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असम के सत्रों ने लोगों से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ घरों के बाहर काले झंडे लगाने को कहा

असम के वैष्णव सामाजिक सांस्कृतिक केंद्र — सत्रों के प्रमुख नागरिकता (संशोधन) कानून को रद्द करने की मांग को लेकर शुक्रवार को सड़कों पर आ गए और कानून का विरोध करने के लिए लोगों से अपने घरों के बाहर काले झंडे लगाने का अनुरोध किया।

02:48 PM Dec 13, 2019 IST | Shera Rajput

असम के वैष्णव सामाजिक सांस्कृतिक केंद्र — सत्रों के प्रमुख नागरिकता (संशोधन) कानून को रद्द करने की मांग को लेकर शुक्रवार को सड़कों पर आ गए और कानून का विरोध करने के लिए लोगों से अपने घरों के बाहर काले झंडे लगाने का अनुरोध किया।

असम के सत्रों ने लोगों से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ घरों के बाहर काले झंडे लगाने को कहा
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माजुली (असम) : असम के वैष्णव सामाजिक सांस्कृतिक केंद्र — सत्रों के प्रमुख नागरिकता (संशोधन) कानून को रद्द करने की मांग को लेकर शुक्रवार को सड़कों पर आ गए और कानून का विरोध करने के लिए लोगों से अपने घरों के बाहर काले झंडे लगाने का अनुरोध किया।
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औनिअती सत्र के सत्राधिकारी पिताम्बर देव गोस्वामी की अगुवाई में किए गए प्रदर्शन में दुनिया के सबसे बड़ी नदी द्वीप माजुली के सैकड़ों निवासी शामिल हुए। माजुली मुख्यमंत्री सर्बांनंद सोनोवाल की विधानसभा सीट है।
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गोस्वामी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ हम इस कानून को स्वीकार नहीं करते हैं। अगर आप इसे हम पर जबरन थोपेंगे तो यह असमी लोगों की भावनाओं के अनुरुप नहीं होगा। विधेयक कानून बन चुका है और यह असमी समुदाय और भाषा को दूषित करेगा।’’
उन्होंने कहा कि सभी सत्र और माजुली तथा असम के लोग चाहते हैं कि जल्द से जल्द यह कानून रद्द किया जाए।
गोस्वामी ने कहा, ‘‘ मैं असम के सभी लोगों से अनुरोध करता हूं कि जब तक यह कानून रद्द नहीं हो जाता है, तब तक, वे अपने घरों के बाहर काले झंडे लगाएं जिस पर ‘नो सीएबी’ लिखा हो।’’
कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कथित गोलीबारी में तीन लोगों की मौत होने के बाद गोस्वामी ने मुख्यमंत्री से ‘ और लोगों को नहीं मारने’ की अपील की।
गोस्वामी ने बृहस्पतिवार रात को एक निजी समाचार चैनल के कार्यालय में घुस कर कथित रूप से सुरक्षा कर्मियों द्वारा स्टाफ पर किए गए हमले की कड़ी निंदा की।
कमलाबाड़ी सत्र के सत्राधिकारी जर्नांदन देब गोस्वामी ने भी संसद द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित किए जाने की निंदा की और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की।
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Shera Rajput

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