श्री कृष्ण ने क्यों की 16 हजार शादियां? जानें इसके पीछे की वजह
Shri Krishna 16000 Raniyon ki Kahani: कल, यानी 16 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन श्रीकृष्ण से जुड़ी पौराणिक कथाओं का पाठ करना शुभ माना जाता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। यह उनका आठवां अवतार माना जाता है। श्रीकृष्ण का उद्देश्य धरती पर धर्म की रक्षा करना और लोगों को जीवन का सही मार्ग दिखाना था। उनके उपदेशों का सार हमें भगवद गीता में मिलता है।
Shri Krishna के जीवन से जुड़ी अनेक कहानियां
Shri Krishna 16000 Raniyon ki Kahani: श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी अनेक कहानियां हैं, जिनमें से एक प्रसिद्ध कथा उनके 16,000 विवाहों से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, एक बार राक्षस नरकासुर ने 16,000 राजकुमारियों को बंदी बना लिया और एक जेल में कैद कर दिया। जब यह बात श्रीकृष्ण को पता चली, तो उन्होंने नरकासुर से युद्ध किया, उसे पराजित किया और उन सभी कन्याओं को मुक्त कराया।
Raniyon ki Kahani
Shri Krishna 16000 Raniyon ki Kahani: हालांकि, मुक्त होने के बाद एक और समस्या सामने आई कई कन्याओं के परिजन युद्ध में मारे जा चुके थे, और बाकी ने सामाजिक लोक-लाज के भय से उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया। इस कठिन स्थिति में उन कन्याओं ने श्रीकृष्ण से सहायता मांगी और कहा कि अब उनके पास कोई सहारा नहीं है।
कन्याओं की रक्षा और सम्मान की खातिर श्रीकृष्ण ने 16,000 रूप धारण किए और सभी कन्याओं से विवाह कर लिया। कुछ कथाओं में यह भी बताया गया है कि जब कन्याओं को उनके परिवारों ने ठुकरा दिया, तो वे स्वयं श्रीकृष्ण को अपना पति मानने लगीं और उनकी सेवा में लग गईं।
इसके अलावा, श्रीकृष्ण की आठ मुख्य पत्नियां भी थीं, जिन्हें पटरानियां कहा जाता है। उनके नाम थे। रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती, कालिंदी, मित्रविंदा, भद्रा, लक्ष्मणा और सत्या। अगर आप इसे किसी विशेष शैली (जैसे समाचार लेख, ब्लॉग, स्क्रिप्ट आदि) में चाहते हैं, तो बताइए। उसी अनुसार रूपांतरण कर दूं।
Krishna Janmashtami 2025
Shri Krishna 16000 Raniyon ki Kahani: जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार ये दिन 16 अगस्त यानी कल शनिवार को है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। कहते हैं कि जब धरती पर पाप और अन्याय बढ़ गया था, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। उनका जन्म आधी रात को जेल में हुआ था। जन्माष्टमी उसी दिन की याद में मनाई जाती है, जब भगवान ने पाप का नाश करने और धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया था।
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जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की खुशी में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को बड़े ही श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस बार ये दिन 16 अगस्त yani शनिवार को पड़ रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। कहते हैं कि जब धरती पर पाप और अन्याय बढ़ गया था, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया। उनका जन्म आधी रात को जेल में हुआ था। जन्माष्टमी उसी दिन की याद में मनाई जाती है, जब भगवान ने पाप का नाश करने और धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया था।
भक्ति का माहौल
जन्माष्टमी के समय मंदिरों और घरों में विशेष तैयारियां की जाती हैं। मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों और फूलों से सजाया जाता है। जगह-जगह भजन-कीर्तन और धार्मिक झांकियां आयोजित की जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की झलकियां जैसे कि बाल लीला, माखन चोरी, रास लीला आदि को नाटकों और झांकियों आगे पढ़ें