Shaniwar Ke Upay: शनिवार को करें ये 5 खास उपाय, शनि देव खुद करेंगे कष्टों का अंत
Shaniwar Ke Upay: शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। शनि देव कर्मों के हिसाब से फल देने वाले देवता माने जाते हैं, इसलिए उन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। जो व्यक्ति अच्छे कर्म करता है उसे अच्छा और जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है उसे बुरा फल मिलता है। माना जाता है कि शनि देव प्रसन्न हैं तो आपके जीवन की समस्याओं का अंत हो जाता है। अगर आप आर्थिक संकट, शनि दोष या फिर साढ़ेसाती जैसी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं, तो आप कुछ उपाय करके शनिदेव को प्रसन्न कर सकते हैं। इससे आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी। आइए जानते हैं शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय।
Shaniwar Ke Upay: शनिवार को करें ये उपाय

1. शिवलिंग पर अभिषेक
शनिवार को शिवलिंग पर अभिषेक जरूर करें। शनिदेव भगवान शिव के भक्त हैं, ऐसे में आप नियमित रूप से जलाभिषेक करें। शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र और गंगाजल अर्पित करें। इससे शनि से जुड़ी सभी बाधाओं का अंत होता है। शिवलिंग पर जलाभिषेक के दौरान "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
2. दीपक प्रज्वलित करें
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीप प्रज्वलित करते समय "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें। इससे शनि दोष शांत होता है।
3. सरसों के तेल में देखें चेहरा
मान्यता है कि शनि देव को सरसों का तेल प्रिय है। शनिवार के दिन एक कटोरी सरसों का तेल लेकर शनि मंदिर जाएं। तेल की कटोरी में अपना चेहरा देखें, उसके बाद तेल को शनि देव को अर्पित कर दें। इस उपाय से शनि का दुष्प्रभाव दूर होगा।
4. दान करें
शनिवार के दिन दान-पुण्य करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। अपनी क्षमता अनुसार चमड़े के जूते-चप्पल, काले तिल, उड़द दाल या छाता जैसी वस्तुएं दान करें।
5. पीपल की परिक्रमा
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा करें। यह उपाय शनि दोष से उत्पन्न कष्टों को कम करता है। परिकर्मा करते समय "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें।
Shani Mantra: इन मंत्रों का करें जाप

शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
सामान्य मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीर- भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
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