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SC: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनावी चंदे की जानकारी देने के मामले को लेकर SBI की याचिका को खारिज कर दिया है। SBI ने 30 जून तक की मोहलत देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (ईसी) को 15 मार्च से पहले अपनी वेबसाइट पर एसबीआई की ओर से दी गई जानकारी का विवरण सार्वजनिक करने का भी निर्देश दिया।
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इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI को बड़ा झटका दिया और उसे राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चुनावी चंदे की जानकारी देने के मामले में कोई राहत नहीं दी है। सुप्रीम कोर्ट ने SBI को आदेश देते हुए कहा, कि वह 12 मार्च तक चुनाव आयोग को जानकारी दे और 15 मार्च तक पोर्टल पर जानकारी को सार्वजनिक करे. साथ ही साथ एसबीआई की समय बढ़ाने की अर्जी खारिज कर दी।
SBI का पक्ष रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने तर्क रखते हुए कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड लेने वालों के नाम और नंबर देने के लिए समय चाहिए। हमें पूरा प्रोसेस रिवर्स करना होगा। यह जानकारी सीक्रेट थी और अब चुनाव आयोग (ईसीआई) को देनी है. इस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI) ने कहा कि पूरी जानकारी मुंबई की सेंट्रल मेन ब्रांच भेज दी जाती है, ऐसे में फिर से चुनाव आयोग को देने में परेशानी क्या है?
साल्वे ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उनकी समस्या ये है कि सभी नाम अलग फिजिकली रखे गए हैं, जबकि बॉन्ड नंबर और किस राजनीतिक दल को बॉन्ड दिया गया, ये अलग है। साल्वे ने कहा कि ये बैंक की समस्या है। बॉन्ड किसने खरीदे हैं ये जानकारी दी जा सकती है, लेकिन नाम के साथ बॉन्ड नंबर देने के लिए समय चाहिए होगा। इस प्रोसेस के लिए कम से कम तीन महीने चाहिए होंगे, ऐसे में कोई गलती नहीं कर सकते हैं, नहीं तो लोग उनके खिलाफ केस दर्ज करवा देंगे।
SBI से कोर्ट ने पूछा कि पिछले 26 दिन में आपने क्या किया है? SBI का कहना है कि बॉन्ड नंबर, नाम और कितने का बॉन्ड हैं, ये दो-तीन हफ्ते में ईसीआई को मुहैया करवा दिए जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपने हुए निर्देश दिए कि तत्काल प्रभाव से आदेश का पालन होना चाहिए। SBI चुनाव आयोग के सामने जानकारी रखे। यह एक बहुत गंभीर मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने SBI का पक्ष सुना है, जिसमें बताया गया कि जानकारी सिक्रेसी के चलते दो जगह रहती है, ऐसे में जानकारी देने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा। इसकी वजह डोनर और बॉन्ड की मैचिंग की परेशानी वजह बताई गई। साथ ही कानूनी प्रावधानों का जिक्र किया गया।
SBI ने पहले आवेदन कर 30 जून तक समय मांगा था, दूसरी ओर एडीआर, कांग्रेस व अन्य ने अवमानना दाखिल की थी. संविधान पीठ ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध घोषित किया था। SBI बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी तक की मुहैया कराने को कहा गया था। SBI को यह जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को मुहैया करानी थी. इसमें बॉन्ड किसने लिया, बॉन्ड नंबर, किस पार्टी को दिया ये जानकारी देना शामिल था और इसके बाद चुनाव आयोग को 30 मार्च तक जानकारी पोर्टल पर सार्वजनिक करनी है।