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आदित्य चोपड़ा-करण जौहर को लेकर बोले Sooraj Barjatya, कहा- 'सोने के चम्मच लेकर पैदा हुए थे'

03:00 AM Aug 09, 2025 IST | Anjali Dahiya
आदित्य चोपड़ा करण जौहर को लेकर बोले sooraj barjatya  कहा   सोने के चम्मच लेकर पैदा हुए थे
Sooraj Barjatya

Sooraj Barjatya: भारतीय सिनेमा की कुछ सबसे प्रतिष्ठित पारिवारिक ड्रामा फ़िल्मों के निर्माता, सूरज बड़जात्या ने हाल ही में अपने फ़िल्म निर्माण के सफ़र, अपनी कहानी कहने की कला को आकार देने वाले मूल्यों और करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे समकालीन कलाकारों के साथ अपने काम की तुलना पर विचार किया। बॉलीवुड हंगामा के साथ एक साक्षात्कार में, निर्देशक ने बताया कि कैसे वह, करण और आदित्य, सिनेमा के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण रखने के बावजूद, एक समान सूत्र से बंधे हैं, उनका विशेषाधिकार प्राप्त पालन-पोषण।

सूरज बड़जात्या आदित्य चोपड़ा और करण जौहर बॉलीवुड में अपने परिवार की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। इन तीनों ने 90 के दशक में बॉलीवुड के रोमांस और पारिवारिक ड्रामा को नई ऊंचाई दी. ‘हम आपके हैं कौन’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’, ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्में आज भी क्लासिक मानी जाती हैं। दर्शक इनके सिनेमा को देखते हुए एक सुखद और रंगीन दुनिया में खो जाते हैं।

Sooraj Barjatya ने माना-"सोने के चम्मच लेकर पैदा हुए थे"

सूरज बड़जात्या ने माना है कि उन्हें, आदित्य चोपड़ा और करण जौहर को अपने जीवन में कई सारी सुविधाजनक चीजें मिली हैं, जिनके कारण उन्होंने जिंदगी के झटकों को महसूस नहीं किया। बॉलीवुड हंगामा संग बातचीत में सूरज ने आदित्य चोपड़ा और करण जौहर के सिनेमा के साथ होने वाली समानता पर कहा, 'हम लोग उनमें से हैं जो गोल्डन स्पून के साथ पैदा हुए हैं। हमने जिंदगी के झटकों को ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं किया है। हमेशा गाड़ियों में घूमे हैं.' उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन सौभाग्य या दुर्भाग्य से, जब फिल्ममेकिंग की बारी आई तो हम उसमें पैशनेट भी थे. इसलिए हमने दुनिया को एक फेयरिटेल दुनिया दिखाई और 90 का दशक भी ऐसा था, जब लोग फेयरिटेल देखना चाहते थे. हम उसी फ्लो में बहते गए और एक खास तरह का सिनेमा बनाने लगे. मुझे लगता है, मैं, आदि और करण. हम तीनों लोगों को सपने दिखाना चाहते थे. अगर हमसे कभी जिंदगी की सच्चाई पर फिल्म बनाने को कहा जाए, तो शायद हम उस जिंदगी को जानते ही न हों.’

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'मैं सबसे ज्यादा पारंपरिक हूं"

जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कभी ‘कभी अलविदा न कहना’ या ‘धूम’ जैसी फिल्मों में दिखे इन्फिडेलिटी, एक्शन और वायलेंस जैसे मुद्दों को क्यों नहीं छुआ? तो सूरज ने कहा, ‘शायद क्योंकि मैं ज्यादा कंजरवेटिव हूं.’ सूरज बड़जात्या ने आगे कहा, ‘ये शायद मेरी परवरिश का असर है. अगर आप हमें अलग-अलग भी देखें तो लगता है कि हम अच्छे सिनेमा के पक्ष में हैं. मौका मिले तो करण भी आज ‘रॉकी और रानी’ जैसी फैमिली फिल्म ही बनाना चाहेंगे. हो सकता है ये हमारी उम्र की वजह से हो, लेकिन असल में हम फैमिली ओरिएंटेड फिल्में ही बनाते हैं. लेकिन हां, मैं तीनों में सबसे ज्यादा कंजरवेटिव हूं और मुझे लगता है मेरी ताकत भी यही है.’सूरज बड़जात्या का आगे ये भी कहना है कि दोनों फिल्ममेकर्स के मुकाबले वो काफी पारंपरिक हैं, जो उन्हें उनकी परवरिश से मिला है. सूरज एक तरीके की फिल्में सूरज एक तरीके की फिल्में बनाने में फोकस रखते हैं, वहीं करण और आदित्य चोपड़ा अलग-अलग कहानियां बनाने में विश्वास रखते हैं।

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कब हुई डायरेक्शन डेब्यू

आपको बता दें कि 61 साल के सूरज बड़जात्या ने 1989 में सलमान खान स्टारर ‘मैंने प्यार किया’ से डायरेक्शन में डेब्यू किया था. 54 साल के आदित्य चोपड़ा ने साल 1995 में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और 53 साल के हो चुके करण जौहर ने 1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ से अपना डायरेक्शन करियर शुरू किया था।

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सूरज बड़जात्या के वर्क फ्रंट

बात करें सूरज बड़जात्या के वर्क फ्रंट की, तो उनकी पिछली फिल्म 'ऊंचाई' थी. इसमें अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर, बोमन ईरानी, नीना गुप्ता और परिणीति चोपड़ा जैसे एक्टर्स ने काम किया था। लोगों को फिल्म की कहानी बेहद पसंद आई थी. लेकिन ये बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई। अब फैंस को उनके अगले प्रोजेक्ट का का बेसब्री से इंतजार है।

 

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Anjali Dahiya

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