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दिल्ली तलब किए गए सिंहदेव

01:07 AM Nov 26, 2023 IST | त्रिदीब रमण

सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस शीर्ष छत्तीसगढ़ में अपने उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव से बेतरह नाराज़ हैं, अभी हालिया संपन्न हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में सिंहदेव की भूमिका को लेकर सवालिया निशान लगे हैं, पार्टी को यह खबर मिली है कि भाजपा को फायदा पहुंचाने की नीयत से सिंहदेव ने राज्य की आधा दर्जन से भी ज्यादा सीटों पर अपने वफादारों को निर्दलीय मैदान में उतार दिया और अंदरखाने से उनकी मदद करते रहे। सिंहदेव जानते हैं कि इस दफे राज्य में कांग्रेस व भाजपा में कांटे की लड़ाई है और जब नतीजे आएंगे तो 5-6 सीटों से भी सत्ता का गणित बदला जा सकता है। जब यह भनक दिल्ली को लगी तो मल्लिकार्जुन खड़गे ने फौरन सिंहदेव को दिल्ली तलब कर उनकी क्लास लगाई, खड़गे ने कहा-’ पार्टी ने इतना कुछ दिया है आपको, आपको उप मुख्यमंत्री भी बनाया, पर आप बदले में पार्टी को क्या सिला दे रहे हैं?’ पलटवार करते हुए सिंहदेव ने कहा-’पर राहुल जी का वादा तो मुझे ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने का था, उस वादे का क्या हुआ?’ खड़गे अपने क्षत्रप से बस इतना ही कह सके-’ आपने ऐसा काम किया है कि आप पर भरोसा करना ही मुश्किल है?’ सिंहदेव रायपुर लौट आए हैं, उन्हें 3 दिसंबर का इंतजार है, जब चुनावी नतीजे आएंगे, कांग्रेस शीर्ष की भी सियासी ऊंट पर नज़र है कि जाने वह कौन सी करवट लेगा।
विक्रमादित्य और प्रियंका
पिछले दिनों प्रियंका ने हिमाचल राज परिवार के वारिस और रानी प्रतिभा सिंह के पुत्र और हिमाचल सरकार में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात की। इस मुलाकात में विक्रमादित्य ने प्रियंका को याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें सीएम बनाने का वायदा हुआ था। सूत्रों की मानें तो इसके बाद प्रियंका ने उनके समक्ष साक्ष्य प्रस्तुत किए कि कैसे वह हिमाचल में अपनी समानांतर लॉबी चला रहे हैं, उनके तार कहीं न कहीं भाजपा नेताओं से भी जुड़े हुए हैं, पिछले दिनों उन्होंने दिल्ली आकर गुपचुप भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री से लंबी मुलाकात भी की थी। इस बात को विक्रमादित्य झुठला नहीं पाए, तब प्रियंका ने उनसे दो टूक कहा-’आप नौजवान हैं, अभी आपकी बहुत राजनीति बाकी है, अभी आपको बहुत आगे जाना है, कम से कम पार्टी से बेवफाई करने की न सोचें।’ प्रियंका की बातों का कोई जवाब नहीं था विक्रमादित्य के पास।
मंत्री जी मांगें स्वीमिंग पूल
इन युवा केंद्रीय मंत्री का हाल-फिलहाल में ही विभाग बदला गया, इन्हें इनकी उद्दात महत्वाकांक्षाओं की भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है, पर दिल है की मानता नहीं, न तो इन्होंने पेजथ्री पार्टियों में झिलमिलाना छोड़ा और न ही सदैव चर्चा में बने रहने की अपनी आदतों को ही विराम दिया। हद तो तब हो गई जब मंत्री जी ने एनडीएमसी को एक पत्र लिख कर दिल्ली के लूटियंस जोन स्थित अपने बंगले में एक स्वीमिंग पूल बनाने की इजाजत मांग ली। इसके पीछे तर्क देते हुए मंत्री जी ने अपने पत्र में कहा कि उनके डॉक्टरों ने खास कर उनके फीजियोथेरेपिस्ट ने उन्हें नियमित रूप से तैरने की सलाह दी है, इसीलिए वे अपने घर एक स्वीमिंग पुल बनवाना चाहते हैं।’ एनडीएमसी ने यह पत्र नगर विकास मंत्री के दफ्तर भेज दिया और वहां से वह पत्र पीएमओ के संज्ञान में लाया गया। फिर मंत्री महोदय तलब किए गए और उन्हें बताया गया कि इससे पहले भी दो नेताओं ने अपने सरकारी आवास पर स्वीमिंग पूल बनवाए थे, पर इसके बाद उन दोनों के राजनैतिक कैरियर भी उन्हीं पूल में बह गए। क्या आपने इस वाकये से कोई सीख नहीं ली है? मंत्री जी इस पर बेतरह झेंप गए, उन्होंने बचाव की मुद्रा अख्तियार करते हुए कहा कि इस पत्र के लिए वे बेहद शर्मिंदा हैं, क्योंकि उनकी जानकारी के बगैर ही उनकी पत्नी व बच्चों ने यह पत्र एनडीएमसी को भिजवा दिया था।’
महुआ का क्या होगा?
महुआ मोइत्रा और निशिकांत दुबे के बीच जब से तलवारें तनी हैं और ‘कैश फॉर क्वेरी’ का मामला सुर्खियां बटोर रहा है, लंबी चुप्पी के बाद इस बार ममता बनर्जी सामने आई हैं और वह भी महुआ के बचाव में। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि दीदी महुआ से इस बात को लेकर नाराज़ हैं कि इस तृणमूल सांसद ने दिल्ली में पार्टी के बजाए खुद को आगे बढ़ाया है। पर दीदी की सरकार ने आनन-फानन में पश्चिम बंगाल में ताजपुर पोर्ट को विकसित करने के लिए अडानी ग्रुप को दिए गए 25 हजार करोड़ रुपए के प्रोजैक्ट को रद्द कर इसका नया टेंडर जारी करने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही महुआ को भी नदिया जिले में पार्टी संगठन को मजबूत करने की महती जिम्मेदारी मिली है। पिछले दिनों जब महुआ कोलकाता में थीं तो अभिर्षक बनर्जी ने उन्हें मिलने के लिए अपने घर बुलाया, महुआ फूल-मिठाई व केक लेकर अभिर्षक के घर पहुंची और नदिया जिले की जिम्मेदारी दिए जाने के लिए उनका आभार जताया। अभिर्षक ने इस बातचीत में महुआ से साफ-साफ कहा-’ पार्टी एक परिवार की तरह होती है और परिवार में हर सदस्य की भूमिकाएं बदलती रहती हैं, सो सदस्य को पार्टी जो भी जिम्मेदारी दे उसे सहर्ष स्वीकार कर इसे एक चुनौती की तरह लेना चाहिए।’ इशारों ही इशारों में अभिषेक ने महुआ को बता दिया कि ’कोई जरूरी नहीं कि उन्हें हर बार लोकसभा का चुनाव ही लड़वाया जाए, उन्हें पार्टी संगठन की सेवा में भी भेजा जा सकता है’, समझदार के लिए इशारा काफी है।
जब निशंक को लगा डंक
अपनी राजनैतिक निर्वासन की पीड़ा झेल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक मौजूदा हालात से बेहद परेशान हैं, इसके निवारण के लिए पिछले दिनों वह भाजपा के एक दिग्गज नेता से मिलने जा पहुंचे और बातों ही बातों में उन्होंने राजनीति के चाणक्य को अपनी बातों से बरगलगाने की काेशिश की, कहा-’ उत्तराखंड में सब ठीक नहीं चल रहा है, वहां मुख्यमंत्री नौसिखयों की तरह सरकार चला रहे हैं, सो वहां सरकार में ऐसे चेहरों को शामिल करना चाहिए जिससे सरकार का चेहरा फ्रेश लगे व शासन चलाने में निपुणता आए।’ दिग्गज नेता ने मुस्कुराते हुए निशंक की हर शिकायत पर कान धरे और उनसे कहा-’अब जरा आप सुझाव दीजिए कि आपकी सीट पर हमें क्या नया करना चाहिए?’ थोड़े हडबड़ा गए निशंक, अटकते लफ्जों में कहा-’ मेरी सीट पर इस बार मुकाबला हरीश रावत से होगा, लड़ाई कठिन होगी।’ दिग्गज नेता ने चुटकी लेते हुए कहा कि’ फिर तो आपकी सीट पर भी हमें कोई नया व फ्रेश चेहरा ही उतारने की सोचना होगा।’ इस बात का निशंक के पास कोई माकूल जवाब नहीं था।
...और अंत में
सियासी बियावां में डाले जाने के बावजूद गांधी परिवार के एक और देदीप्यमान चिराग वरुण गांधी भी नेपथ्य के धूलकणों से अपने ललाट पर सुर्खियां लिखना और बटोरना जानते हैं, भाजपा के सांसद होने के बावजूद भी वह किसानों व नौजवानों के लिए खुलकर अपनी बात रखने के लिए जाने जाते रहे हैं। अभी पिछले दिनों पीलीभीत की कई जनसभाओं में उनका एक शेर सुर्खियों की सवारी गांठता रहा, अर्ज किया है-’
तेरी मोहब्बत में हो गए फ़ना
मांगी थी नौकरी, मिला आटा, दाल चना’।
सोशल मीडिया पर उनका यह शेर कुछ इस कदर वायरल हुआ कि आनन-फानन में इसे 19 करोड़ इम्प्रेशन मिल गए, तेलांगना से लेकर राजस्थान की चुनावी सभाओं में इस शेर का जमकर इस्तेमाल हुआ, तेलंगाना में कांग्रेसी नेताओं ने इसे चंद्रशेखर राव के खिलाफ इस्तेमाल किया वहीं राजस्थान में इसे सीएम गहलोत के खिलाफ इस्तेमाल किया गया। विद्रोही स्वर की तान छेड़ने वाले वरुण का यह शेर क्या दिल्ली के निज़ाम की ओर भी इशारा कर रहा है?

-– त्रिदीब रमण

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