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सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में...

आज चीन का रवैया देख हर भारतीय सैनिक यहां तक हर भारतीय नागरिक चाहे वो गांव में रह रहा है या शहर में, एक ही जज्बा है कि सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है

12:19 AM Jun 28, 2020 IST | Kiran Chopra

आज चीन का रवैया देख हर भारतीय सैनिक यहां तक हर भारतीय नागरिक चाहे वो गांव में रह रहा है या शहर में, एक ही जज्बा है कि सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में
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आज चीन का रवैया देख हर भारतीय सैनिक यहां तक हर भारतीय नागरिक चाहे वो गांव में रह रहा है या शहर में, एक ही जज्बा है कि सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है क्योंकि चीन अपने आपको बहुत शक्तिशाली समझता है, परन्तु वह यह नहीं जानता कि दो महत्वपूर्ण बातों के कारण वह बहुत ही कमजोर है। एक विश्वासघात करने की उसकी नीति और दूसरी उसकी आर्थिक व्यवस्था जो दूसरे देशों पर निर्भर करती है, खासकर के भारत पर। आज भारत में छोटी से छोटी वस्तु से लेकर बड़ी से बड़ी चीन से है। चाहे उसकी उम्र कम क्यों न हो। सोशल मीडिया में इसके बारे में रोष है, जोश है और मजाक वाले चुटकुले भी चल रहे हैं। अगर कोई चीज टूट गई तो कहते हैं जरूर चीनी होगी, जिसकी उम्र कम है। अगर कोई चीज मिल नहीं रही तो भी यही चल रहा है जरूर चीनी होगी क्योंकि चीनियों को विश्वासघात की आदत है। अगर किसी की बीवी चली गई तो भी यह मजाक चलता है चीनी तो नहीं थी (यानी चीन की रहने वाली), क्योंकि भारतीय महिलाएं तो चाहे कुछ भी हो जाए अपने पति को छोड़ती नहीं आदि…।
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सच है एक समय नारा देने वाली चीनी-हिन्दू भाई-भाई ने उसी समय भारत पर पीठ में छुरा घोंप दिया था। अब भी चीन के राष्ट्रपति ने भारत आकर मित्रता का परिचय दिया, परन्तु साथ ही वही पुरानी विश्वासघात की अपनी परम्परा भी जारी रखी परन्तु वह भूल गया कि भारत अब 1962 वाला देश नहीं है। अब भारत एक मजबूत देश है, जो अपने दुश्मनों को जवाब देना, सबक सिखाना जानता है। अब भारत उसकी बातों पर भरोसा नहीं करेगा। करे भी क्यों वह हमारे दुश्मन पाकिस्तान को पालता है। नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और बंगलादेश को पैसा देकर भारत के खिलाफ उकसाता है। यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में हमारी परमानेंट मैम्बरशिप रोकता है, यह दोस्त हो ही नहीं सकता।
आज हमारे देश के बच्चे-बच्चे में इतना जोश है कि चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने के ​लिए लोग चीनी सामान का बाॅयकाट कर रहे हैं। हमारे देश का चाहे व्यापारी हो या सामाजिक कार्यकर्ता या स्कूल जाने वाले बच्चे, सभी ने शुरूआत कर दी है। यही नहीं जैसे कि सबको मालूम है मैं वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब चलाती हूं, जिसकी 23 शाखाएं सारे देश में फैली हुई हैं। लाखों लोग उससे जुड़े हैं। इस समय बुजुर्ग अपने आपको अकेला न समझें इसलिए उनके लिए वेबिनार करती हैं। कभी डाक्टरों, कभी ​सिंगरों के साथ। इस बार जब हड्डियों के डाक्टर का वेबिनार था तो सभी वरिष्ठ नागरिकों ने कहा कि मैम जी जूम चाइनीज ऐप है,  सो आगे से आप इस पर न करें। यही नहीं हमारी कॉर्डिनेटर राधिका का बेटा दीपक, जो लंदन में सर्विस कर रहा है, ने भी वहां से कहा कि अगली बार आप जूम पर नहीं गूगल हैंगआउट ऐप पर करें। कहने का भाव जो भारत में या बाहर रह रहा है भारतीय है उसे चीन पर इतना गुस्सा है कि वह उसका सम्मान तो क्या ऐप भी लाइक करने के लिए तैयार नहीं। वैसे भी जितनी चीनी ​चीजों का बहिष्कार करेंगे उतना हम सामान भारत में बनाएंगे तो हमारी बेरोजगारी की समस्या भी दूर होगी।
यही नहीं हमने वरिष्ठ नागरिकों के लिए घर बैठे ही एक प्रतियोगिता शुरू की है ताकि वे व्यस्त रहें और उनके लिए इंटेलिजेंट जजेस का पैनल बनाया है। उसमें भी वह अपनी देशभक्ति की वीडियो बनाकर भेज रहे हैं, वे 70 साल के हैं या 90 साल के, उनमें देशभक्ति का जुनून है।
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गलवान घाटी में हुए संघर्ष और हमारे सैनिकों के ​बलिदान के बाद एक बार फिर सभी भारतीयों ने सिर पर कफन बांध लिया है। अभी सारा विश्व कोरोना से आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। तभी आज हर एक भारतीय में शहीदों के लिए सम्मान और उनके परिवारों के प्रति संवेदना और देश पर मर मिटने का जज्बा है और दूसरी तरफ चीन पर इतना गुस्सा है कि चीन के सामान का बहिष्कार कर उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करके यह भी बताना चाहते हैं कि न तो उन्हें एक इंच जमीन देंगे न सैनिकों का रक्त का एक कतरा भी जाया  जाने देंगे।
चीन में तो बौद्ध धर्म का प्रचार है। वहां के लोग मानते हैं तो उन्हें अपने राजनीतिज्ञों को प्रेम और ​अहिंसा का पाठ पढ़ाना चाहिए। अगर हम अपने भारत की बात करें तो पंजाब केसरी दिल्ली के एक सर्वे के हिसाब से हर भारतीय लड़ने-मरने को तैयार है और अपने प्रधानमंत्री पर उन्हें पूरा विश्वास है कि वे इस समस्या को अच्छी तरह से हैंडल करेंगे क्योंकि भारत एक शांतिप्रिय देश है। वह कभी युद्ध नहीं चाहता, परन्तु अगर आन पड़ी तो पीछे भी नहीं हटेगा, डट कर मुकाबला करेगा। इस समय सभी राजनीतिक पार्टियों को अपनी पार्टी राजनीति से ऊपर उठकर एक सच्चे देशभक्त की तरह एक आवाज में, एक जुनून में काम करना होगा। सबको मिलकर जय हिन्द और जय हिन्द की सेना का नारा बुलंद करना होगा। सेना का मनोबल बढ़ाते हुए यही कहना होगा हम एक हैं, आवाज दो हम एक हैं। एक है अपनी जमीन, एक है अपना जहां, एक है अपना वतन, आवाज दो हम एक हैं।
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Kiran Chopra

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