आखिर कौन है Delhi Gate का मालिक ? क्यों बनवाया गया था इसे ? जानिए सभी दिलचस्प सवालों के जवाब
भारत की राजधानी दिल्ली में कई प्राचीन जगह है, जो अपने खास वजहों से मशहूर है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली गेट का असली मालिक कौन है ? इसे कब और क्यों बनाया गया था ? आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प तथ्यो को, जिसकी जानकारी शायद ही आपको पता हो। तो चलिए आगे बढ़ते हैं।
राजधानी दिल्ली को कोई दिलवालों को शहर कहता है, तो कोई दरवाजों का शहर भी कहता है। क्योंकि यहां कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट, लाहौरी गेट, इंडिया गेट जैसे कई प्राचीन दरवाते हैं जो अपने ओर खींचते हैं। इसका इतिहास इतना पुराना और दिलचस्प है कि आप भी जानकर दंग रह जाएंगे। आज हनम आपको इसी से जुड़ी तमाम बातों को बताने जा रहे हैं। आगे जानने से पहले क्या आप ये जानते हैं कि दिल्ली गेट का मालिक कौन है ? और इसे कब और क्यों बनवाया गया था ?
आपको बता दें कि दिल्ली गेट को मुगल बादशाह शाहजहां ने 1638 में बनवाया था। ये 14 दरवाजों में से एक है, जिसे बादशाह ने बनवाया था। इस दरवाजे का प्रयोग तब किया जाता जब नमाज अदा करना होता है। ये दरवाजा को पहले हाथी-पोल कहा जाता था। क्योंकि ये उस समय मुख्य प्रवेश द्वार था, जो लाल किले को शहर से जोड़ता था। इसी कारण इसका नाम दिल्ली गेट पड़ा। अब ये जगह दरियागंज के नाम से जाना जाता है। हां कोई बड़ी घटना दर्ज नहीं। कहा जाता है कि 1803 में हुए पड़पड़गंज युद्ध के बाद लार्ड लेक इसी द्वार से शहर में दाखिल हुआ और शाह आलम से जाकर मिला था। हालांकि कुछ इतिहासकारों में इसे लेकर मतभेद है।
अब यह केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग इसकी देखरेख करता है। इसके संरक्षण का काम करता है। देश के जितने भी प्राचीन स्मारक और पुरातत्वीय स्थल हैं, उन सबके रखरखाव का जिम्मा एसआई के पास ही है। प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्वीय गतिविधियों को संचालित करता है।