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शरद पवार का भाजपा पर तंज - महाराष्ट्र में एमवीए सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई

महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के संकट में होने के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना के ‘‘आतंरिक’’ मामले को संभाल लेंगे।

06:25 PM Jun 21, 2022 IST | Ujjwal Jain

महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के संकट में होने के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना के ‘‘आतंरिक’’ मामले को संभाल लेंगे।

महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार के संकट में होने के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार को गिराने की तीसरी बार कोशिश की गई है, लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना के ‘‘आतंरिक’’ मामले को संभाल लेंगे। 
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मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से पवार करेंगे मुलाकात 
एमवीए के गठन में अहम भूमिका निभाने वाले पवार ने कहा कि सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा करेगी और उन्होंने राज्य में सरकार गिरने की स्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ जाने की संभावना को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए विपक्षी दलों के एक संयुक्त उम्मीदवार के चयन को लेकर विपक्ष की बैठक में भाग लेने के तत्काल बाद मुंबई रवाना होंगे और ठाकरे से मुलाकात करेंगे। 
गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है – पवार 
पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है और सभी को ठाकरे के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह राकांपा का आंतरिक मामला नहीं है। यह शिवसेना का आंतरिक मुद्दा है और वे स्थिति का आकलन करने के बाद हमें सूचित करेंगे।’’ बार-बार सवाल किए जाने पर पवार ने दोहराया कि यह शिवसेना का आंतरिक मामला है और पार्टी जो भी फैसला करेगी, ‘‘हम उसके साथ रहेंगे।’’ 
चंद्रकांत पाटिल ने भाजपा को लेकर दी सफाई 
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ की आशंका के बीच, मतदान के एक दिन बाद राज्य के मंत्री एवं शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे और कुछ विधायकों से संपर्क नहीं हो पा रहा है और वे गुजरात के सूरत में डेरा डाले हुए हैं। ऐसे में ठाकरे नीत सरकार संकट में प्रतीत हो रही है। शिंदे ने अपने रुख के बारे में अभी कुछ नहीं कहा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी का इस राजनीतिक घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि यदि शिंदे से भाजपा को राज्य में सरकार बनाने का कोई प्रस्ताव मिलता है तो वह ‘उस पर यकीनन विचार करेंगे।’’ 
राकांपा का एक भी मत किसी अन्य के पक्ष में नहीं
पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘महाराष्ट्र में जो कुछ हुआ, पिछले ढाई साल में ऐसा तीसरी बार हुआ है। मुझे याद है कि जब उद्धव ठाकरे सरकार का गठन हो रहा था, हमारे कुछ विधायकों को हरियाणा में रखा गया था, लेकिन बाद में वे वहां से लौटे और सरकार बनाई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के गठन के बाद ढाई साल से यह अच्छे से काम कर रही है। कल (विधान परिषद का) चुनाव हुआ। जहां तक राकांपा की बात है… तो राकांपा का एक भी मत किसी अन्य के पक्ष में नहीं पड़ा।’’ 
मामले पर चर्चा की जाएगी कि चुनाव में ऐसा क्यों हुआ – पवार 
पवार ने कहा, ‘‘हमारे मोर्चे का एक उम्मीदवार मत कम रह जाने के कारण चुनाव नहीं जीत सका।’’ उन्होंने कहा कि अपने उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करना अन्य राजनीतिक दल का दायित्व था। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के चुनाव में ‘क्रॉस वोटिंग’ (किसी पार्टी के सदस्य का किसी अन्य पार्टी को मत देना) होती है और इसमें कुछ नया नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर चर्चा की जाएगी कि चुनाव में ऐसा क्यों हुआ और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। 
CM पद पर तीनों दलों के बीच यह आपसी समझ
मुख्यमंत्री बनाए जाने की शिंदे की कथित मांग के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा, ‘‘केवल आपने मुझे यह बताया है। मैं नहीं जानता कि क्या उन्होंने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने के बारे में किसी से बात की। हम तीनों दलों के बीच यह आपसी समझ है कि मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना का नेता बैठेगा और उप मुख्यमंत्री राकांपा का होगा।’’ पवार ने कहा कि ठाकरे ने अपने दल की एक बैठक बुलाई है और इसके बाद ‘‘हम उनसे बात करेंगे।’’ 
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने शिंदे से बात की है, पवार ने कहा, ‘‘मैंने किसी से बात नहीं की है। मुझे यह भी नहीं पता कि वे कहां ठहरे हुए हैं।’’ उन्होंने कहा कि राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना एक साथ हैं। उन्होंने कहा कि जब तक शिवसेना से इस बारे में कोई दिशा-निर्देश न नहीं मिल जाता कि असल मुद्दा क्या है और इसे कैसे हल करना है, तब तक इस पर कोई कदम उठाना उचित नहीं होगा। 
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