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इस्पात : आयात घटाने पर होगा सरकार का जोर ; उद्योग को 2020 'सफल वर्ष' रहने की उम्मीद

इस्पात क्षेत्र के लिए 2020 काफी अहम रहने वाला है। सरकार ‘ मेक इन इंडिया ‘ पहल को आगे बढ़ाने , आयात कम करने , इस्पात की घरेलू कीमतों पर नजर रखने और कोकिंग कोयले के वैकल्पिक स्त्रोत तलाशने पर जोर देगी। वहीं , इस्पात कंपनियों को उम्मीद है कि 2020 उद्योग के लिए ‘ सफलता भरा वर्ष ‘ रहेगा।

03:25 PM Dec 31, 2019 IST | Shera Rajput

इस्पात क्षेत्र के लिए 2020 काफी अहम रहने वाला है। सरकार ‘ मेक इन इंडिया ‘ पहल को आगे बढ़ाने , आयात कम करने , इस्पात की घरेलू कीमतों पर नजर रखने और कोकिंग कोयले के वैकल्पिक स्त्रोत तलाशने पर जोर देगी। वहीं , इस्पात कंपनियों को उम्मीद है कि 2020 उद्योग के लिए ‘ सफलता भरा वर्ष ‘ रहेगा।

इस्पात क्षेत्र के लिए 2020 काफी अहम रहने वाला है। सरकार ‘ मेक इन इंडिया ‘ पहल को आगे बढ़ाने , आयात कम करने , इस्पात की घरेलू कीमतों पर नजर रखने और कोकिंग कोयले के वैकल्पिक स्त्रोत तलाशने पर जोर देगी। वहीं , इस्पात कंपनियों को उम्मीद है कि 2020 उद्योग के लिए ‘ सफलता भरा वर्ष ‘ रहेगा। 
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आयात में वृद्धि , कोकिंग कोयला के आयात के लिए चुनिंदा देशों पर निर्भरता के बीच , इस्पात मंत्रालय लौह अयस्क की उपलब्धता पर ध्यान देगा क्योंकि कई खदानों के पट्टे अगले साल मार्च में खत्म हो रहे हैं। 
कुछ रेटिंग एजेंसियों और व्यापारियों ने चिंता जताई है कि इस बदलाव की वजह से कुछ समय के लिए लौह – अयस्क की आपूर्ति बाधित हो सकती है। इस्पात बनाने में लौह – अयस्क का उपयोग किया जाता है। 
इस्पात सचिव विनय कुमार ने बताया , ‘ लौह अयस्क की उपलब्धता का प्रबंधन करना हमारे प्रमुख लक्ष्यों में से एक है। हम स्थिति पर नजर रखेंगे क्योंकि लौह अयस्क हमारे उद्योग की जरूरत है। यह हमारे के लिए बड़ा काम होगा। हम कीमतों पर भी नजर रखेंगे ताकि वह ऊपर नहीं जाए और उद्योग को लौह अयस्क प्रतिस्पर्धी दरों पर मिल सके। ‘
 
मार्च 2020 में कई कोयले और लौह अयस्क खदानों के पट्टे खत्म हो रहे हैं और खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम में संशोधन के तहत इन पट्टों का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। इसका मतलब है कि नए सिरे से नीलामी की जाएगी। 
कुमार ने कहा कि कोकिंग कोयले के लिए चुनिंदा देशों को निर्भरता को कम करने के लिए सरकार रूस और मंगोलिया के साथ बातचीत कर रही है। फिलहाल हम कोकिंग कोयले के लिए ऑस्ट्रेलिया , अमेरिका और कनाडा जैसे कुछ देशों पर निर्भर हैं। 
उन्होंने कहा , ‘ हम कोकिंग कोयला उपलब्ध कराने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश जारी रखेंगे। जिससे चुनिंदा देशों पर निर्भरता कम होगी और देश में कोकिंग कोयले के भंडार का लाभ उठाया जा सकेगा। ‘
 
इस्पात सचिव ने कहा कि इस्पात के आयात को कम करना और निर्यात बढ़ाना भी हमारे एजेंडे में है। सालाना करीब 70-80 लाख टन इस्पात का आयात किया जाता है। 
भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) के सहायक महासचिव अरणब हजरा ने कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग के लिए नया साल उम्मीदों वाला वर्ष होगा। यह इस्पात क्षेत्र के लिए सफलता भरा वर्ष होगा। 
उद्योग 2020 में इस्पात की मांग बढ़ने , बेहतर कीमत मिलने और नए उत्पादों का विकास होने की उम्मीद है। 
जिंदल स्टील एंड पावर (जेएसपीएल) के प्रबंध निदेशक वी . आर . शर्मा ने कहा कि जनवरी 2020 तक लौह अयस्क की कीमतें एक बार फिर ऊपर जाने की आशंका है। 
आर्सेलरमित्तल ने भारत के इस्पात बाजार को दुनिया के सबसे आशाजनक इस्पात बाजारों में से एक ‘ करार देते हुए कहा कि वह आगामी दशकों में बुनियादी ढांचे और शहरीकरण में विस्तार में योगदान देगा। ‘ 
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