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ऐसा दिखता है ॐ की आकृति वाला दुनिया का पहला मंदिर, देखें तस्वीरें

03:09 PM Feb 10, 2024 IST | NAMITA DIXIT
ऐसा दिखता है ॐ की आकृति वाला दुनिया का पहला मंदिर  देखें तस्वीरें

अयोध्या में भव्य राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के करीब एक महीने बाद देश को एक और विराट मंदिर मिलने जा रहा है। ये मंदिर राजस्थान (Rajasthan) के पाली में बन रहा है। सामने से देखने पर ये ओम (ॐ) की आकृति का नजर आता है।बता दें पूरा मंदिर लाल पत्थरों से बना है। ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।इस मंदिर के उद्घाटन समारोह में 60 देशों से मेहमान पहुंचेंगे। मेहमानों के रहने के लिए आश्रम परिसर में 100 स्वीट होम तैयार किए गए हैं। मुख्य कार्यक्रम 19 जनवरी को होगा। जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा-अर्चना की जाएगी।

  • राजस्थान में बनने जा रहा ॐ की आकृति वाला मंदिर
  • मुख्य कार्यक्रम 19 जनवरी को होगा
  • उद्घाटन समारोह में 60 देशों से मेहमान पहुंचेंगे
  • सांस्कृतिक कार्यक्रम और पूजा-अर्चना की जाएगी

ओम आकृति का दुनिया का ये पहला शिव मंदिर

आपको बता दें पाली (Pali) शहर से 20 किमी दूरी पर जाडन में ये विशाल मंदिर बना है। इस मंदिर की कई खासियत है। सबसे पहले बता दें कि ये मंदिर ओम के आकार का है।ओम का निराकार स्वरूप धरती पर पहली बार राजस्थान में साकार हुआ है। यानी ओम आकृति का दुनिया का ये पहला शिव मंदिर है। ओम आकार में बना ये शिव मंदिर गुलाबी पत्थर से बनाया गया है। आपको आसमान से मंदिर परिसर ओम के आकार का दिखाई देता है।

मंदिर में नंदी को गर्भग्रह के ठीक सामने बैठाया गया

केवल आसमान से ही नहीं, बल्कि धरती से भी मंदिर की खूबसूरती देखते ही बन रही है है. मंदिर में प्रवेश से पहले नंदी की प्रतिमा के दर्शन होते हैं। नंदी की ये प्रतिमा भी बेहद खास है जिस तरह केदारनाथ में गर्भगृह के सामने नंदी बैठे हुए हैं, ठीक उसी तरह इस मंदिर में भी नंदी को गर्भग्रह के ठीक सामने बैठाया गया है। यहां से मंदिर के गर्भगृह की भव्यता को देखा और महसूस किया जा सकता है।

ओम आकृति वाला यह शिव मंदिर चार खंडों में बंटा

बता दें इस मंदिर को बनने में 28 साल का वक्त लगा है। इसको बनाने की शुरुआत साल 1995 में हुई थी। इस मंदिर का वास्तु अद्भुत है। पाली के गांव जाडन में बना ओम आकृति वाला यह शिव मंदिर चार खंडों में बंटा है। एक पूरा फ्लोर जमीन के भीतर है। जबकि जमीन के ऊपर तीन मंजिले हैं। मंदिर के बीचों बीच स्वामी माधवानंद की समाधि है और उसके चारों ओर सप्त ऋषियों की मूर्तियां हैं।

इस शिवलिंग पर 12 ज्योतिर्लिंग के हो सकते दर्शन

इस शिव मंदिर में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्वरूप के दर्शन होंगे। शिवलिंग को इस तरह बनाया गया है कि 1 शिवलिंग पर 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन हो सकते हैं। यानी सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्वरुप शामिल हैं।इन सभी के एक साथ का ये शिवलिंग बेहद अद्भुत है।

चंद्र बिंदु को 9 मंजिला कीर्ति स्तंभ का रूप दिया

ओम आकार के ये मंदिर पूर्व से पश्चिम तक 185 मीटर और उत्तर से दक्षिण तक 252 मीटर क्षेत्र में फैला है। इसकी ऊंचाई 38.05 मीटर है।इसे गुलाबी पत्थरों से बनाया गया है। मंदिर परिसर में 108 कमरे हैं।मंदिर के आगे के हिस्से में एक सभागार है, जिसमें 108 कुर्सियां लगाई गई हैं मंदिर के चंद्र बिंदु को 9 मंजिला कीर्ति स्तंभ का रूप दिया गया है।जिसकी ऊंचाई 42 मीटर है।

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