Shibu Soren Life: बीच में पढ़ाई छोड़कर आदिवासी के लिए बने मसीहा, जानें झारखंड के पूर्व सीएम के बारे में सबकुछ
Shibu Soren Life: झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन ने जिंदगी की जंग को भी एक योद्धा की तरह लड़ा और आखिरकार आज, 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में आखिरी सांस ली। पूर्व सीएम सोरेन को आदिवासियों के मसीहा नेता कहा जाता था। उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासी कल्याण और दलितों के कल्याण में लगाया। उन्होंने झारखंड अलग राज्य का संघर्ष किया और जब तक उनका सपना पूरा नहीं हुआ तब तक लड़ाई लड़ी।
कैसे और कहां से शुरू हुई शिबू सोरेन की कहानी
Shibu Soren Life: शिबू सोरेन एक संताल आदिवासी हैं। इनका जन्म रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम सोबरन सोरेन जो पेशे से शिक्षक थे। उन्होंने इलाके में महाजनी प्रथा, सूदखोरी और शराबबंदी के खिलाफ आंदोलन चलाया था। शिबू सोरेन का जन्म नेमरा गांव में ही 11 जनवरी 1944 को हुआ था. जब वे महज 13 साल के थे तो उनके सर से पिता का हाथ उठ गया। 1957 में उनके पिता की हत्या कर दी गई थी। पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन के बाल मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।
सोनोत संताल समाज का गठन किए
Shibu Soren Life: बता दें कि शिबू सोरेन ने टुंडी प्रखंड के पलमा से महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ अपना आंदोलन शुरू किया था. संताल समाज को जागरूक करने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सोनोत संताल समाज का गठन किया गया। शिबू सोरेन ने आदिवासी समाज को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और उन्हें नशे से दूर रखने के लिए काफी प्रयास किए।
What is Jharkhand Mukti Morcha?
शिबू सोरेन ने आदिवासी अधिकारियों को सुरक्षित करने और उन्हें शोषण से छुटकारा दिलाने के लिए एक मंच पर लाने का काम किया। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) झारखंड का एक प्रमुख क्षेत्रीय राजनीतिक दल है, जिसका झारखंड और ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के कुछ आदिवासी क्षेत्रों में प्रभाव है।
Political Career of Shibu Soren: राजनीति करियर
झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के बाद उन्होंने 1977 में पहली बार लोकसभा और टुंडी विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन वे दोनों ही चुनाव हार गए। इसके बाद गुरुजी ने संथाल परगना का रुख किया और 1980 में दुमका लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर झामुमो के पहले सांसद बने। वहीं, झामुमो की एक बड़ी उपलब्धि यह रही कि 1980 के विधानसभा चुनाव में संथाल परगना की 18 में से 9 सीटों पर झामुमो ने जीत हासिल की। उस समय झारखंड बिहार का हिस्सा था और झामुमो की जीत ने बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव ला दिया।
कब-कब बने झारखंड के मुख्यमंत्री?
बिहार से अलग होकर 15 नवंबर, 2000 को झारखंड एक अलग राज्य बना। इस राज्य के प अहले सीएम बाबूलाल मरांडी थे, लेकिन शिबू सोरेन ने इस राज्य की सत्ता पर तीन बार शासन किया। 2005 में झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री के तौर पर शिबू सोरेन ने शपथ ली, लेकिन वे महज 10 दिन के लिए सीएम बने। इनका कार्यकाल 2 मार्च 2005 से 11 मार्च 2005 तक रहा। इसके बाद वे 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उनका कार्यकाल 27 अगस्त 2008 से 12 जनवरी 2009 तक रहा। वहीं, वे तीसरी बार साल 2009 में सीएम बने। इस दौरान उनका कार्यकाल 30 दिसंबर 2009 से 31 मई 2010 तक रहा। यह सरकार केवल 5 महीने ही चली।
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