'शुभांशु, आपका नाम और आपकी यात्रा – दोनों ही शुभ हैं', अंतरिक्ष यात्री शुभांशु से बोले PM मोदी
नई दिल्ली : भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान का हिस्सा बने वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद किया। अंतरिक्ष से जुड़े इस ऐतिहासिक पल में प्रधानमंत्री और अंतरिक्ष यात्री के बीच हुई यह बातचीत पूरे देश के लिए गौरव और प्रेरणा का क्षण बन गई।
प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से बात करते हुए कहा, “आज आप भले ही भारतभूमि से 400 किमी दूर अंतरिक्ष में हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी ‘शुभ’ है और आपकी यात्रा भी शुभ है। मैं आपको भारत का परचम अंतरिक्ष में लहराने के लिए बधाई देता हूं।” पीएम ने यह भी कहा कि जब वे शुभांशु से बात कर रहे हैं, तब यह केवल दो व्यक्तियों की नहीं बल्कि पूरे भारत की आवाज़ और भावना की अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री के सवालों का जवाब देते हुए शुभांशु ने कहा कि अंतरिक्ष में सब कुछ ठीक है और वे सभी के आशीर्वाद और प्यार से खुद को बहुत अच्छा महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मेरी पृथ्वी से ऑर्बिट तक की 400 किमी की यात्रा बेहद अहम है। जब मैंने भारत को अंतरिक्ष से देखा तो लगा कि हम जितना मानचित्र पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा भव्य है। वहां कोई बॉर्डर नहीं दिखता, बस एकता नजर आती है – हम सब एक हैं।”
"गाजर का हलवा साथियों को खिलाया?
प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत को हल्के-फुल्के अंदाज़ में आगे बढ़ाते हुए पूछा कि “क्या गाजर का हलवा जो आप अपने साथ लेकर गए थे, वह अपने साथियों को भी खिलाया?” इस पर शुभांशु ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि वे वहां के माहौल में खाने को शेयर कर रहे हैं और यह उनके लिए खास अनुभव है। शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में ज़ीरो ग्रेविटी की वजह से उन्हें अपने पैर बांधने पड़ते हैं, नहीं तो वो उड़ने लगते हैं। उन्होंने कहा कि वहां सोना भी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि ऐसे माहौल में माइंडफुलनेस और मेडिटेशन बहुत लाभकारी होता है और यह कठिन समय में मानसिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है।
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पीएम का सवाल: क्या कोई हेल्थ या एग्रीकल्चर से जुड़ा एक्सपेरिमेंट है?
प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु से पूछा कि क्या उनका कोई वैज्ञानिक प्रयोग स्वास्थ्य या कृषि क्षेत्र में मददगार हो सकता है। इस पर शुभांशु ने जवाब दिया, “बिल्कुल, मेरा एक्सपेरिमेंट हेल्थ और एग्रीकल्चर से जुड़ा है। हम जो डेटा और ऑब्जर्वेशन जुटा रहे हैं, उससे धरती पर वैज्ञानिक विकास को नई दिशा मिल सकती है।” प्रधानमंत्री ने चंद्रयान की सफलता और अब गगनयान मिशन की शुरुआत को भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा, “आपकी यात्रा देश के बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा और वैज्ञानिक सोच को नई ऊर्जा दे रही है।” जब पीएम मोदी ने शुभांशु से युवा पीढ़ी के लिए संदेश मांगा, तो उन्होंने कहा, “मैं यही कहूंगा कि सपने बड़े देखिए, और उन्हें साकार करने की कोशिश करते रहिए। सफलता का कोई एक रास्ता नहीं होता, लेकिन अगर आप प्रयास नहीं छोड़ेंगे तो मंज़िल जरूर मिलेगी।”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत को अपना स्पेस स्टेशन बनाना है और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट को उतारना है। उन्होंने शुभांशु से कहा कि उनके अनुभव आने वाले मिशनों के लिए बेहद उपयोगी होंगे। इस पर शुभांशु ने जवाब दिया कि वह हर पहलू का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं और अंतरिक्ष यात्रा से प्राप्त अनुभव को भविष्य के मिशनों में साझा करेंगे। बातचीत के समापन पर प्रधानमंत्री ने शुभांशु को शुभकामनाएं देते हुए कहा: “आप 28,000 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से काम कर रहे हैं, यह भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। यह भारत की विकसित राष्ट्र यात्रा को नई गति देगा और दुनिया के लिए अंतरिक्ष विज्ञान में नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा।”