शीतला अष्टमी : जानें शुभ मुहूर्त और क्यों देवी को लगता है बासे भोजन का भोग
सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही देवी-देवता हमारे हर प्रकार के कष्टों से सदैव हमारी रक्षा करते हैं। ऐसा ही एक रूप है मां पार्वती स्वरूपा मां शीतला देवी का जिनकी उपासना अनेक संक्रामक रोगों से हमें रोग मुक्त करती है।
09:10 AM Mar 23, 2022 IST | Desk Team
सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही देवी-देवता हमारे हर प्रकार के कष्टों से सदैव हमारी रक्षा करते हैं। ऐसा ही एक रूप है मां पार्वती स्वरूपा मां शीतला देवी का जिनकी उपासना अनेक संक्रामक रोगों से हमें रोग मुक्त करती है। मां शीतला देवी की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को की जाती है। इस वर्ष यह पर्व 25 मार्च ,गुरूवार को मनाया जाएगा। प्रकृति के अनुसार शरीर निरोगी हो,इसलिए भी शीतला अष्टमी की पूजा-व्रत करना चाहिए।
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होली के बाद आने वाले शीतला अष्टमी के त्यौहार का खासा महत्व है। इस दिन मां शीतला माता की पूजा की जाती है और बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। मां को भोग लगाने के बाद लोग भी बासी भोजन ही खाते है। इस दिन घर पर चूल्हा नहीं जलता है और ठंडा खाना ही खाया जाता है।
शीतला माता को शीतलता प्रदान करने वाली माता कहा गया है। इसलिए उनको समर्पित भोजन वो पूरी तरह शीतल रहे, इसलिए उसे रात में ही बनाकर रख लिया जाता है। माता के भक्त भी प्रसाद स्वरूप ठंडा भोजन ही अष्टमी के दिन ग्रहण करते हैं।
माना जाता है कि शीतला अष्टमी के बाद गर्मी बढ़ने लगती है और इसे बासी भोजन ग्रहण करने का आखिरी दिन माना जाता है। क्योंकि इसके बाद गर्मी की वजह से भोजन खराब होने लगता है। शीतला अष्टमी के दिन मातारानी को सप्तमी को बने बासे भोजन का भोग लगाकर संदेश दिया जाता है कि आज के बाद पूरे ग्रीष्म काल में ताजा भोजन ही ग्रहण करना है।
मां शीतला के बारे में पुराण में हमें चेचक, खसरा जैसे रोगों से बचाने वाली देवी के रूप में बताया गया है। माना जाता है कि इस दिन जो महिला माता का व्रत रखती है और उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनका परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं। उन्हें बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याएं नहीं होतीं।
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