इजराइली हमले से डरे Syria के राष्ट्रपति, परिवार समेत दमिश्क छोड़कर भागे!
Syria से एक बड़ी खबर सामने आ रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति अहमद अल शरा और रक्षा मंत्री अपने परिवार के साथ राजधानी दमिश्क छोड़कर भाग गए हैं. यह दावा अल मायादीन अखबार ने सरकारी सूत्रों के हवाले से किया है. कहा जा रहा है कि अल शरा अपने परिवार सहित इदलीब की ओर निकल गए हैं, जो तुर्की सीमा के पास स्थित है. हालांकि, रक्षा मंत्री के ठिकाने के बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 16 जुलाई को जब इजराइल ने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय और सीरियाई सेना के मुख्यालय पर हमला किया था, तब तुर्की ने राष्ट्रपति अल शरा को सुरक्षा कारणों से राष्ट्रपति भवन छोड़ने की सलाह दी थी. बताया गया है कि इजराइल, अल शरा को निशाना बना सकता है. यही नहीं, इजराइल के आंतरिक सुरक्षा मंत्री ने भी उन्हें हमास कमांडर की तरह खत्म करने की बात कही थी.
इजराइल की टारगेट किलिंग की रणनीति
इजराइल की सेना टारगेट किलिंग (चुनिंदा हत्या) में बहुत माहिर मानी जाती है. पिछले एक साल में उन्होंने हिजबुल्लाह, हमास के कई शीर्ष नेताओं और ईरान के कई वैज्ञानिकों को मार गिराया है. मोसाद का नेटवर्क पूरे मिडिल ईस्ट में फैला हुआ है, जिससे इजराइल की कार्रवाई का डर कई देशों को सताता है.
तुर्की ने दिया Syria को समर्थन
तुर्की ने खुलकर सीरिया का साथ दिया है. तुर्की सरकार ने सीरिया की अखंडता को बनाए रखने के लिए हरसंभव मदद देने की बात कही है. तुर्की ने इजराइल की तुलना "बिना लगाम वाले घोड़े" से की है और सीरिया को हथियार देने की भी पेशकश की है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन और अल शरा के अच्छे संबंध बताए जाते हैं. (Syria)
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Syria में क्या बढ़ा तनाव?
1. एक सब्जी विक्रेता से शुरू हुआ मामला
ब्रिटेन की मीडिया के अनुसार, सीरिया में विवाद की शुरुआत एक सब्जी बेचने वाले व्यक्ति द्वारा पुलिस में की गई शिकायत से हुई. उसने बताया कि कुछ मिलिशिया के लोगों ने उसकी पिटाई की और 45 हजार रुपए लूट लिए. यह मामूली घटना ड्रूज और बडौइन समुदाय के बीच बड़े संघर्ष का कारण बन गई.
2. ड्रूज बनाम बडौइन की लड़ाई
ड्रूज एक अल्पसंख्यक समुदाय है, जो सुवेदा और आसपास के इलाकों में रहता है. वहीं, बडौइन समुदाय सरकार के करीब है. दोनों के बीच चल रहे तनाव को नियंत्रित करने के लिए सेना तैनात की गई. (Syria)
3. इजराइल ने उठाया मौका
जैसे ही सीरियाई सेना ने स्थिति संभालनी शुरू की, इजराइल ने सुवेदा और बाद में दमिश्क में हमले कर दिए. अमेरिका की मध्यस्थता से इजराइल ने हमले रोक दिए, लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे.