बेशर्म पाकिस्तान
पाकिस्तान एक बेशर्म देश है जो चार दिन के युद्ध में हार कर भी जश्न मना रहा है…
पाकिस्तान एक बेशर्म देश है जो चार दिन के युद्ध में हार कर भी जश्न मना रहा है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को हार के बावजूद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजा है। स्पष्ट है कि शहबाज शरीफ ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए सेना प्रमुख को पदोन्नत किया है। पूरी दुनिया में इस बात की खिल्ली उड़ाई जा रही है कि दूसरे देशों में सेना की नाकामी पर आर्मी चीफ को बर्खास्त कर दिया जाता है लेकिन पाकिस्तान का आलम अलग ही है। मुनीर पार्टियां कर रहे हैं और शहबाज शरीफ उनमें शामिल होते हैं। पाकिस्तान की फितरत रही है कि वह हमेशा ही झूठ और भ्रम का जाल फैलाकर दुिनया को गुमराह करता रहा है। पहलगाम हमले के बाद भी वह भ्रम जाल फैलाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान सेना अपने ही देश में लोकप्रियता खो चुकी है और पाकिस्तान का आवाम ही उसका मजाक उड़ाने में लगा हुआ है। बलूचिस्तान, सिंध,खैबर पख्तूनख्वा में हालात बहुत खराब हैं। पाकिस्तान गृह युद्ध के कगार पर खड़ा है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने कत्लेआम मचाया हुआ है। भारत पर आतंकी हमले करने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र में नागरिकों की सुरक्षा के मुद्दे पर ज्ञान बांट रहा है। पाकिस्तान को कुछ भी याद नहीं रहता। न उसे पंडित नेहरू-लियाकत अली समझौता याद है, न उसे लाल बहादुर शास्त्री द्वारा किया ताशकंद समझौता याद है, न उसे 1971 के युद्ध में करारी हार और न ही शिमला समझौता याद है। भारत ने हमेशा उसे हर मोर्चे पर मात दी है। शहबाज शरीफ में इतनी हिम्मत नहीं कि वह सेना प्रमुख को रोक सके। आसिम मुनीर की हरकतें दिमागी साजिश ही उसकी रणनीति है। एक तरफ भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में जाकर पाकिस्तान की पोल खोल रहे हैं और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दुनियाभर में समर्थन मिल रहा है। दूसरी तरफ भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश पुरी ने पाकिस्तान की बकवास पर कहा कि जो देश आतंकियों और नागरिकों में फर्क नहीं कर सकता है उसे नागरिकों की सुरक्षा पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। एक नई कई उदाहरण देते हुए पुरी ने आतंक के पर्याय बने पाकिस्तान को बेनकाब किया। उन्होंने कहा कि मुंबई का हमला हो या हो पहलगाम आतंकी हमला, भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का पीड़ित रहा है। इनके आतंकियों का निशाना हमारे आम लोग रहे हैं। ऐसे में इन लोगों का नागरिकों की सुरक्षा पर ये भाषण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के मुंह पर तमाचा है।
इस मौके पर यूएन में पुरी ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जानबूझकर पाकिस्तान ने सीमा से सटे गांवों में गोलीबारी की। इसमें 20 नागरिकों की मौत हो गई। 80 से भी अधिक लोग घायल हुए हैं। इसलिए ऐसी सेना या सरकार जो धार्मिक स्थलों व आम लोगों पर हमले करती है, वह इन मंचों पर भाषण देने के लायक ही नहीं है।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने खुद सिंधु जल समझौते का कई बार उल्लंघन किया है। जिस देश के सेना अधिकारी आतंकियों के जनाजे में शामिल होते हों उससे साफ है कि यह लोग आतंकियों और नागरिकों में कोई फर्क नहीं समझते। घरेलू राजनीति को छोड़ दें तो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान को बेनकाब कर यह साबित किया है कि दल से बड़ा देश और विदेश नीति से बड़ी देश नीति होती है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपने लोकसभा में दिए भाषण में कहा था “सत्ता का खेल तो चलेगा। सरकारें आएंगी-जाएंगी, पार्टियां बनेंगी-बिगड़ेंगी मगर यह देश रहना चाहिए। देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिए।” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने का फिर संकल्प व्यक्त किया। प्रधानमंत्री भारत की रणनीति के तीन अहम तत्वों का उल्लेख पहले ही कर चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत की धरती पर किए गए किसी भी आतंकी हमले का माकूल जवाब दिया जाएगा। दूसरा भारत परमाणु हमले के ब्लैकमेल से नहीं डरेगा और तीसरा भारत प्रायोजित आतंकवाद और आतंकवाद के वास्तविक मास्टरमाइंड के बीच कोई भेद नहीं करेगा। ऐसे में आतंकवादियों और एक मुल्क के रूप में पाकिस्तान में अंतर करने की कोई वजह नहीं है। भारत का स्पष्ट स्टैंड है कि आतंकवाद और बातचीत साथ नहीं चल सकते, आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं हाे सकते। खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। यह तो स्पष्ट है कि पाकिस्तान डिप्लोमेसी की भाषा नहीं समझता। पाकिस्तान के हुक्मरानों की सोच जेहादी है।
भारत के लिए चिंता की वजह और भी हैं। मुनीर के सेना प्रमुख बनने के बाद से ही वे अपने धार्मिक राष्ट्रवाद के ब्रांड को लेकर मुखर हो गए हैं। उन्होंने सेना के रोल को न सिर्फ पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के रक्षक के रूप में बल्कि उसकी वैचारिक सीमाओं के संरक्षक के रूप में भी नई तरह से परिभाषित किया है। अगस्त 2023 में पेशावर में एक कबायली जिरगा (परिषद) को संबोधित करते हुए मुनीर ने ऐलान किया था, ‘दुनिया की कोई भी ताकत पाकिस्तान को नुक्सान नहीं पहुंचा सकती। हम अल्लाह की राह पर जिहाद (पवित्र युद्ध) कर रहे हैं और सफलता हमारी ही होगी। पाकिस्तानी सेना का मकसद और सिद्धांत शहीद या गाजी (जिहाद में भाग लेने वाला) बनना है। उनकी इस घोषणा ने उन्हें ‘जिहादी जनरल’ का खिताब दिलाया।
जेहादी कुछ भी कर सकते हैं। भारत को पाकिस्तान के हर कदम पर नजर रखनी होगी और हर बात का आंकलन करना होगा। दोनों के रिश्तों को सामान्य बनाने की जिम्मेदारी अब पाकिस्तान की है। अगर उसने आतंकवाद की नीति नहीं बदली तो भारत के कोप से उसे कोई नहीं बचा सकता।