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पंजाब विधानसभा का स्पेशल सेशन 10 जुलाई को:नोटिफिकेशन जारी, 7 को होगी कैबिनेट की मीटिंग, बेअदबी पर कानून संभव

05:25 PM Jul 06, 2025 IST | Aishwarya Raj
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पंजाब सरकार ने बेअदबी के मामलों पर सख्त कानून बनाने के उद्देश्य से 10 जुलाई को सुबह 11 बजे से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है। विधानसभा सचिवालय की ओर से इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है और सभी संबंधित विभागों को इसकी सूचना भेज दी गई है। इससे पहले, सरकार 7 जुलाई को कैबिनेट बैठक आयोजित करेगी, जिसमें प्रस्तावित कानून के मसौदे पर चर्चा की जाएगी।

इससे पहले BBMB पर हुआ था विशेष सत्र

यह इस साल का दूसरा विशेष सत्र है। इससे पहले, अप्रैल 2025 में भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) से जुड़े पानी के बंटवारे के विवाद को लेकर विशेष सत्र बुलाया गया था। उस समय 2 मई को ऑल पार्टी मीटिंग के बाद 5 मई को विधानसभा का सत्र हुआ था, जिसमें सभी दलों ने राज्य सरकार के पक्ष में सहमति जताई थी।

अब एक बार फिर एक संवेदनशील मुद्दे – धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी – पर विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। पंजाब सरकार पहले भी संसद के बजट सत्र के दौरान केंद्र से इस मुद्दे पर कठोर कानून बनाने की मांग कर चुकी है।

“सिर्फ सत्र नहीं, कानून भी बने” – अकाली नेता

इस बीच अकाली दल के वरिष्ठ नेता अर्शदीप कलेर ने विशेष सत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “हर पंजाबी चाहता है कि बेअदबी करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिले और इंसाफ में देरी न हो।” उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक दल इस गंभीर मुद्दे को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं।

कलेर ने याद दिलाया कि 2016 में अकाली दल सरकार ने इस मुद्दे पर विधानसभा में कानून पारित किया था, जिसे केंद्र ने सुझाव और सुधार के लिए राज्य को वापस भेजा था। लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सरकार ने उस कानून को केंद्र को दोबारा नहीं भेजा।

केवल चर्चा नहीं, कार्रवाई होनी चाहिए

अकाली नेता का कहना है कि यह मुद्दा केवल विधानसभा सत्र तक सीमित नहीं रहना चाहिए। “ऐसा सख्त कानून बने कि भविष्य में कोई भी व्यक्ति धार्मिक ग्रंथों के प्रति बेअदबी करने की सोच भी न सके।”पंजाब में धार्मिक भावनाओं से जुड़ा यह मुद्दा बार-बार सुर्खियों में रहा है। विशेष सत्र बुलाना एक अहम कदम है, लेकिन लोगों की अपेक्षा अब सिर्फ चर्चा नहीं, बल्कि मजबूत, स्पष्ट और प्रभावी कानून लागू करने की है — ताकि धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक शांति को ठेस न पहुंचे।

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