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सांसद Shashi Tharoor ने थरूर ने कर्नाटक के नौकरी आरक्षण विधेयक को बताया असंवैधानिक

04:59 PM Jul 19, 2024 IST | Pannelal Gupta
सांसद shashi tharoor ने थरूर ने कर्नाटक के नौकरी आरक्षण विधेयक को बताया असंवैधानिक

Shashi Tharoor: कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य एवं सांसद शशि थरूर ने कर्नाटक में कन्नड़ भाषी लोगों के लिए नौकरी आरक्षित करने संबंधी विधेयक करते हुए इसे असंवैधानिक बताया है।

Highlights

  • Shashi Tharoor ने आरक्षण विधेयक की आलोचना की
  • शशि थरूर ने आरक्षण विधेयक को बताया असंवैधानिक
  • रोजगार विधेयक, 2024 को मिली थी मंजूरी

Shashi Tharoor ने आरक्षण विधेयक की आलोचना की

कांग्रेस कार्य समिति (CWC) के सदस्य एवं सांसद शशि थरूर(Shashi Tharoor) ने अपनी पार्टी के शासन वाले कर्नाटक में निजी क्षेत्र में कन्नड़ भाषी लोगों के लिए नौकरी आरक्षित करने संबंधी विधेयक(job reservation bill) की आलोचना की और इसे ‘‘असंवैधानिक’’ तथा ‘‘अविवेकपूर्ण’’ बताया। हालांकि, उन्होंने विधेयक को रोकने के सिद्धरमैया-नीत सरकार के फैसले पर खुशी भी व्यक्त की।

राज्य ऐसा कानून लाएगा तो यह असंवैधानिक होगा- शशि थरूर

लोकसभा सदस्य थरूर ने एक सवाल के जवाब में संवाददाताओं से यहां कहा, ‘‘यह कोई बुद्धिमानी भरा निर्णय नहीं था। अगर हर राज्य ऐसा कानून लाएगा तो यह असंवैधानिक होगा। संविधान के अनुसार, प्रत्येक नागरिक को भारत के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र रूप से रहने, काम करने और यात्रा करने का अधिकार है।’’

उच्चतम न्यायालय ने विधेयक को किया था खारिज

शशि थरूर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इसी तरह का एक विधेयक तब खारिज कर दिया था, जब हरियाणा में एक सरकार ने इसे पेश करने की कोशिश की थी। तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि कर्नाटक ने ऐसा क्यों सोचा, किस आधार पर किया।’’ उन्होंने कहा कि यदि ऐसा कानून लागू किया गया तो राज्य से कारोबार तमिलनाडु और केरल जैसे पड़ोसी राज्यों में स्थानांतरित हो जाएगा।


रोजगार विधेयक 2024 को मिली थी मंजूरी

राज्य मंत्रिमंडल ने सोमवार को ‘‘कर्नाटक में उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय अभ्यर्थियों का रोजगार विधेयक, 2024’’ को मंजूरी दे दी थी, जिसमें निजी कंपनियों के लिए कन्नड़ भाषी लोगों के वास्ते नौकरियां आरक्षित करना अनिवार्य हो गया था। उद्योग जगत ने इस कदम की आलोचना की और नैसकॉम ने चेतावनी दी कि कंपनियां कर्नाटक से बाहर चली जाएंगी। इसके बाद राज्य सरकार ने विधेयक को रोक दिया।
इस विधेयक को बृहस्पतिवार को विधानसभा में पेश किए जाने की उम्मीद थी।

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