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हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन BJP में शामिल हो गईं हैं जिसके बाद उन्होंने बिना नाम लिए ही अपने ही परिवार यानिकि सोरेन परिवार पर जमकर हमला बोला है। सीता सोरेन ने मंगलवार को BJP का हाथ थामा था जिसके बाद उन्होंने कहा कि यदि मैंने अपना मुंह खोला तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट किया कि, ''स्व. दुर्गा सोरेन के नाम की दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग मुंह में उंगली नही डालें, मैंने और मेरे बच्चों ने मुंह खोला तो भयावह सच्चाई उजागर होगी. कितनों की राजनीतिक सत्ता सुख का सपना चूर चूर हो जाएगा. झारखंड की जनता उन पर थूकेगी, जिन्होंने दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाने की साजिश की।''
मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। 1/7
— Sita Soren (@SitaSorenMLA) March 20, 2024
वह सिर्फ यहीं नहीं रुकीं उन्होंने पोस्ट में आगे कहा, ''मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया। ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपने बेटियों को कैसे पाला है। मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था। मैंने न केवल एक पति खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया। मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है। यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है।''
मैं समस्त झारखंडवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में। 5/7
— Sita Soren (@SitaSorenMLA) March 20, 2024
BJP में शामिल हुईं सीता सोरेन एक और पोस्ट करते हुए उसमें लिखा, ''जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है। मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा थी। मेरा निर्णय भले ही दुःखदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था। मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज़ सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चे रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। मैं समस्त झारखंड वासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को एक व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में।'' उन्होंने आगे कहा कि, ''झारखंड और झारखंडियों के लिये अपने जीवन का बलिदान देने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की आज दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से विनती है कि मेरे मुँह में अंगुली ना डालें।''