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क्या पाकिस्तान से युद्ध होना चाहिए?...

पहलगाम में जो दुर्घटना घटी, जिस बेदर्दी से लोगों को धर्म पूछ-पूछकर मारा…

11:18 AM May 03, 2025 IST | Kiran Chopra

पहलगाम में जो दुर्घटना घटी, जिस बेदर्दी से लोगों को धर्म पूछ-पूछकर मारा…

क्या पाकिस्तान से युद्ध होना चाहिए

पहलगाम में जो दुर्घटना घटी, जिस बेदर्दी से लोगों को धर्म पूछ-पूछकर मारा गया, दिल दहला देने वाली घटना है। जिन लोगों ने अपने सामने अपनों को मरते देखा है उनका दर्द तो कभी कम भी नहीं हो सकता परन्तु जिस साजिश के तहत इस घटना को अंजाम दिया गया वो बहुत ही भड़काने वाली है। यानि धर्म पूछना और मारना इससे बड़ी साजिश नहीं हो सकती। हम सदियों से जानते हैं भारत अनेकता में एकता वाला देश है, जिसमें मुस्लिम, हिन्दू, ईसाई, सिख सब मिलकर रहते हैं, कोई फर्क नहीं है। हमारे देश में अब्दुल कलाम, फखरुद्दीन अली अहमद जैसे राष्ट्रपति, हमीद अंसारी जैसे उपराष्ट्रपति और इद​रीस हसन लतफीस जैसे एयर चीफ मार्शल (1978 से 1981) रहे हैं। हर पोस्ट में हिन्दू, मुस्लिम, सिख हैं। कहीं छुटपुट हिंसा या आपसी मतभेद होते हैं तो उन लोगों में होते हैं जो पढ़े-लिखे नहीं या जिनको अपने स्वार्थ के लिए लड़ाया जाता है। पाकिस्तान के लोग हों या हिन्दोस्तान के लोग बहुत ही अच्छे हैं। आपस में प्यार से रहना चाहते हैं परन्तु राजनीति के स्पेशली जो पाकिस्तान की आर्मी है क्योंकि वहां स्थिरता नहीं है। कोई काम नहीं। आम लोगों की बुरी हालात है। 1947 से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच रिश्ते कभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुए, इसलिए पाकिस्तान बार-बार साजिश रचता है कि हिन्दोस्तान में हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर दंगे हों इसलिए भारतीय हिन्दू-मुस्लिम को समझदारी रखनी जरूरी है।

क्योंकि इस समय हर भारतीय का खून खौल रहा है और हम सब यही सोचते हैं कि पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का जवाब युद्ध से देना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान की जमीन से संचालित होने वाले कई आतंकी संगठन भारत पर हमले करते हैं। उरी और पुलवामा 2019 जैसे हमले हमारे सैनिकों और आम नागरिकों के लिए बहुत बड़ा जख्म रहे हैं। जब शांति की हर कोशिश के बावजूद पाकिस्तान अपनी नीतियां नहीं बदलता तो उसे कड़ा जवाब देना अनिवार्य हो जाता है।

यही नहीं सीमा पर बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करता है। सीमा पर गोलीबारी से हमारे सैनिक शहीद होते हैं और सीमा से सटे गांव भी प्रभावित होते हैं। बेकसूर लोग मारे जाते हैं, बिना युद्ध के सैनिक शहीद होते हैं। जब देश पर हमला होता या सैनिकों का अपमान होता है तब जनता की अपेक्षा होती है कि सरकार कड़ा कदम उठाए। कभी-कभी युद्ध जैसे विकल्प का सहारा लेना देश की प्रतिष्ठा और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए जरूरी हो जाता है।

अगर देखा जाए तो युद्ध में दोनों देशों का बहुत नुक्सान होगा। हजारों सैनिकों की जान जाएगी, आम नागरिक पीड़ित होंगे और सबसे महत्वपूर्ण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। युद्ध से विनाश होगा समाधान नहीं। यही नहीं आज भारत मोदी जी के नेतृत्व में एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है। हमें बेरोजगारी, गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों से लड़ना है न कि बंदूकों से। युद्ध से ध्यान असली समस्याओं से हट जाएगा। यही नहीं भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु हथियार सम्पन्न देश हैं। युद्ध की स्थिति में अगर यह हथियार प्रयोग हुए तो यह न केवल दोनों देशों में बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक त्रासदी होगी।

मेरा भी पहलगाम की घटना के बाद बहुत खून खोलता है। दिल करता है मैं भी अपने हाथ में बंदूक लेकर उन आतंकवादियों का खात्मा करूं जिन कायरों ने निहत्थे लोगों पर वार किया, पत्नी के सामने पति और बहन के सामने भाई, बच्चों के सामने पिता को बेदर्दी के साथ कत्ल किया। पांच-छह लोगाें की गंदी मानसिकता और देश में दंगे फैलाने की मानसिकता के कारण युद्ध हो यह भी गलत हो जाएगा, क्योंकि पाकिस्तान में बैठे लोग जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, भारत की उन्नति पर जलते हैं, उनके उकसाने या गलत हरकत से पूरे देश के लोगों का नुक्सान या अर्थव्यवस्था को बिगाड़ा नहीं जा सकता। दुश्मनी से केवल तनाव बढ़ता है लेकिन संवाद और सहयोग से समस्याओं का हल निकल सकता है। व्यापार, संस्कृति और आपसी समझ से रिश्ते सुधर सकते हैं। भारत को चाहिए पाकिस्तान से उन आतंकवादियों को मांगे और उनको सब के सामने सजा मिले।

युद्ध कोई खेल नहीं है। यह एक गम्भीर निर्णय है जिससे जान, सम्पत्ति और देश की दिशा दाव पर लगती है। हमें मजबूत रहना है, आतंकवाद और हमलों का जवाब देना भी जरूरी है परन्तु इसके लिए युद्ध को अंतिम विकल्प भी नहीं मानना है। शांति कोई कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी और दूरदर्शिता का प्रतीक है। भारत को शांति की ताकत और सुरक्षा की सख्ती दोनों का संतुलन बनाकर चलना होगा।

वैसे तो यह सब सरकार, मोदी जी और तीनों सेनाओं का निर्णय होगा। मैं तो अपने मन की बात लिख रही हूं कि भारत की कोई दुश्मनी किसी धर्म, विशेषकर इस्लाम से नहीं है। हमारे बहुत से मुस्लिम नेता हुए हैं और हैं। बहुत अच्छे हिन्दोस्तानी नागरिक हैं। हमारा विरोध आतंकवाद और पाकिस्तान की नीतियों से है न कि भारत में रहने वाले मुस्लिम या किसी भी धर्म से। भारत की विविधता ही उसकी शक्ति है। इसलिए पाकिस्तान से युद्ध की बात धर्म से जुड़ी नहीं, सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी है। भारत किसी से डरता नहीं, शांति हमारी प्राथमिकता है, पर राष्ट्र की रक्षा हमारा कर्त्तव्य है, युद्ध अंतिम विकल्प है।

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Kiran Chopra

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