Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

रिहाई के बाद सिख कैदी नंद सिंह ने भाई हवारा की रिहाई की रखी मांग

भारत सरकार में श्री गुरूनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर 8 सजायाफता सिख कैदियों को रिहा कर दिया है।

04:21 PM Nov 16, 2019 IST | Shera Rajput

भारत सरकार में श्री गुरूनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर 8 सजायाफता सिख कैदियों को रिहा कर दिया है।

लुधियाना-पटियाला : भारत सरकार में श्री गुरूनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के शुभ अवसर पर 8 सजायाफता सिख कैदियों को रिहा कर दिया है। रिहा किए गए अन्य सिख कैदियों में 57 वर्षीय गुरदीप सिंह खेड़ा, 42 वर्षीय नंद सिंह, 58 वर्षीय लाल सिंह, 55 वर्षीय हरजिंद्र सिंह काली, बलबीर सिंह और 78 वर्षीय वरियाम सिंह उर्फ ज्ञानी समेत शुबेग सिंह भी शामिल है। 
Advertisement
यह समस्त सिख कैदी पंजाब के काले दिनों के दौरान अलग-अलग केसों में गिरफतार करके सखीचों के पीछे पंजाब पुलिस व अन्य सुरक्षा बलों ने बंद किए थे। यह सभी सिख क ैदी अलग-अलग केसों में सजा भुगत रहे थे। इनमें से कईयों ने न्याय पालिका द्वारा घोषित सजाएं पूरी कर ली थी लेकिन जेल प्रशासन इन्हें रिहा नहीं कर रहा था। इन सिंहों की रिहाई के लिए लुधियाना में बापू सूरत सिंह खालसा समेत कई सिख जत्थेबंदियों ने काफी लंबे समय तक संघर्ष किया था।
रिहा हुए सिख कैदियों में से 2 सिख कैदी मेक्सिमम सिक्योरिटी जेल नाभा में बंद थे।  जिनमें पहला नाम 55 वर्षीय हरजिंद्र सिंह काली है, जोकि पहले ही अदालत से मिली पेरोल के कारण जेल से बाहर है। नाभा जेल से रिहा होने के लिए भेजी सूची में दूसरा नाम कैदी लाल सिंह का है, जोकि 1992 टाडा एक्ट दिल्ली और 1993-94 गुजरात मामलों में अपनी उम्रकैद की सजा काट रहा है। जैसे ही पंजाब की अन्य जेलों से सिख केदियों के रिहा होने की खबरें आने लगी तो नाभा जेल से लाल सिंह की रिहाई को लेकर मीडिया में काफी हलचल दिखी। देर रात तक प्रशासन द्वारा लाल सिंह की रिहाई के कोई भी आदेश जारी ना हो सके और ना ही मीडिया को इस संबंध में कोई जानकारी दी गई। 
हालांकि यह भी पता चला है कि लाल सिंह हर 6 माह के बाद 42 दिन पेरोल पर बाहर रहता है और बलबीर सिंह भी 28 दिन की पेरोल काटकर वापिस आया है। मिली जानकारी के मुताबिक बलबीर सिंह माता के देहांत के चलते 4 हफतों के लिए पेरोल पर बाहर आया था। इसके अतिरिक्त वरियाम सिंह और गुरदीप सिंह खेड़ा भी पेरोल पर बाहर आएं हुए बताए जा रहे है। 
इसी प्रकार के मामले में डिप्टी कमीश्रर के हुकम पर कैदियों की रिहाई जेल से हो जाती है, इसी लिए आज समस्त मीडिया डिप्टी कमीश्रर पटियाला कुमार अमित के साथ संपर्क करन की कोशिशें करते दिखा लेकिन उन्होंने भी मीडिया से दूरी बनाए रखी। इसी संबंध में जेल के सुपरीटेंड रमनदीप सिंह भंगु से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि कैदियों की रिहाई के लिए लाल सिंह का नाम सूची में अवश्य है लेकिन प्रशासन द्वारा लाल सिंह की रिहाई के लिए कोई भी आदेश उन्हें नहीं मिले। इस कारण उनकी रिहाई नहीं हो सकी।   
स्मरण रहे कि 53 वर्षीय प्रो. दविंद्र पाल सिंह भुल्लर को दिल्ली में हुए बम धमाके के आरोपों में गिरफतार किया गया था। इस गिरफतारी के बाद अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी, बाद में सिख संगठनों के संघर्ष के उपरंात फांसी की सजा को उम्र कैद में तबदील कर दी गई थी। प्रो. भुल्लर का संबंध बठिण्डा जिले के गांव दयालपुर भगता से है, जहां उनके घर के बंद पड़े किवाड़ों को उनके परिवारिक रिश्तेदारों द्वारा खोल दिए गए है और घर की साफ-सफाई जोरों पर है। भुल्लर को 11 सितंबर 1993 को तत्कालीन कांग्रेसी आगु मनिंद्रजीत सिंह बिटटा पर बम धमाके के हमले के आरोपों में गिरफतार किया गया था। वर्ष 2001 में भुल्लर को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में तबदील कर दिया गया। 
जबकि अन्य सिख कैदी नंद सिंह को 25 साल जेल में रहना पड़ा। सरकारी तौर पर प्राप्त जानकारी के मुताबिक लाल सिंह टाडा केस के अंतर्गत और शुबेक सिंह को आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत सलाखों के पीछे धकेला गया था। हरजिंद्र सिंह काली आजकल जमानत पर चल रहा है और वरियाम सिंह हरियाणा के रायपुर रानी में आईपीसी की धारा 302, 201 और 34 के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था।
इन सिख केदियों की रिहाई पर जहां शिरोमणि अकाली दल समेत अन्य सिख जत्थेबंदियों ने खुशी का इजहार करते हुए स्वागत किया वही इन बंदी सिंहों के गांवों और परिवारिक सदस्यों में खुशी का माहौल बताया जा रहा है। इसी संबंध में शिरोमणि अकाली दल टकसाली के वरिष्ठ आगु करनैल सिंह पीर मोहम्मद ने कहा कि चाहे यह फैसला सही है, लेकिन केंद्र ने बंदी सिंहों पर कोई भी रहम नहीं किया बल्कि यह सिख पहले ही जेलों में अपनी सजाएं पूरी कर चुके है। उन्होंने कहा कि अन्य बंदी सिंहों को भी उनका हक मिलना चाहिए जबकि दूसरी तरफ पटियाला जेल से रिहा होकर बाहर आए भाई नंद सिंह ने सरबत खालसा के जत्थेदार और स. बेअंत सिंह के हथियारे भाई हवारा को तिहाड़ जेल से रिहा किए जाने की मांग रखी है। 
– सुनीलराय कामरेड
Advertisement
Next Article