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मुजफ्फरपुर का पाप गृह

बिहार की सभ्यता और संस्कृति कितने चरम उत्कर्ष पर थी। बिहार को शिक्षित और बुद्धिजीवी लोगों का राज्य माना जाता रहा है लेकिन मुजफ्फरपुर बालिका गृह

12:44 AM Jul 28, 2018 IST | Desk Team

बिहार की सभ्यता और संस्कृति कितने चरम उत्कर्ष पर थी। बिहार को शिक्षित और बुद्धिजीवी लोगों का राज्य माना जाता रहा है लेकिन मुजफ्फरपुर बालिका गृह

बुद्ध के बोधित्सव का बिहार,
महावीर की प्रज्ञा का बिहार,
गुरु गोबिन्द सिंह की जन्मस्थली का बिहार,
नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालयों का​ बिहार,
चाणक्य, चन्द्रगुप्त, अशोक और वैशाली के गणतंत्र का विहार।
बिहार की सभ्यता और संस्कृति कितने चरम उत्कर्ष पर थी। बिहार को शिक्षित और बुद्धिजीवी लोगों का राज्य माना जाता रहा है लेकिन मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले ने बहुत से सवाल खड़े कर दिए हैं। मुजफ्फरपुर बालिका गृह को पाप गृह में परिवर्तित कर दिया गया। अब छन-छनकर खबरें बाहर आ रही हैं। प्रशासन और अधिकारियों के संरक्षण में बालिकाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा था, इसीलिए लम्बे समय से इस खेल का पर्दाफाश सरकार की एजैंसी नहीं कर सकी। जबकि एक निजी एजैंसी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के सर्वे में यह प्रकरण सामने आ गया। दिल्ली में एक निर्भया कांड से पूरा देश दहल गया था लेकिन मुजफ्फरपुर में 29 बच्चियों के साथ दुष्कर्म की मैडिकल जांच में पुष्टि के बाद भी सुशासन बाबू यानी नी​तीश कुमार चुप्पी साध रहे हैं।
सुशासन बाबू नहीं चाहते थे कि इस प्रकरण की सीबीआई जांच हो लेकिन बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में हंगामे और संसद में मामले की गूंज के बाद नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल उठने लगे थे। 14 वर्षों से शासन कर रहे नीतीश कुमार पर आरोप लगाया गया कि इस घटना से साबित हो गया है कि वे अपने राज्य की बालिकाओं की अस्मिता बचाने में ​विफल रहे हैं। हर मामले में सीबीआई जांच देने में देर न करने वाले नीतीश कुमार कहीं न कहीं इस मामले में चूक रहे थे लेकिन अंततः विपक्ष के दबाव में उल्टे इस मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा करने को मजबूर होना पड़ा। अब तो एक आडियो वायरल हुआ है जिसमें बाल संरक्षण इकाई के दो पदाधिकारियों की बातचीत है। बातचीत में राज्य की समाज कल्याण विभाग मंत्री मंजू शर्मा के पति का नाम आया है। वायरल आडियो में दोनों पदाधिकारी मंत्री के पति के बार-बार बालिका गृह में जाने पर नाराजगी जताते हैं। इतना ही नहीं वो अधिकारियों को जांच रुकने को बोलकर खुद ऊपर चले जाते थे। अब सवाल उठ रहा है कि मंत्री के पति किस हैसियत से बालिका संरक्षण गृह में जाते थे और निरीक्षण के दौरान क्या-क्या देखते थे। आडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि की जानी भी जरूरी है।

बालिका संरक्षण गृह की बच्चियों ने जो खुलासे किए हैं, वे चौंकाने वाले तो हैं ही, शर्मसार कर देने वाले भी हैं। स्कैंडल का मास्टरमाईंड ब्रजेश ठाकुर और अन्य जिनमें एनजीओ के कर्मचारी भी शामिल थे, लड़कियों से बलात्कार करते रहे। लड़कियों को नग्न कर उनके शरीर को सिगरेटों से दागा जाता था। नशे की गोलियां दी जाती थीं। इन्कार करतीं तो उनसे मारपीट की जाती थी। लड़कियों के जेहन में वे खौफनाक यादें अभी तक कैद हैं जिनकी याद आते ही वह सिहर उठती हैं। उनके शरीर पर दर्जनों दाग अभी भी कुकर्मों की कहानी कह रहे हैं। बालिका गृह में तीन बालिकाओं की मौत की पहेली भी अभी अनसुलझी है। बालिका गृह के संचालन की जिम्मेदारी सेवा संकल्प समिति को 2013 में सौंपी गई थी। लड़कियों के साथ दुर्व्यवहार का मामला अब जाकर उजागर हुआ है लेकिन लड़कियों ने जो बयान दर्ज कराए हैं उनके मुताबिक यह सब काफी पहले से होता रहा है। पांच साल में निरीक्षण तो कई बार हुआ लेकिन हर बार जांच को ‘ओके’ करार दिया गया। जांच केवल कागजों पर ही होती थी। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंस की रिपोर्ट भी समाज कल्याण विभाग ने ढाई महीने दबाए रखी। आखिर क्यों इस रिपोर्ट को दबाए रखा गया?

अब गिरफ्तारियां हो रही हैं। इतना बड़ा सैक्स स्कैंडल बिना राजनीतिक संरक्षण के हो ही नहीं सकता। आरोपियों को किस-किस का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, उनको भी समाज के सामने नग्न करना जरूरी है। राज्य की समाज कल्याण मंत्री मंजू शर्मा भले ही यह कहें कि अगर उनके पति पर आरोप सिद्ध हो जाए तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगी लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकतीं। वैसे तो बिहार जंगलराज देख चुका है जिसमें लूट, हत्या, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं आम हो गई थीं। दिनदहाड़े अच्छे घरों की बेटियां उठा ली जाती थीं और प्रशासन सोया रहता था। क्या पत्रकार नगर कांड को भुलाया जा सकता है? क्या शिल्पा जैन कांड को भुलाया जा सकता है? क्या चम्पा विश्वास कांड को भुलाया जा सकता है? बच्चों का अपहरण उद्योग हो गया था। यह सब राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और पुलिस की मिलीभगत से होता रहा।

नीतीश शासन में जघन्य घटनाक्रम की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। सीबीआई जांच भी निष्पक्ष होनी चाहिए क्योंकि सीबीआई को ब्रम्हेश्वर मुखिया हत्याकांड हो या मुजफ्फरपुर का नवरना हत्याकांड हो या सृजन स्कैम, सब में निराशा ही हाथ लगी है। जांच एजैंसी पर भी एक नहीं कई काले धब्बे हैं। राज्य सरकार को अपनी साख बचानी है तो मुजफ्फरपुर पाप गृह के पापियों को जेल की सलाखों तक पहुंचाना ही होगा अन्यथा सुशासन बाबू का इकबाल खत्म हो जाएगा।

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