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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के लिए सीटें होनी चाहिए आरक्षित : सुशील मोदी

राज्यसभा के भाजपा के एक सदस्य ने शुक्रवार को परिसीमन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के वास्ते दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन की मांग उठाई।

03:06 PM Dec 09, 2022 IST | Desk Team

राज्यसभा के भाजपा के एक सदस्य ने शुक्रवार को परिसीमन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के वास्ते दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन की मांग उठाई।

राज्यसभा के भाजपा के एक सदस्य ने शुक्रवार को परिसीमन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों के वास्ते दो सीटें और पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के विस्थापितों के लिए एक सीट आरक्षित करने के लिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन की मांग उठाई।
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भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने शून्यकाल के तहत उच्च सदन में यह मामला उठाया। उन्होंने कहा कि 1989 में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के कारण कश्मीर से लाखों कश्मीरी हिंदुओं को, खासकर कश्मीरी पंडितों को पलायन करना पड़ा। उन्होंने कहा कि नरसंहार और बलात्कार के दौर से गुजरने के बाद वह तीन दशक से ज्यादा समय से देश के अलग-अलग हिस्सों में बसे हुए हैं।
मोदी ने कहा कि परिसीमन आयोग ने ऐसे कश्मीरी पंडितों के लिए राज्य विधानसभा में कम से कम दो सीटों का प्रावधान किए जाने की सिफारिश की है। साथ ही आयोग ने कहा कि उन्हें वैसे ही अधिकार दिए जाएं जो पुडुचेरी विधानसभा में मनोनीत होने वाले सदस्यों को दिया गया है।
2019 में संशोधन कर आरक्षण के प्रावधानों को लागू करें
भाजपा सदस्य ने कहा कि परिसीमन आयोग ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के विस्थापितों के लिए भी एक सीट आरक्षित करने का प्रावधान किए जाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपके माध्यम से भारत सरकार से आग्रह करूंगा की परिसीमन आयोग ने कश्मीरी पंडितों और विस्थापितों को विधानसभा में मनोनीत करने की जो सिफारिश की है, वह उसे लागू करने का प्रयास करें।’’
उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन कर आरक्षण के प्रावधानों को लागू करें ताकि जब भी वहां विधानसभा का गठन हो, कश्मीरी पंडितों और विस्थापितों को इसका लाभ मिल सके।
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