Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

पाक की सियासत में शिव तांडव

NULL

12:13 AM Apr 14, 2018 IST | Desk Team

NULL

पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्साफ के अध्यक्ष और पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की तीसरी शादी की सुर्खियां अभी शांत भी नहीं हुईं कि एक बार फिर वह सोशल मीडिया पर कुख्यात हो रहे हैं। पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर पूर्व क्रिकेटर कप्तान इमरान खान की एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें वह भगवान शिव के रूप में नजर आ रहे हैं। यह तस्वीर वायरल होने के बाद पाकिस्तान की सियासत में शिव तांडव शुरू हो चुका है।

पाकिस्तान की संसद में हंगामा भी हुआ और संसद से लेकर सड़क तक प्रदर्शन हो रहे हैं। इस तस्वीर को फेसबुक पर पोस्ट करने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी के  कार्यकर्ताओं को जिम्मेदार माना जा रहा है क्योंकि यह फेसबुक पेज नवाज शरीफ की पार्टी का समर्थक माना जाता है। पाकिस्तान के हिन्दू इसे  अल्पसंख्यकों की भावना को आहत करने वाला करार दे रहे हैं।

पाक संसद में हिन्दू सांसद रमेश लाल, दर्शन लाल और लाल चन्द मलही ने यह मामला उठाते हुए कहा कि उनके धर्म को लेकर नफरत भरी बातें ऑनलाइन की जा रही हैं जिसके बाद स्पीकर ने यह निर्देश जारी किया कि हिन्दू धर्म के बारे में ईशनिंदापूर्ण सामग्री पोस्ट करने वाले व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे। पाकिस्तान मेें 45 लाख के लगभग ​हिन्दू रहते हैं, उनकी भावनाएं इससे काफी आहत हुई हैं।

भारत में तो राजनीतिज्ञों को भगवान कृष्ण या अन्य अवतारों के रूप में प्रदर्शित किया जाता रहा है लेकिन पाकिस्तान में शिव के रूप में इमरान खान को दिखाए जाने का मकसद केवल हिन्दू भावनाओं को आहत करने का प्रयास है। पाकिस्तान में 95 फीसदी आबादी मुस्लिमों की है आैर गैर मुस्लिम केवल 5 फीसदी हैं जिनमें हिन्दू, सिख, ईसाई, बौद्ध, पारसी वगैरह हैं। पाकिस्तान में सबसे ज्यादा अल्पसंख्यक सिंध प्रांत में रहते हैं।

अल्पसंख्यकों का धर्म परिवर्तन आम बात है। ​हिन्दू युवतियों का अपहरण, जबरन शादी की घटनाएं भी होती रहती हैं। हजारों हिन्दू पाकिस्तान से आकर भारत में शरण लेने को मजबूर हैं। पाकिस्तानी सियासत का एक पहलू यह भी है कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियां जाहिरी तौर पर उदारवादी और प्रगतिशील होती हैं और दिल से भी शायद हो लेकिन व्यावहारिक राजनीति उन्हें विचारधारा को अमलीजामा पहनाने से रोकती है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों खासकर गैर मुस्लिम आबादी को उनका हक दिलाने की बातें तो सब करते रहे हैं लेकिन इस तरफ वास्तव में कोई ठोस कदम उठाया गया हो, ऐसा कम ही देखने को मिलता है लेकिन पाकिस्तान के हुक्मरानों ने कुछ सकारात्मक कदम भी उठाए हैं। हिन्दू मैरिज बिल के बाद नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पाकिस्तानी वैज्ञानिक डा. अब्दुस्सलाम जो कादियानी समुदाय के थे, के नाम पर इस्लामाबाद में यूनिवर्सिटी के एक विभाग का नाम रखा गया। डा. अब्दुस्सलाम को पाकिस्तान में इस्लाम से खारिज कर दिया गया था। पाक पंजाब में चकवाल क्षेत्र में ऐतिहासिक कटासराज मन्दिर में आरती की गूंज सुनाई देती है।

कटासराज मन्दिर सिर्फ हिन्दुओं की श्रद्धा का केन्द्र नहीं है, मन्दिर के साथ ही लगा एक बौद्ध स्तूप और सिख हवेलियां अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी श्रद्धा का केन्द्र हैं। लाहौर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर चौक का नामकरण किया गया। पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब में तो हर वर्ष हजारों श्रद्धालु जाते हैं। कटासराज मन्दिर परिसर में वाटर फिल्ट्रेशन और प्लांट लगाया गया था। पाकिस्तान में कई पंजा साहिब ऐतिहासिक स्थान हैं जिनका ताल्लुक पुराने दौर से है और जो आज भी आबाद हैं।

पाकिस्तान की पत्रकार रीमा अब्बानी की किताब ‘पाकिस्तान के ऐतिहासिक मन्दिर’ उन ऐतिहासिक स्थानों से परिचित कराती है। रीमा की यह किताब पाकिस्तान का वह रुख दिखाती है जो आमतौर पर नजरों से ओझल रहता है। दरअसल पाक का अवाम भी भारत से मधुर रिश्ते कायम करने का समर्थक है। इतिहास गवाह है कि भारत ने पाक के कई गायकों, अभिनेताओं और साहित्यकारों का खैर मकदम किया है।

अगर दीवार कोई है तो वह है धार्मिक कट्टरपन। दर्शन लाल पिछले 20 वर्षों में पहले हिन्दू हैं जिन्हें पाकिस्तान सरकार में अहम रोल मिला है। उन्होंने भी जबरन धर्म परिवर्तन का मुद्दा बार-बार उठाया और कट्टर मुस्लिम सांसदों को करारा जवाब दिया था। पाक में अल्पसंख्यकों के हितों के लिए जो कुछ भी किया गया है वह खासतौर पर संयुक्त राष्ट्र के दबाव मेें उठाया गया कदम है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय मदद और एक सभ्य देश के तौर पर मुल्क की पहचान बनाए रखने के लिए चाहते या न चाहते हुए भी उसे कुछ कानून बनाने पड़े हैं।

दरअसल सियासी पार्टियां धार्मिक संगठनों के दबाव में रहती हैं। सियासी पार्टियां वोट काे देखते हुए अपने फैसले करती हैं। पाक में चुनाव होने वाले हैं, जाहिर है 35 लाख से ज्यादा अल्पसंख्यक वोटों को नजरंदाज कौन कर सकता है। इसका अर्थ सही है कि पाकिस्तान में हिन्दुआें और अल्पसंख्यकों का महत्व है। सिंध के 13 और पंजाब के 2 ​जिलों में अल्पसंख्यक ही चुनाव नतीजों को प्रभावित करते हैं। यहां तक इमरान को शिव के रूप में दिखाने पर जो तांडव हो रहा है, उसे शांत करने की जरूरत है। शिव तांडव तो बड़े-बड़ों को भस्म कर देता है। पाक हुक्मरानों को चाहिए कि हिन्दुओं की भावनाओं को आहत करने वालों को दंडित करें। पाक के हुक्मरान कट्टरपन छोड़ें और अवाम की आवाज सुनें।

Advertisement
Advertisement
Next Article