भारत-जापान संवाद सम्मेलन : PM मोदी बोले-वैश्विक विकास पर चर्चा सिर्फ कुछ देशों के बीच नहीं हो सकती
प्रधानमंत्री मोदी ने पारंपरिक बौद्ध साहित्य, ग्रंथों का पुस्तकालय बनाए जाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि भारत में बौद्ध साहित्य, ग्रंथों का पुस्तकालय बनाकर खुशी होगी, इसके लिए समुचित संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।
10:57 AM Dec 21, 2020 IST | Desk Team
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भारत-जापान संवाद सम्मेलन को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने पारंपरिक बौद्ध साहित्य, ग्रंथों का पुस्तकालय बनाए जाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि भारत में बौद्ध साहित्य, ग्रंथों का पुस्तकालय बनाकर खुशी होगी, इसके लिए समुचित संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।
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प्रधानमंत्री मोदी ने संवाद सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “मैं भारत-जापान सम्वाद के लिए निरंतर समर्थन के लिए जापान सरकार को धन्यवाद देना चाहूंगा।” इस मंच ने भगवान बुद्ध के विचारों और आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए बहुत काम किया है, खासकर युवाओं में। ऐतिहासिक रूप से, बुद्ध के संदेश की रोशनी भारत से दुनिया के कई हिस्सों में फैली।
उन्होंने कहा, बौद्ध साहित्य और दर्शन का महान खजाना कई देशों और भाषाओं में विभिन्न मठों में पाया जा सकता है। लेखन का यह निकाय मानव जाति का खजाना है। मैं ऐसे सभी बौद्ध साहित्य और शास्त्रों के पुस्तकालय के निर्माण का प्रस्ताव करना चाहता हूं। भारत में बौद्ध साहित्य, ग्रंथों का पुस्तकालय बनाकर खुशी होगी, इसके लिए समुचित संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।
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प्रधानमंत्री ने कहा, यह पुस्तकालय अनुसंधान और संवाद के लिए एक मंच भी होगा, मनुष्य के बीच एक सच्चा सामवेद, समाजों के बीच और मनुष्य और प्रकृति के बीच। इसके अनुसंधान जनादेश में यह जांचना भी शामिल होगा कि बौद्ध संदेश समकालीन चुनौतियों के खिलाफ हमारे आधुनिक दुनिया को कैसे निर्देशित कर सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि संवाद ऐसा होना चाहिए जो हमारे ग्रह पर सकारात्मकता, एकता और करुणा की भावना फैलाए। वह भी ऐसे समय में जब हमें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। यह संवाद मानव इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण में हो रहा है। हमारे कार्य आज आने वाले समय में प्रवचन को आकार देंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अतीत में, साम्राज्यवाद से लेकर विश्व युद्धों तक, हथियारों की दौड़ से लेकर अंतरिक्ष की दौड़ तक मानवता ने अक्सर टकराव का रास्ता अपनाया। वार्ताएं हुई लेकिन उसका उद्देश्य दूसरों को पीछे खींचने का रहा। लेकिन अब साथ मिलकर आगे बढ़ने का समय है। मानवता को नीतियों के केंद्र में रखने की जरूरत पर बल देते हुए मोदी ने प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व को अस्तित्व का मुख्य आधार बनाए जाने की वकालत की।
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक विकास पर चर्चा सिर्फ कुछ देशों के बीच नहीं हो सकती। इसका दायरा बड़ा होना चाहिए। इसका एजेंडा व्यापक होना चाहिए। विकास का स्वरूप मानव-केंद्रित होना चाहिए। और आसपास के देशों की तारतम्यता के साथ होना चाहिए।
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