manjrekar ने कहा कि अगर किसी खिलाड़ी को टीम से बाहर किया गया है, तो वह ‘Drop’ ही हुआ है, भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए चौथे टेस्ट के बाद एक दिलचस्प बहस सामने आई है। टीम इंडिया के हेड कोच Gautam Gambhir ने एक बयान में कहा कि Karun Nair को टीम से बाहर नहीं किया गया, बल्कि टीम संयोजन को देखते हुए Sai Sudarshan को मौका दिया गया। Gautam gambhir के मुताबिक, इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के खिलाफ नंबर 3 पर एक बाएं हाथ के बल्लेबाज को उतारना ज़्यादा फायदेमंद हो सकता था। इसी कारण साई सुदर्शन को चुना गया।सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने Anshul Kamboj के चयन पर भी बात की। Gautam gambhir ने बताया कि मैच के दिन मौसम बादली था और ऐसे में उन्हें लगा कि Anshul Kamboj उन हालात में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।लेकिन गंभीर की इस रणनीति पर पूर्व क्रिकेटर Sanjay Manjrekar ने आपत्ति जताई। Sanjay Manjrekar ने साफ-साफ कहा कि अगर किसी खिलाड़ी को टीम से बाहर किया गया है, तो वह ‘Drop’ ही हुआ है। उन्होंने Gautam Gambhir के तर्क को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि यह बात कहने भर से सच्चाई नहीं बदल जाती।
Sanjay Manjrekar करुण नायर की जगह साई सुदर्शन का चयन
Sanjay Manjrekar ने आगे यह भी जोड़ा कि Gautam Gambhir की रणनीति टेस्ट क्रिकेट में अक्सर कमजोर रही है। उन्होंने कहा कि टीम ने चौथे टेस्ट में ज़रूर अच्छा खेल दिखाया, लेकिन सीरीज में भारत अभी भी 1-2 से पीछे है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि भारत न्यूज़ीलैंड से घर में 3-0 से हार गया था और ऑस्ट्रेलिया में भी बुरी तरह हार मिली थी।
उनके मुताबिक, मौजूदा टीम का जज़्बा खिलाड़ियों की मेहनत और जुझारूपन की वजह से दिख रहा है, कोचिंग की रणनीति की वजह से नहीं। Sanjay Manjrekar का मानना है कि कई बार टीम चयन में गंभीर की सोच उलझन भरी रही है।
Sanjay Manjrekar: टीम रणनीति पर Gautam Gambhir और मांजरेकर की अलग राय
Sanjay Manjrekar ने क्रिकेट में “बाहरी शोर” यानी टीम के बाहर की आलोचना पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि आलोचना करने वाले लोग भी इसी खेल का हिस्सा हैं और देश के लिए ही बोलते हैं। उन्होंने गंभीर से आग्रह किया कि वह थोड़े सहज रहें, आलोचना को खुले दिल से स्वीकारें और कठिन सवालों का सामना करने से न डरें।
इस बहस से साफ है कि टीम के अंदर और बाहर के लोगों के बीच चयन और रणनीति को लेकर मतभेद जारी हैं। असली सवाल यह है कि क्या टीम इंडिया इस मतभेद से ऊपर उठकर आखिरी टेस्ट जीत पाएगी?
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