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Mata Shailputri Katha: नवरात्रि का प्रथम दिन- मां शैलपुत्री के पूजन से मिलते हैं मनचाहे वरदान, जानें!

06:00 AM Sep 22, 2025 IST | Shera Rajput
Mata Shailputri Katha

पहला नवरात्र- मां शैलपुत्री का स्वरूप

Mata Shailputri Katha: नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की पूजा शैलपुत्री स्वरूप में की जाती है। "शैल" का अर्थ पर्वत और "पुत्री" का अर्थ बेटी है, इस प्रकार वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल है, और वे नंदी बैल पर सवार रहती हैं। यह स्वरूप सौम्यता, शक्ति और धैर्य का प्रतीक है।

शैलपुत्री की कथा (Shailputri Mata Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा अपने पहले स्वरूप में "शैलपुत्री" के नाम से जानी जाती हैं। पर्वतराज हिमालय के वहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका यह ‘शैलपुत्री' नाम पड़ा था। वृषभ - स्थिता इन माता जी के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बायें हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। अपने पूर्वजन्म में ये प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थीं। तब इनका नाम 'सती' था तथा भगवान शंकर जी से विवाह हुआ था। प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया जिसमें भगवान शंकर को नहीं बुलाया। सती भगवान शिव की अनुमति न मिलने के बावजूद वहां गई और शंकर जी का अपमान उनकी आंखों के सामने किया गया। अपने और शंकर जी के अपमान को देखकर सती ने खुद को हवन कुंड में भस्म कर लिया। इसके बाद आगे चलकर यही सती हिमालय की पुत्री के रूप में पैदा हुईं और नाम शैलपुत्री था। "शैलपुत्री देवी का विवाह भी शंकर जी से हुआ। पूर्वजन्म की भांति इस जन्म में भी वह शिवजी की अर्धांगिनी बनीं। शैलपुत्री के पूजन से मन को शांति मिलती है और मन के मनोरथ पूर्ण होते हैं। नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा करने से भक्त को शक्ति, धैर्य और जीवन में स्थिरता प्राप्त होती है।

मां शैलपुत्री की पूजा विधि

मां शैलपुत्री के पूजन का महत्व

मां शैलपुत्री का मंत्र

मंत्र जाप करने से मन शुद्ध होता है और आशीर्वाद मिलता है:

"ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः।"

मां शैलपुत्री का ध्यान मंत्र

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

मां शैलपुत्री की आरती

ॐ जय शैलपुत्री माँ

मैया जय शैलपुत्री माँ

सर्व सुखों की दात्री

देना माँ करुणा

ॐ जय शैलपुत्री माँ

ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ

सर्व सुखों की दात्री

देना माँ करुणा

ॐ जय शैलपुत्री माँ

हस्त कमल अति सोहे त्रिशूलधारिणी माँ

मैया त्रिशूलधारिणी माँ

शीश झुकावें हम सब

कृपा माँ नित करना

ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ

दक्षराज सुता मैया कष्ट निवारणी माँ

मैया कष्ट निवारणी माँ

नवदुर्गाओं में प्रथम, नवदुर्गाओं में प्रथम

तुम्हारी है पूजा

ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ

वृषभ पे मैया विराजे

शीश मुकुट सोहे

मैया शीश मुकुट सोहे

ऋषि मुनि नर गुण गावें, ऋषि मुनि नर गुण गावें

छवि अति मन मोहे

ॐ जय शैलपुत्री माँ

घट घट व्यापनी माता, सुख तुमसे आवे

मैया सुख तुमसे आवे

जो कोई ध्यावे मन से

जो कोई ध्यावे मन से

इच्छित फल पावे

ॐ जय शैलपुत्री माँ

भक्तों के मन में मैया तुम्हरा नित है निवास

मैया तुम्हरा नित है निवास

रिद्धि सिद्धि प्रदात्री, रिद्धि सिद्धि प्रदात्री

तुमसे है दिव्य प्रकाश

ॐ जय शैलपुत्री माँ

नवरात्रों में जो भी व्रत माता का करे

जो भी व्रत माता का करे

आनंद नित वो पावे…आनंद नित वो पावे

माँ भंडार भरे

ॐ जय शैलपुत्री माँ

हम सब तुम्हरे मैया, तुम हमरी माता

मैया तुम हमरी माता

दया दृष्टि माँ करना दया दृष्टि माँ करना

हम करें जगराता

ॐ जय शैलपुत्री माँ

शैलपुत्री माँ की आरती

जो जन नित गावे

सुख की बद्री बरसे

मन नित हर्षावे

ॐ जय शैलपुत्री माँ

ॐ जय शैलपुत्री माँ मैया जय शैलपुत्री माँ

सर्व सुखों की दात्री

देना माँ करुणा

ॐ जय शैलपुत्री माँ

- नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है, मनोबल बढ़ता है और सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। वे भक्तों के लिए धैर्य, सौभाग्य और सुख-समृद्धि की दात्री मानी जाती हैं।

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