SIR प्रक्रिया और BLO की मौतों पर में चर्चा की मांग, संजय सिंह ने राज्यसभा में दिया नोटिस
Sanjay Singh News: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने देशभर में चल रहे विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर गंभीर अनियमितताओं और बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) की मौतों पर तत्काल चर्चा की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने राज्यसभा में सोमवार को नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया ने चुनावी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं और लाखों लोगों के मताधिकार पर खतरा मंडरा रहा है।
Sanjay Singh News: BLO पर असहनीय दबाव और मौतें
संजय सिंह ने बताया कि SIR के दौरान केवल 19 दिनों में 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है, जिनमें कुछ आत्महत्याएँ भी शामिल हैं। इसके पीछे उन्होंने कई कारण बताए, अत्यधिक काम का बोझ, लगातार मानसिक तनाव, निलंबन या सजा का डर, फील्ड में असुरक्षित परिस्थितियां, काम मापने की कठोर प्रणाली और दंडात्मक कार्रवाई और सरकारी ऐप के बार-बार खराब होने की समस्या। उनके अनुसार बीएलओ जिस माहौल में काम कर रहे हैं, वह बेहद खतरनाक और अमानवीय है।
AAP MP Sanjay Singh: लाखों मतदाताओं के नाम काटे जाने पर सवाल
संजय सिंह ने कहा कि SIR प्रक्रिया ने मतदाता सूची को सुधारने के बजाय उसे अधिक जटिल बना दिया है। बिहार में हुए पुनरीक्षण में 65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए, वह भी बिना उचित जांच या ठोस कारणों के। उन्होंने आशंका जताई कि प्रवासी मजदूरों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के नाम जानबूझकर हटाए जा रहे हैं, जिससे उनकी मतदान करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है।
Sanjay Singh on SIR: 'मतदाताओं से नए दस्तावेज मांगने पर आलोचना'
SIR के तहत पुराने, पहले से मौजूद मतदाताओं से भी नए दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। संजय सिंह के अनुसार आम नागरिकों के लिए इन दस्तावेजों को जुटाना बेहद कठिन है। उन्होंने याद दिलाया कि 2003 के नियम यह मानते थे कि जिनके पास वोटर आईडी है, वे वैध मतदाता हैं। लेकिन 2025 में यह सिद्धांत उलट दिया गया है और हर मतदाता को खुद को फिर से साबित करना पड़ रहा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का भी उल्लेख किया, जिसमें न्यायाधीश ने कहा था कि “दस्तावेज़ों की कमी वाले देश में हर व्यक्ति से नए काग़ज़ मांगना कैसे संभव है?”
'अत्यधिक जल्दबाजी में पूरी हो रही SIR प्रक्रिया'
संजय सिंह ने बताया कि वर्तमान SIR को 97 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 2003 में इसी तरह का पुनरीक्षण 6 से 8 महीनों में होता था। इतनी कम समय सीमा में, घर-घर सत्यापन, फॉर्म जांच, डिजिटाइजेशन और अंतिम सूची जारी करना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है और इससे भारी गड़बड़ियों की आशंका बढ़ जाती है।
12 राज्यों में विस्तार पर चिंता
बिहार में मौजूद समस्याओं को ठीक किए बिना, चुनाव आयोग ने SIR का दूसरा चरण 12 राज्यों, 321 जिलों और लगभग 51 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ा दिया है। संजय सिंह के अनुसार यह जल्दबाजी देशभर में बड़े पैमाने पर मतदाता सूची में गड़बड़ियों और मताधिकार छिनने का खतरा पैदा करती है।
संविधान के अनुच्छेदों पर संकट
उन्होंने कहा कि SIR की यह प्रक्रिया अनुच्छेद 326 (मतदान का अधिकार), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन करती है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती है।
संसदीय हस्तक्षेप की मांग
अंत में संजय सिंह ने राज्यसभा से अपील की कि SIR प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगे, गलत तरीके से हटाए गए मतदाताओं के नाम बहाल किए जाएं , चुनाव आयोग की जवाबदेही तय की जाए। उन्होंने आग्रह किया कि नियम 267 के तहत सदन की सभी नियमित कार्यवाही रोककर इस महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दे पर तुरंत चर्चा की जाए।
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