एक बार फिर शंभू बॉर्डर पर जुटे किसान, बंदी सिंहों की रिहाई के लिए उठी मांग, जानें क्या है पूरा मामला?
Shambhu Border Farmers: पंजाब-हरियाणा की सीमा पर स्थित पटियाला जिले के शंभू बॉर्डर पर एक बार फिर बड़ी संख्या में किसान पहुंचे रहे हैं। पंजाब के अलग–अलग इलाकों से किसान जेलों में बंद बंदी सिंहों की रिहाई की मांग को लेकर शंभू बॉर्डर के रास्ते दिल्ली कूच करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें यहां ही रोक दिया है।
Shambhu Border Farmers: पुलिस की नाकेबंदी
शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कर रखी है। बड़ी संख्या में पुलिस बल और वाटर कैनन तैनात किए गए हैं। कौमी इंसाफ मोर्चा के नेताओं और विभिन्न किसान संगठनों के सदस्य यहां भारी संख्या में पहुंचे हैं। संगठन के नेता गुरचरण सिंह हवारा ने बताया कि उन्हें दिल्ली जाने से रोका जा रहा है और कई नाकों पर किसानों को आगे बढ़ने नहीं दिया गया।
Punjab Farmers March 2025: फरवरी के आंदोलन के बाद फिर बढ़ा तनाव
इस साल फरवरी में हुए किसान आंदोलन के दौरान पुलिस ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाया था और लंबे समय तक बंद रहा हाईवे लगभग एक साल बाद खोला गया था। उस समय पुलिस ने किसानों के अस्थायी टेंट और ढाँचे भी हटाए थे। अब एक बार फिर किसान शंभू बॉर्डर पर इकट्ठा होकर दिल्ली कूच की तैयारी में हैं, जिससे हालात दोबारा तनावपूर्ण होते नजर आ रहे हैं।
Farmers Protest Delhi: रोष मार्च की घोषणा
राष्ट्रीय इंसाफ मोर्चा और कई किसान संगठनों ने शुक्रवार को शंभू बैरियर तक रोष मार्च निकालने का ऐलान किया है। रोष मार्च के बाद सभी किसान दिल्ली की ओर जाने का प्रयास करेंगे। किसान नेता रणजीत सिंह सवाजपुर ने बताया कि बंदी सिंहों की रिहाई उनकी प्रमुख मांग है और इसी के समर्थन में दिल्ली की ओर आंदोलन बढ़ाया जाएगा। इस संभावित मार्च को देखते हुए पुलिस ने पहले ही ट्रैफिक एडवाइजरी जारी कर दी है ताकि लोगों को परेशानी न हो।
दोआबा और माझा क्षेत्र के किसान लाडोवाल टोल प्लाजा पर इकट्ठा होंगे और वहां से आगे की रणनीति बनाकर दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। पंजाब के विभिन्न इलाकों से आने वाली बसों और टैक्टरों में किसान लगातार शंभू बॉर्डर की ओर पहुंच रहे हैं।
बढ़ रहा किसान आंदोलन का प्रभाव
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने बंदी सिंहों की रिहाई के मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया, इसलिए आंदोलन तेज किया जा रहा है। वे यह भी आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस द्वारा उन्हें रोकना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि बड़ी भीड़ के अचानक दिल्ली की ओर बढ़ने से कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है, इसलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।
फिलहाल किसानों और पुलिस के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। किसान अपनी मांगों पर अडिग हैं, जबकि पुलिस उन्हें शांति बनाए रखने और तय मार्गों से आगे न बढ़ने की अपील कर रही है। आने वाले दिनों में आंदोलन के स्वरूप और सरकार की प्रतिक्रिया से तय होगा कि यह स्थिति किस दिशा में आगे बढ़ती है।
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