आर्टिकल में बताई गई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. Punjabkesari.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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आज के समय में लोगों को रात में नींद न आने की समस्या आम हो गई है।ये समस्या किसी भी उम्र में और कई कारणों से हो सकती है। हालांकि, अगर ये दिक्कत लंबे समय तक बनी रहती है तो इसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत माना जा सकता है। कुछ स्थितियों में इसको गंभीर बीमारियों का संकेत भी माना जाता है जिसको लेकर आपको विशेष सावधानी बरतने की जरूरी हो जाती है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी उम्र के लोगों के लिए जरूरी है कि आप रोज रात में कम से कम 6-8 घंटे की नींद जरूर लें। अगर आपको अक्सर नींद लेने में कठिनाई होती है तो इस बारे में समय रहते विशेषज्ञ की सलाह लेना आवश्यक हो जाता है। कुछ स्थितियों में नींद न आने की समस्या को शरीर में बन रहे गंभीर रोगों के कारण के तौर पर देखा जाता है जिसका समय पर उपचार जरूरी हो जाता है।ज्यादातर बच्चों में समस्या का पता लगाने के दौरान पाया गया कि वह तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं और चिकित्सा समस्याओं के शिकार थे। विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों-वयस्कों में नींद न आने की समस्या के कारण शारीरिक-मानसिक दोनों प्रकार की सेहत पर गंभीर असर हो सकता है।आइए जानते हैं कि किन स्वास्थ्य समस्याओं के कारण नींद प्रभावित हो सकती है?
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं नींद न आने का एक सबसे बड़ा कारण हैं कि बच्चों-वयस्कों की जीवनशैली, दिनचर्या, शारीरिक गतिविधियों में कमी और उनके आस-पास के नकारात्मक वातावरण के कारण अवसाद और चिंता के मामले बढ़ सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य की इन समस्याओं के कारण नींद न आने की दिक्कत सबसे प्रमुख रूप से देखी जाती है। स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का समय पर उपचार बहुत आवश्यक है।
पेट और पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करने वाले लोगों को स्वस्थ लोगों की तुलना में कम नींद का अनुभव हो सकता है। पाचन विकार शारीरिक और मानसिक असहजता को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं, जिससे रात में सोना कठिन हो सकता है। इतना ही नहीं आपकी नींद जितनी ज्यादा प्रभावित रहती है, पाचन स्वास्थ्य की दिक्कतों के बढ़ने का खतरा भी उतना ही अधिक हो सकता है, इसलिए नींद की समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम काफी कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है, ये आपमें नींद से संबंधित समस्याओं का भी कारण बन सकती हैं। स्लीप एपनिया, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, अनिद्रा और पैरासोमनिया जैसी न्यूरोलॉजिकल स्थितियां नींद की गुणवत्ता में बाधा डाल सकती हैं और इसके लक्षणों को बढ़ा सकती हैं।