Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

वरिष्ठजन सकारात्मक ​दृष्टिकोण रखें

03:31 AM Oct 16, 2024 IST | Shera Rajput

लंबे और खुशहाल जीवन का राज है आपका सकारात्मक होना। हर परिस्थिति में हम अपने विचारों को ऐसी दिशा दें और कोशिश करें कि सबकुछ अच्छा ही होगा। भगवान पर भरोसा करें कि उन्होंने हमारे लिए यही रास्ता निश्चित किया है। एक महान संत के प्रवचन की यह बात मेरे दिल में बैठ गई - उन्होंने कहा कि किसी भी घटना के दो ही कारण हो सकते हैं, प्रभु कृपा या प्रभु इच्छा। अगर वो कार्य आपकी सोच के अनुसार हुआ हो तो हरि कृपा अन्यथा हरि इच्छा। इस दृष्टिकोण से आप अपनी किसी भी परिस्थिति को देखें तो आपका जीवन बहुत ही सुखमय रहेगा। अनेक शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि सकारात्मक विचार रखने वाले व्यक्ति अच्छा स्वास्थय व लंबा जीवन पाते हैं। हमारे बीच भी कई ऐसे व्यक्ति मिल जाएंगे, वो खुद भी खुश रहते हैं और दूसरों को भी खुश रखते हैं। ऐसे व्यक्ति दूसरों की गलतियों को नजरंदाज करेंगे और उनकी हर अच्छाई की तारीफ व उन्हें प्रोत्साहित करेंगे।
कहानी यूं है कि एक लेखक अपनी बैठक में कुछ लिखने लगे। वह लिखते हैं कि पिछले वर्ष उनकी सर्जरी हुई और डाक्टर को उनका गॉलब्लैडर निकालना पड़ा जिसके कारण वह काफी दिनों तक बिस्तर पर रहे। इसी वर्ष वह 60 वर्ष के हुए और उन्हें रिटायर होना पड़ा, उस कंपनी से जिसे वह बहुत प्यार करते थे और जहां वह 35 वर्ष तक उन्होंने सेवाएं दी थी। आगे वह लिखते हैं कि इसी वर्ष उनकी वृद्ध माताजी का स्वर्गवास हुआ। उनका बेटा एक कार एक्सीडेंट में जख्मी हुआ और वह अपनी मेडिकल की फाइनल परीक्षा में उत्तीर्ण न हो सका। एक्सीडेंट हुई गाड़ी को बनवाने में भी बहुत पैसे खर्च हो गए और अंत में वह लिखते हैं कि मेरा पिछला वर्ष बहुत ही बुरा गया।
यह सब विचार जब मन में आए तो वो स्वाभाविक ही बहुत दुखी और डिप्रेस्ड नजर आ रहे थे। लेखक की पत्नी ने जब उनकी यह हालत देखी और उसकी नजर जब उस पत्रक पर गई जिस पर यह सब लिखा हुआ था तो उसने चुपके से उनकी पूरी लेखनी को पढ़ा। बात उसे समझ आ गई। वो बाहर गई और एक अलग पत्रक लिखकर लाई। सारी स्थिति को वह बिल्कुल सकारात्मक रूप से लिखी। लेखक की पत्नी ने लिखा कि पिछले वर्ष मेरे पति ने अपनी गॉलब्लैडर की बीमारी से छुटकारा पाया जिससे कि वर्षों से वह पेट की पीड़ा से दुखी थे। इसी वर्ष मेरे पति ने रिटायरमेंट लिया अच्छी सेहत के साथ। मै ईश्वर को धन्यवाद देना चाहती हूं कि मेरे पति को 35 वर्षों तक उस कंपनी में काम करने का मौका मिला। अब मेरे पति को लिखने के लिए ज्यादा समय मिल रहा है, जो कि उनकी हॉबी थी। इसी वर्ष मेरी 95 वर्ष की सास भगवान को प्यारी हुई, बगैर किसी तकलीफ के। इसी वर्ष एक सड़क दुर्घटना में मेरे बेटे की जान बची, हालांकि गाड़ी को काफी नुकसान हुआ। अंतिम वाक्य में उसने लिखा कि पिछले वर्ष हमें भगवान की असीम कृपा मिली जिसके लिए हम उनको धन्यवाद देते हैं। इसको पढ़ कर लेखक की आंखों में आंसू आ गए और वह खुद सोचने लगे की केवल सकारात्मक दृष्टिकोण से ही जीवन कितना बदला जा सकता है। अगर निराशावादी लोग ज्यादा आसपास रहेंगे तो हमारे में सकारात्मक भाव रहना कठिन हो जाएगा। एक गुलाब की डाली को भी दो नजरियों से देखा जा सकता है - एक तो यह कि इसमें कितने कांटे हैं और दूसरे इसमें कितने सुंदर और खुशबूदार फूल हैं।

- विजय मारु

Advertisement
Advertisement
Next Article