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ईनामी आतंकी समेत 3 को मारकर अनंतनाग में शहीद होने वाले हैप्पी सिंह को बठिण्डा के रामनगर में सजल आंखों के साथ दी गई अंतिम विदाई

कश्मीर में वीरवार को लश्कर और हिजबुल के तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराकर शहादत पाने वाले बठिण्डा जिले के मोड़मंडी के गांव रामनगर

07:17 PM Sep 29, 2018 IST | Desk Team

कश्मीर में वीरवार को लश्कर और हिजबुल के तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराकर शहादत पाने वाले बठिण्डा जिले के मोड़मंडी के गांव रामनगर

लुधियाना-बठिण्डा : कश्मीर में वीरवार को लश्कर और हिजबुल के तीन आतंकियों को मुठभेड़ में मार गिराकर शहादत पाने वाले बठिण्डा जिले के मोड़मंडी के गांव रामनगर निवासी 24 वर्षीय हैप्पी सिंह को बठिण्डा-मानसा रोड़ पर स्थित शमशान घाट में सजल नेत्रों से अंतिम विदाई दी गई। पंजाब के इस गबरू ने देश की रक्षा में अपने प्राणों को न्यौछावर करके इतिहास बनाया है। शहादत से पहले लश्कर कमांडर आसिफ मलिक (12 लाख के ईनामी आतंकी ) समेत उसके दो अन्य साथियों शहराज अहमद और इरफान अहमद को हैप्पी सिंह ने शहादत से पहले मार गिराया था। इसी दौरान उसकी गर्दन पर गोली लगने से शहादत हो गई।

शहीद हैप्पी सिंह की तिरंगे में लिपटी मृतक देह जब गांव की दहलीज पर पहुंची तो उसे देखने के लिए आसपास के दर्जनों गांवों के लोग, विभिन्न सियासी पार्टियों के नेता और समाज सुधारकों के साथ-साथ हैप्पी सिंह के नजदीकी रिश्तेदार पहुंचे हुए थे। इसी बीच गांव के नौजवानों ने भारत मां की जयघोष और हैप्पी सिंह के समर्थन में नारे लगाएं। हैप्पी सिंह के पारिवारिक सदस्य गहरे सदमे में थे परंतु उन्हें अपने जिगर के टुकड़े की शहादत पर गर्व था। शहीद हैप्पी सिंह 2013 में देशसेवा की खातिर सेना में भर्ती हुआ था।

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शहीद हैप्पी सिंह के बुजुर्ग पिता देवराज सिंह ने नम आंखों को पोछते हुए कहा कि उन्हें अपने बेटे के चले जाने का दर्द सहा नहीं जा रहा लेकिन जिगर के लाल की शहादत पर उन्हें गर्व है। हैप्पी सिंह ने दो अन्य भाई बलजीत सिंह और गुरदिता सिंह भी है। बलजीत सिंह सेना में देशसेवा की जिम्मेदारी संभाले हुए है। जबकि गुरदिता पिता देवराज सिंह के साथ गांव में ही खेतीबाड़ी की जिम्मेदारी संभाले हुए है। हैप्पी सिंह की माता का 4 साल पहले देहांत हो चुका है और हैप्पी 11 सितंबर को छुटटी से वापिस डयूटी पर गया था।

देवराज सिंह ने बेटे के लिए देखे भविष्य के सपनों का जिक्र करते हुए कहा कि वह बोल कर गया था कि अगली बार घर आउंगा तो शादी जरूर करूंगा, बस आप सेहरा तैयार रखना। उन्होंने फफकते हुए कहा कि हैप्पी सिंह की मां भी उसे सेना में ही देखना चाहती थी। अब अपने बेटे की अंतिम विदाई को आंखों के सामने देख रहा हूं।

गांववासीयों के मुताबिक हैप्पी सिंह नम्र स्वभाव का नशा रहित नौजवान था, जोकि 5 साल पहले सेना में भर्ती हुआ था। लोगों के मुताबिक उसके अंदर देश के प्रति काफी जज्बा था और उसने गांव के ही सरकारी स्कूल से 12वी की परीक्षा पास करके सेना की ओर कदम बढ़ाया था। शहीद हैप्पी सिंह चाहे मदर यूनिट 14 सिखाई रेजीमेंट में भर्ती हुआ था परंतु अब 19 आरआर रेजीमेंट की स्पैशल पलटन का हिस्सा था, जोकि आतंकवादियों के हमलों को असफल करने के लिए सबसे विशेष और घातक कमांडो फोर्स मानी जाती है।

हैप्पी सिंह का अंतिम संस्कार सेन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान एसडीएम बठिण्डा श्री बलविंद्र सिंह, विधायक श्री जगदेव सिंह कमालू, डिप्टी डायरेक्टर सैनिक भलाई, नायब तहसीलदार कमलदीप सिंह और डीएसपी मोड़ गोपाल दास समेत अन्य लोग भी उपस्थित थे।

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