ड्रोन तकनीक से सोलर क्रांति: चीन बदल रहा है दुर्गम पहाड़ों को ऊर्जा केंद्रों में
बीजिंग : दुनिया में सबसे ज्यादा सोलर पावर उत्पादन करने वाला देश चीन अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई क्रांति की ओर अग्रसर है। नवीनतम तकनीकों के सहारे अब वह पहाड़ों, रेगिस्तानों और अन्य दुर्गम इलाकों को भी नवीकरणीय ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों में तब्दील कर रहा है। इस मिशन में सबसे अहम भूमिका निभा रही है ड्रोन तकनीक। हाल ही में सामने आई जानकारी के अनुसार, चीन के शांक्सी प्रांत में बड़े पैमाने पर ड्रोन के माध्यम से सोलर पैनलों की इंस्टॉलेशन की जा रही है। यह अभियान देश के उस राष्ट्रीय ऊर्जा मिशन का हिस्सा है, जिसके तहत चीन 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा का 35% हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखता है।
ड्रोन से पहाड़ों में इंस्टॉलेशन अब आसान
पहाड़ों और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में सोलर पैनल स्थापित करना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रहा है। भारी मशीनों और श्रमिकों को ऐसे इलाकों में ले जाना न केवल कठिन, बल्कि बेहद खर्चीला भी होता है। लेकिन चीन ने अब इस चुनौती का समाधान ड्रोन के जरिए निकाल लिया है। ड्रोन पहले इन क्षेत्रों की सटीक मैपिंग करते हैं और फिर तय स्थानों पर सोलर पैनलों को पहुंचाकर उनकी इंस्टॉलेशन भी करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रक्रिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ड्रोन ज्यादा कुशलता और गति से काम कर पा रहे हैं। इससे न सिर्फ लागत में कटौती हो रही है, बल्कि इंस्टॉलेशन की गति भी कई गुना बढ़ गई है।
शांक्सी से इनर मंगोलिया तक फैला नेटवर्क
चीन ने इस तकनीक को कई पायलट प्रोजेक्ट्स में सफलता के साथ आजमाया है और अब इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है। शांक्सी के अलावा गांसू, सिचुआन और इनर मंगोलिया जैसे पहाड़ी और रेतीले इलाके भी इस तकनीक के माध्यम से सौर ऊर्जा के प्रमुख केंद्र बनते जा रहे हैं।
वैश्विक सौर ऊर्जा पर चीन की पकड़
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने वर्ष 2024 में वैश्विक सोलर पैनल उत्पादन में लगभग 60% हिस्सेदारी दर्ज की है। चीन न सिर्फ सबसे बड़ा सोलर पैनल निर्माता है, बल्कि सबसे बड़ा इंस्टॉलर भी बन चुका है। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ और चाइना डेली के अनुसार, इन मेगा सोलर प्रोजेक्ट्स से भविष्य में लाखों घरों को साफ ऊर्जा उपलब्ध कराई जा सकेगी। साथ ही कोयला आधारित बिजली पर निर्भरता में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।
बाकी देश अभी पीछे
जहां अमेरिका, यूरोप और भारत जैसे देश भी नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दे रहे हैं, वहीं उत्पादन क्षमता, लागत नियंत्रण और तकनीकी नवाचार के मामले में चीन अब भी सबसे आगे चल रहा है। चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले पांच वर्षों में ड्रोन और AI तकनीक के जरिए पहाड़ी क्षेत्रों में सोलर फार्म के विकास की रफ्तार कई गुना बढ़ेगी।
ड्रोन तकनीक से सोलर क्रांति कैसे लाई जाती है?
ड्रोन तकनीक ने सौर ऊर्जा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया है, खासकर उन इलाकों में जहां पारंपरिक तरीके से सोलर पैनल लगाना मुश्किल होता है। ड्रोन सबसे पहले किसी क्षेत्र की 3D मैपिंग करते हैं, जिससे इलाके की भौगोलिक संरचना, सूरज की दिशा और स्थान की उपयुक्तता का विश्लेषण किया जा सके। इसके बाद ड्रोन सोलर पैनलों को ऊंचे-नीचे, पथरीले या दुर्गम स्थानों तक पहुंचाते हैं। कुछ एडवांस ड्रोन न केवल पैनल पहुंचाते हैं, बल्कि उन्हें माउंटिंग स्ट्रक्चर पर स्थापित करने में भी मदद करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ये ड्रोन सटीक और तेज फैसले ले सकते हैं, जिससे इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होती है। इसके अलावा, ड्रोन का उपयोग निरीक्षण और रखरखाव के लिए भी किया जाता है, जिससे समय पर खराबी की पहचान और समाधान संभव होता है। इस तकनीक से इंस्टॉलेशन की गति तेज हुई है, लागत घटी है और वे इलाके भी सौर ऊर्जा नेटवर्क से जुड़ रहे हैं जहां पहले पहुंचना लगभग असंभव था। चीन इस तकनीक का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है और इसका विस्तार तेज़ी से हो रहा है।
यह भी पढ़ें- ‘हम तुम्हारी अर्थव्यवस्था बर्बाद कर देंगे’, कौन हैं अमेरिकी सीनेटर Lindsey Graham जिसने भारत को दी धमकी