Shilpa Shirodkar Shot Dead: गोली लगने से गई Shilpa Shirodkar की जान?
90 के दशक की अभिनेत्री Shilpa Shirodkar की ‘मौत की खबर से हर तरफ हड़कंप मच गया है, खबरों की माने तो शिल्पा शिरोडकर की गोली मार कर हत्या कर दी गई है। इन खबरों के बाद बॉलीवुड गलियारो में इसको लेकर हर तरफ चर्चा है पर चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इन खबरों में कितनी सच्चाई है ।
Shilpa Shirodkar Shot Dead: क्या है मौत के पीछे का सच?
Shilpa Shirodkar ने हाल ही में एक पुराने डरावने अनुभव को साझा किया, जिसने उस समय न सिर्फ उनके परिवार बल्कि फिल्म इंडस्ट्री को भी हिला कर रख दिया था। साल 1995 में जब फिल्म ‘रघुवीर’ की शूटिंग चल रही थी, तभी यह अफवाह उड़ी कि शिल्पा शिरोडकर को शूटिंग के दौरान गोली लग गई है और उनकी मौत हो गई है।
शिल्पा ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि यह पूरी अफवाह उस समय की थी जब वह कुल्लू-मनाली में अभिनेता सुनील शेट्टी के साथ शूटिंग कर रही थीं। उन्होंने कहा, “हमारे पास उस समय मोबाइल फोन नहीं थे। मेरे पिताजी होटल में बार-बार फोन कर रहे थे लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा था। वो घबरा गए थे।”
शिल्पा ने आगे बताया कि सेट पर मौजूद लोगों को जब यह खबर मिली कि शिल्पा शिरोडकर की मौत हो चुकी है, तो वे सभी भ्रम में पड़ गए। शूटिंग के दौरान लोग यह सोचने लगे कि जो लड़की कैमरे के सामने है, क्या वो वाकई शिल्पा है या कोई और? “लोग मुझे देख कर हैरान हो रहे थे। सबका चेहरा सवालों से भरा था,” शिल्पा ने कहा।
PR स्टंट का हिस्सा
कुछ समय बाद जब शिल्पा को इस अफवाह के बारे में फिल्म के निर्माताओं ने बताया तो वो खुद भी दंग रह गईं। उन्हें बताया गया कि यह सब एक मार्केटिंग रणनीति थी ताकि फिल्म ‘रघुवीर’ को चर्चा में लाया जा सके। हालांकि, उस वक्त न तो सोशल मीडिया था, न ही कोई त्वरित माध्यम, जिससे चीजें जल्दी स्पष्ट हो जातीं। लेकिन अफवाह इतनी तेजी से फैली कि शिल्पा के घरवालों और फैन्स के बीच खलबली मच गई।
1995 में रिलीज हुई फिल्म ‘रघुवीर’ में सुनील शेट्टी मुख्य भूमिका में थे, वहीं शिल्पा शिरोडकर उनकी हीरोइन बनी थीं। फिल्म में सुरेश ओबेरॉय, सुधा चंद्रन, मोहनिश बहल, अरुणा ईरानी, गुलशन ग्रोवर और प्रेम चोपड़ा जैसे कलाकार भी शामिल थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था और इसमें शिल्पा के काम की भी सराहना हुई थी।
90 के दशक की प्रमोशन स्ट्रेटजी
आज के समय में प्रमोशन के लिए सोशल मीडिया, टीज़र, ट्रेलर, और बड़े इवेंट्स होते हैं। लेकिन 90 के दशक में अफवाहें और विवाद भी एक तरह की मार्केटिंग स्ट्रेटजी हुआ करती थीं। हालांकि, शिल्पा मानती हैं कि यह तरीका गलत था क्योंकि इससे उनके परिवार और फैंस को अनावश्यक चिंता और तनाव झेलना पड़ा। शिल्पा ने कहा- “अब सोचती हूं तो हंसी आती है” शिल्पा आज इस किस्से को याद कर मुस्कुराती हैं लेकिन उस वक्त उनके और उनके परिवार के लिए यह पल बहुत डरावना था। “आज के दौर में ऐसा कुछ होता तो सोशल मीडिया पर तुरंत क्लैरिफिकेशन आ जाता, लेकिन तब ऐसा नहीं था,” शिल्पा ने बताया।
यह वाकया एक उदाहरण है कि कैसे अफवाहें और बिना पुष्टि की गई खबरें किसी की जिंदगी में तूफान ला सकती हैं। शिल्पा की ईमानदारी और उनके अनुभवों से हमें यह सीख मिलती है कि प्रचार की कोई भी रणनीति मानवीय भावनाओं से ऊपर नहीं होनी चाहिए ।