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घोर कलयुग! बेटे ने रुकवाया मां का अंतिम संस्कार, चिता पर लेटकर बोला पहले चाहिए...

बेटे के हंगामे से मां के अंतिम संस्कार में दो घंटे की देरी

11:04 AM May 16, 2025 IST | Neha Singh

बेटे के हंगामे से मां के अंतिम संस्कार में दो घंटे की देरी

राजस्थान के कोटपूतली-बहारोड़ में बेटे ने अपनी मां के अंतिम संस्कार को रोक दिया क्योंकि वह पहले चांदी की चूड़ियां चाहता था। चिता पर लेटकर उसने हंगामा किया, जिससे अंतिम संस्कार में दो घंटे की देरी हुई। यह घटना मानवता पर कलंक है।

आज के समय में लोगों के लिए पैसे से बढ़कर कोई चीज नहीं है। यहां तक की लोग अपने मां-बाप को कुछ नहीं समझते। राजस्थान के कोटपूतली-बहारोड़ जिले से एक शर्मनाक घटना सामने आई है जिसने मानवता पर कलंक लगा दिया है। यहां एक बेटे ने अपनी मां के अंतिम संस्कार को इसलिए रोक दिया क्योंकि उसे पहले अपने मां के कड़े चाहिए थे। उसने चांदी की चूड़ियों के लिए हंगामा किया और उसकी चिता पर लेट भी गया। इसके चलते महिला का अंतिम संस्कार करीब 2 घंटे देरी से हुआ। यह दिल दहलाने वाली घटना 3 मई को विराटनगर इलाके के लीला का बास की ढाणी में हुई। गुरुवार को जब घटना का वीडियो सामने आया तो और लोगों को इसकी जानकारी हुई। हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

चिता पर लेटकर गहने मांगने लगा बेटा

स्वर्गीय छीतरमल रैगर की पत्नी भूरी देवी की 3 मई को मौत हो गई थी। उनके सात बेटों में से 6 गांव में एक साथ रहते हैं, जबकि पांचवां बेटा ओमप्रकाश अलग रहता है। ओमप्रकाश और उसके भाइयों के बीच कई सालों से संपत्ति का विवाद चल रहा था। ग्रामीणों के अनुसार महिला के अंतिम संस्कार के लिए घर पर रस्में निभाने के बाद परिजनों ने भूरी देवी की चांदी की चूड़ियां और अन्य जेवर उतारकर बड़े बेटे गिरधारी को सौंप दिए। इसके बाद अर्थी को श्मशान घाट ले जाया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि ओमप्रकाश ने अपनी मां की अर्थी भी कंधा दी। लेकिन श्मशान घाट पहुंचकर उसने हंगामा करना शुरू कर दिया और अपनी मां की चांदी की चूड़ियां और अन्य जेवर मांगने लगा। वह वहां बनी चिता पर लेट भी गया। उसने कहा कि उसकी मां की चांदी की चूड़ियां उसे दे दी जाएं, नहीं तो वह अंतिम संस्कार नहीं होने देगा।

दो घंटे तक चला हाई वोल्टेज ड्रामा

ग्रामीणों और परिजनों द्वारा उसे समझाने के प्रयासों के बावजूद ओमप्रकाश ने करीब दो घंटे तक हंगामा किया। अंत में जेवर श्मशान घाट लाकर उसे सौंप दिए गए। इसके बाद ही ओमप्रकाश को चिता से हटाया गया और भूरी देवी का अंतिम संस्कार हो सका।

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