समाजवादी पार्टी और हुई मजबूत!, बड़े नेता जेल से बाहर, आजम खान समेत ये 5 लीडर हुए रिहा
SP Leaders Released From Jail: उत्तर प्रदेश की राजनीति में सितंबर का अंतिम सप्ताह समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए राहत और नई उम्मीद लेकर आया। योगी सरकार के दौरान जिन सपा नेताओं पर केस दर्ज हुए थे और उन्हें जेल जाना पड़ा था, अब उन्हें अदालतों से ज़मानत मिल रही है। बीते 10 दिनों में सपा के करीब आधा दर्जन बड़े नेता जेल से रिहा हुए हैं, जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश और उम्मीद की लहर दौड़ गई है।
SP Leaders Released From Jail: आजम खान 23 महीने बाद जेल से बाहर
सपा के कद्दावर नेता और रामपुर से पूर्व विधायक आज़म खान को 23 सितंबर को 23 महीने बाद रिहाई मिली। योगी सरकार में उनके खिलाफ करीब 104 केस दर्ज हुए थे। पहले वह फरवरी 2020 में गिरफ्तार हुए और 27 महीने बाद रिहा हुए। लेकिन अक्टूबर 2023 में उन्हें फिर से जेल जाना पड़ा। अब वह एक-एक कर सभी मामलों में ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं। उनकी रिहाई को सपा के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।

Jugendra and Rameshwar Yadav भी रिहा
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले जुगेंद्र सिंह यादव और उनके भाई रामेश्वर सिंह यादव भी तीन साल बाद जेल से बाहर आए हैं। इन दोनों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज थे। जुगेंद्र को मार्च 2023 में और रामेश्वर को जून 2022 में गिरफ्तार किया गया था। रामेश्वर यादव तीन बार अलीगंज से विधायक रह चुके हैं। दोनों की रिहाई से एटा और कासगंज क्षेत्र में सपा को नया राजनीतिक संबल मिला है।

Irfan Solanki को मिली जमानत
कानपुर के सपा नेता और पांच बार विधायक रहे इरफ़ान सोलंकी 34 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं। उन्हें और उनके भाई को दिसंबर 2022 में गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान उनकी विधायकी चली गई, लेकिन उनकी पत्नी नसीम सोलंकी ने उपचुनाव जीतकर पार्टी की सीट बचा ली। अब उनकी रिहाई से कानपुर की सपा राजनीति को नया बल मिला है।

Umar Ansari भी जेल से रिहा
माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी को 39 दिनों बाद जेल से रिहाई मिली है। वह फर्जी हस्ताक्षर के एक मामले में गिरफ्तार हुए थे। भले ही वह सपा में न हों, लेकिन उनका परिवार सपा से जुड़ा हुआ है। उनके चाचा अफ़जाल अंसारी सपा सांसद हैं और बड़े भाई अब्बास अंसारी सपा के समर्थन से विधायक हैं।

2027 चुनाव से पहले सपा को संजीवनी
इन रिहाइयों को 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के लिए "संजीवनी" माना जा रहा है। अखिलेश यादव ने इसे "न्याय की जीत" बताया है, जबकि भाजपा ने यह कहकर निशाना साधा कि नेता केवल ज़मानत पर रिहा हुए हैं, बरी नहीं हुए हैं। बावजूद इसके, पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है। मिठाइयाँ बांटी जा रही हैं और नेताओं से अखिलेश यादव खुद मिलने जा रहे हैं।
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