कश्मीर से ताल्लुक रखने वाले सिंगर Raj Pandit ने आखिर कैसे तय किया फिल्म Tanvi The Great तक का सफर?
Question: आपका प्रैक्टिस शेड्यूल कैसा होता है?
Answer: कोई तय “सरगम‑पाठ” नहीं होता है, पर हर दिन कुछ न कुछ गाता हूं, कभी स्टूडियो में स्क्रैच वोकल, कभी मनपसंद आलाप। Salim‑Sulaiman के हर नए गाने का गाइड ट्रैक भी मैं ही रिकॉर्ड करता हूं, वही मेरा रोज़ का रियाज़ है।
Question: म्यूजिक इंडस्ट्री में ऐसे कौन से कलाकार हैं, जो आपकी इंस्पिरेशन है और जिन्हें आप अपना गुरु मानते हैं?
Answer: Salim‑Sulaiman मेरे गुरु हैं और ए.आर. रहमान सर की हर धुन मेरे लिए इंस्पिरेशन है। सिंगर्स की बात करूं तो सोनू निगम, श्रेया घोषाल, सुनिधि चौहान और अरिजीत सिंह इन सभी से मैंने बहुत कुछ सीखा है।
Advertisementबचपन से संगीत की दुनिया में कदम रखने वाले राज पंडित (Raj Pandit) आज इंडियन म्यूजिक इंडस्ट्री के होनहार सिंगर और म्यूज़िक प्रोड्यूसर्स में गिने जाते हैं। घर में संगीत का माहौल, मां नीरजा पंडित जैसी लोकगायिका और पिता रजत पंडित जैसे फिल्ममेकर की छाया में पले-बढ़े राज ने बहुत कम उम्र में मंच पर परफॉर्म करना शुरू कर दिया था। बाल कलाकार से लेकर मशहूर संगीतकार बनने तक का उनका सफर लगन, सच्ची मेहनत और सही मार्गदर्शन का जीता-जागता उदाहरण है।
इस खास बातचीत में उन्होंने अपने बचपन की यादों से लेकर "तन्वी द ग्रेट" जैसे प्रोजेक्ट्स और आज के दौर में सोशल मीडिया के प्रभाव तक, हर पहलू को बेबाकी से साझा किया है। चलिए जानते है PunjabKesari.com के साथ खास बातचीत में राज पंडित (Raj Pandit) ने क्या कुछ कहा:
Raj Pandit Exclusive
Question: संगीत का बीज कब और कैसे अंकुरित हुआ
Answer: मेरी मां नीरजा पंडित कश्मीरी लोकगायिका हैं। दो‑ढाई साल की उम्र से मैं तुंबकनारी, तबला और कई सारे इंस्ट्रूमेंट्स खिलौने की तरह बजाने लगा था। इसके बाद मैंने पांच साल में बाक़ायदा तबला सीखा, फिर ज़ाकिर हुसैन साहब के इंस्टिट्यूट में गया। वही से मेरी म्यूजिक जर्नी की शुरुआत हुई।
Question: इतनी कम उम्र में रोज़ाना रियाज़ कितना मुश्किल था?
Answer: कई बार उंगलियों में दर्द होता था और आंखों में आंसू आ जाते आते थे, लेकिन घर पर नियम सख्त था दिन में कम‑से‑कम आधा घंटा रियाज़ ज़रूर करना है। आज समझ आता है कि वही रियाज़ स्टेज और स्टूडियो में काम आता है।
Question: इंडस्ट्री में परिवार की पहचान होने से क्या लगता है कि चीज़ें थोड़ी आसान हो जाती है?
Answer: यह सच है कि मेरे पिता के एक फ़िल्ममेकर और मां के एक गायिका होने से मुझे सही मेंटर्स मिलें है, मगर मुझे हमेशा समझाया गया कि मेहनत न करो तो यह दरवाज़ा बंद भी हो सकता है।
Question: म्यूजिक प्रोडक्शन की तरह कब इंटरेस्ट शुरू हुआ?
Answer: सात‑आठ साल का था, जब मां नदीम‑श्रवण की रिकॉर्डिंग पर गई थीं। वहां तौसीफ़ अख़्तर अंकल ने मेरी ताल‑समझ नोटिस की और पियानो, म्यूज़िक‑प्रोडक्शन सीखने की सलाह दी। तब से ट्रैक्स बनाता आया हूं।
Question: क्या आपको लगता है कि सोशल मीडिया की वजह से यंग टैलेंट्स को लिए कई दरवाजे खुल गए है?
Answer: बिल्कुल। अब बड़े स्टूडियो की ज़रूरत नहीं है, आज-कल एक वायरल रील भी लोगों को मौक़े दिला सकती है। लेकिन टिके रहना तभी संभव है जब हुनर और लाइव परफॉर्मेंस मज़बूत हों।
Question: तन्वी द ग्रेट में आवाज़ देने का मौक़ा कैसे मिला?
Answer: अनुपम खेर सर ने एम.एम. कीरवाणी जी को मेरा सैंपल भेजा। इसके बाद हैदराबाद बुलाकर उन्होंने ऊंचे सुर सुनवाए, एयरपोर्ट लाउंज से भी डेमो भेजा! बस ऐसे ही ये गाना रिकॉर्ड हुआ और रिकॉर्डिंग काफी मैजिकल रही। यहीं वजह है कि गाना “सोचे आसमान, पूछे ये ज़मीन…” मेरे दिल के काफ़ी क़रीब है।
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Question: अपकमिंग प्रोजेक्ट में क्या-क्या पाइपलाइन में है और क्या फ्यूचर में कभी एक्टिंग का मौका मिला तो हाथ आज़माना चाहेंगे?
Answer: फिलहाल दो‑तीन इंडी सिंगल और एक हिंदी और एक गुजराती फ़िल्म के सॉन्ग लाइन अप में हैं। एक्टिंग में इंटरेस्ट है, पर मौका मिला तो पूरी तैयारी के साथ ही कैमरा फेस करूंगा।
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