देखो ट्रम्प नागरिकों की धड़कन न बंद हो...
छोटे होते से सुनते आ रहे हैं कि लोग अमेरिका, कनाडा या बाहर विदेश में सैट…
छोटे होते से सुनते आ रहे हैं कि लोग अमेरिका, कनाडा या बाहर विदेश में सैट हो जाते हैं, इसलिए बहुत से माता-पिता को अपनी जीवनभर की जमा पूंजी खर्च कर बच्चों को बाहर भेजते भी देखा। कई लोग तो बाहर जाने के लिए नकली ट्रैवल एजैंट के हाथ भी चढ़ जाते हैं। कई लोग वापिस नहीं आ पाते। कई लोग वहां सैटल होने के लिए शादियां करते हैं। कई वहां जाकर बच्चे भी पैदा करते हैं, सो कहने का भाव है कि वहां की सिटीजनशिप बहुत मुश्किल है। जैसे-तैसे लोग सैट होते हैं परन्तु यह क्या जैसे ही ट्रम्प ने शपथ ली उसके बाद उसकी घोषणाओं ने वहां बसे, चाहे भातीय हो या किसी और देश से उनके दिल की धड़कनों को तेज कर दिया है या यूं कह लों सांसें धीमी चलनी शुरू गई। यह तो यही बात हो गई कि तुम सालों से अपने घर रह रहे हो और कोई अचानक आकर कह दे यह घर तुम्हारा नहीं…।
इसमें कोई शक नहीं कि विदेश जाने का क्रेज पहले भी था और आज भी है। विदेश जाने के लिए क्रेज इसलिए है क्योंकि वहां मेहनत के बदले भारतीयों में पैसा कमाने की बहुत चाहत है। सन् 70 के दशक से शुरू हुआ विदेश जाने का क्रेज जो कभी ब्रिटेन तक सीमित था आज अमरीका, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड तक फैल गया है। हालांकि श्रमिक पिछले चार दशकों में खाड़ी देशों में भी जाते रहे हैं और आज भी व्यापार के मामलों में व्यापारी चीन से जुड़े हैं। मैं सीधे उन भारतीयों की बात करना चाहती हूं जो अमरीका में बसे हैं और इन्हें लेकर अमरीका में ट्रम्प प्रशासन एक नई नीति बनाने जा रहा है जिससे लगभग दो लाख भारतीय प्रभावित हो सकते हैं। वैसे ट्रम्प ने पिछले हफ्ते ही दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली है लेकिन वीजा को लेकर उन्होंने कई नीतियां घोषित की हैं और वहां रहने वाले विदेशियों को लेकर ऐसी नीति बनाई है कि जिनसे भारतीय भी प्रभावित हो सकते हैं। अमरीकी नीति के अनुसार वे विदेशी जो अमरीका मेंं जन्मजात है अर्थात जिन विदेशियों ने पिछले दस-पन्द्रह साल में बच्चों को जन्म दिया उन सबकी जन्मजात नागरिकता खत्म कर दी जायेगी। इनमें भारतीय भी हैं और अन्य देशों के लोग भी हैं। मैंने भारतीयों के बारे में सारे मामले में ना सिर्फ बारीकी से अध्ययन किया बल्कि जानकारियां भी एकत्र की। जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक अमरीका में इस समय 54 लाख भारतीय रहते हैं। इनमें पंजाबी, गुजराती, दक्षिण भारतीय भी हैं जिनमें से ज्यादातर को अमरीकी नागरिकता मिल चुकी है। इनमें से नौकरी पेशे वाले भी हैं और नौकरी पेशा करते-करते पर्याप्त मात्रा में रुपया कमाकर वहां के कारोबारी बन चुके हैं लेकिन फिर भी आज की तारिख में प्राप्त जानकारी के अनुसार कम से कम 18000 भारतीय अवैध बताए जा रहे हैं। इसके अलावा 1 लाख 80 हजार लोग ऐसे हैं जिनके बारे में यह रिकॉर्ड नहीं है कि उनकी नागरिकता का स्टेटस क्या है लेकिन राजनीतिक घटनाक्रम जिस तरह से चल रहा है वह भारतीयों के लिए चिंता का विषय जरूर है।
ट्रम्प ने राष्ट्रपति का पद संभालते ही वीजा को लेकर जो घोषणाएं की वे ज्यादा ही आक्रामक हैं। आज की तारिख में एक देश से दूसरे देश आना-जाना सरल हो गया है। रिश्तों की मजबूती के चलते शिक्षा और व्यापार क्षेत्र में अर्थव्यवस्थाएं मिलकर चल रही हैं। कारोबार के लिहाज से रिश्ते बन रहे हैं। अगर अमरीका, कनाडा, आस्ट्रेलिया, फ्रांस, न्यूजीलैंड और रूस की बात की जाये तो हमारे स्टूूडेंट्स वहां हायर स्टडी कर रहे हैं। परीक्षा पास करने के बाद उन्हें विदेशी कंपनियां ही अपने यहां सेटल कर रही हैं। इतना ही नहीं योग्य भारतीयों को नामी-गिरामी कंपनियां तमाम सुविधाओं के बीच नागरिकता भी दिला रही हैं। ऐसे में दो दिन पहले जब ट्रम्प साहब ने यह घोषणा की कि अमरीका में जन्मजात नागरिकता खत्म करना आवश्यक हो गया है तो उस पर एक फेडरल कोर्ट ने रोक लगा दी है और यह भारतीयों समेत अन्य देश के लोगों के लिए भी राहत भरी खबर है लेकिन अवैध विदेशियों को अमरीका से उनके देश भेजना यह वहां के लोगों के लिए बहुत कठिनाई भरा काम है। हालांकि भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा है कि अगर अमरीका अवैध भारतीयों के बारे में हमारे से सूचना प्रदान करता है तो हम अपने देश के लोगों को वापस बुलाएंगे परंतु मेरा मानना है कि यह कार्य न सिर्फ कठिन बल्कि बहुत ही जटिलताओं से भरा है।
अमरीका जैसे देश में कोई अवैध रूप से कैसे रह सकता है? वहां के नियम कड़े हैं और भारतीयों ने तो ब्रिटेन में भी अपनी पहचान बनाई है। यहां तक कि अमरीका, इंग्लैंड में प्रतिष्ठित पदों पर भारतीय हैं। हालांकि सोशल मीडिया पर ट्रम्प के लंबे- चौड़े आदेशों की निंदा भी हो रही है लेकिन मेरा व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि लोग जब नया घर बनाते हैं या शिफ्टिंग करते हैं तो यह कठिन काम है। यहां तो एक देश से दूसरे देश जाकर बसने की बात है। भारतीयों ने अमरीका या इंग्लैंड की नामी-गिरामी कंपनियों को अपने टैलेंट के दम पर ऊंचे मुकाम पर पहुंचाया है। जो भी हो हमारे भारतीय प्रभावित नहीं होने चाहिए। इस सारे मामले को मानवता के नजरिये से देखा जाना चाहिए, राजनीति या किसी महत्वाकांक्षा के लिए इसे नहीं देखा जाना चाहिए। दो देशों के बीच रिश्ते प्यार के साथ मजबूत होने चाहिए। उम्मीद है ट्रम्प प्रशासन इस संवेदनशीलता का भी ध्यान रखेंगे और अमरीका में भारत के योगदान को याद रखेंगे। देखो नागरिकों के दिल की धड़कनें न बंद हों।