Shimla Yug Murder Case: हाईकोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदली, परिजनों ने जताई नाराजगी
Shimla Yug Murder Case: शिमला के बहुचर्चित युग हत्याकांड में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। पहले जिला अदालत ने तीनों दोषियों को फांसी की सजा दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले में बदलाव करते हुए दो दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया और एक दोषी को बरी कर दिया। दोषियों ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी, जिस पर यह फैसला आया है।
Shimla Yug Murder Case: परिजनों ने जताई नाराजगी
हाईकोर्ट के इस फैसले से युग के परिजन बेहद नाराज़ हैं। युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि घटना को 11 साल बीत चुके हैं, लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला। उनका कहना है कि जिन लोगों ने उनके मासूम बेटे को बेरहमी से मारा, उन्हें अब तक फांसी दी जानी चाहिए थी। उन्होंने साफ कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे ताकि युग को इंसाफ मिल सके।
Shimla Murder Case: क्या है पूरा मामला?
यह मामला 14 जून 2014 का है, जब शिमला के रामबाजार इलाके से 4 साल के मासूम युग का अपहरण कर लिया गया था। अपहरण के पीछे मकसद फिरौती लेना था। युग को अगवा करने वाले तीनों लोगों ने उसे जिंदा एक पानी के टैंक में पत्थर बांधकर फेंक दिया था। करीब दो साल बाद, जब 2016 में एक पेयजल टैंक की सफाई की गई, तब वहां से युग का कंकाल मिला।

Murder Case: जांच और चार्जशीट
युग की हत्या की जांच सीआईडी ने की और 25 अक्टूबर 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। इसके बाद 20 फरवरी 2017 से मामले की सुनवाई शुरू हुई। इस केस में 105 गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सुनवाई के बाद अदालत ने करीब 10 महीने में ही तीनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी।

हाईकोर्ट का फैसला और भविष्य की लड़ाई
लेकिन अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने उस सजा को बदल दिया है। दो दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया है, जबकि एक को सबूतों के अभाव में रिहा कर दिया गया। युग के परिवार का कहना है कि इस फैसले से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है और वे आखिरी उम्मीद के तौर पर सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।

न्याय की उम्मीद अभी बाकी है
युग के पिता ने कहा कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि एक मासूम की निर्मम हत्या करने वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि ऐसा अपराध दोबारा न हो। सुप्रीम कोर्ट ही अब उनके बेटे को न्याय दिला सकता है।
रिपोर्ट: विक्रांत सूद
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