Stone Astrology: सुख और समृद्धि चाहिए तो पुखराज पहनें
पुखराज धारण से मिलती है सुख-समृद्धि और शांति
पुखराज, जो बृहस्पति का रत्न है, सुख और समृद्धि की वृद्धि करता है। इसे धारण करने से व्यापार में बाधाएं दूर होती हैं और स्वास्थ्य में सुधार होता है। पुखराज का प्रभाव ज्योतिषीय सलाह के आधार पर धारण करने पर अधिक होता है। यह विशेष रूप से मेष, धनु और मीन लग्न के लिए लाभदायक है।
वैसे तो 84 तरह के रत्नों का भारतीय वाड़मय में उल्लेख पाया जाता है लेकिन 9 प्रधान रत्न हैं। उनमें से एक है यलो स्फायर अर्थात पुखराज। वैसे देखा जाए तो पुखराज सबसे अधिक पहने जाने वाला रत्न है। यह स्फायर की श्रेणी का पत्थर है। और इसकी कठोरता करीब 8 पॉइंट की है। यह एल्युमिनियम और फलोरिन से बना हुआ खनिज है। शुद्ध होने पर यह पूर्ण पारदर्शी होता है। यह बहुदा कई रंगों में पाया जाता है। जिसमें पीला, नीला, गुलाबी या हल्का सफेद हो सकता है। चूंकि यह एक स्फायर है अतः यदि यह पूरी तरह से नीला हो तो नीलम कहा जायेगा। पीला होने पर पुखराज होता है। नीला और पीला दोनों यदि मिक्स हो तो उसे पीताम्बरी कहा जाता है। गुलाबी होने पर स्फायर रूबी कहा जायेगा। जिसे माणिक के विकल्प के रूप में पहना जाता है।
बृहस्पति का रत्न है पुखराज
नव ग्रहों में शुभ ग्रहों की फेहरिस्त में बृहस्पति को सबसे शुभ ग्रह समझा गया है। ग्रहों में सबसे बड़ा और महान होने के कारण इसे गुरू भी कहा जाता है। बृहस्पति दयालु हैं और यदि खर्च भी करवाते हैं तो अक्सर मांगलिक कार्यों में खर्च करवाते हैं, इसलिए ज्यादातर लोगों का यह समझना है कि बृहस्पति के रत्न को धारण करने से कोई नुकसान नहीं होता है। जबकि यह बात पूरी तरह ठीक नहीं है। यदि आपकी उम्र 45-50 से अधिक है तो आप बिना किसी सलाह के पुखराज को धारण कर सकते हैं, आमतौर पर इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता है लेकिन कम उम्र होने पर कुंडली के आधार पर ही पुखराज को धारण करना अधिक उचित कहा जायेगा। जिन लोगों के लिए पुखराज कुंडली के आधार पर शुभ होता है। उन्हें यह धारण करते ही एक-दो महीनों में ही शुभ परिणाम देना आरम्भ कर देता है। बिजनेस में आ रही बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। स्वास्थ्य में सुधार होता है। जो लोग नौकरी पेशा हैं, उनकी पदोन्नति होती है। स्वयं से अधिक धनी, क्षमतावान, पॉवरफुल और ऊंची पहुंच रखने वाले लोगों से मेलजोल बढ़ता है। हाथ में धन आता है। मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
विशेष रत्न है पुखराज
स्थूल रूप से वैदिक ज्योतिष के आधार पर विचार किया जाए तो पुखराज रत्न एक विशेष रत्न की श्रेणी में आता है। जब कुंडली में बृहस्पति ग्रह कमजोर हो तो उसे बलवान करने के लिए या बृहस्पति की कृपा प्राप्ति के लिए पुखराज धारण किया जाता है। चूंकि बृहस्पति एक शुभ और समृद्धि प्रदान करने वाला ग्रह है अतः बृहस्पति का रत्न धारण करने का मतलब है कि हमारे सुख और समृद्धि मंे वृद्धि होगी। जब किसी के जन्मांग चक्र में बृहस्पति बलवान हो तो ऐसा जातक जीवन में सफल रहता है। उसे कम परिश्रम और प्रयास के बाद भी अच्छे परिणाम मिलते हैं। लेकिन सभी के लिए यह संभव नहीं है। कुछ लोगों की जन्म कुंडली में बृहस्पति कारक तो होता है लेकिन वह बलहीन होने के कारण अपने पूर्ण फल देने में सक्षम नहीं होता है। इस स्थिति में पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है। आप इसे यह भी कह सकते हैं कि बृहस्पति की कृपा पाने के लिए पुखराज धारण किया जाना चाहिए। आमतौर एक निश्चित उम्र के बाद आप बिना कुंडली दिखाए भी पुखराज धारण कर सकते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं करना चाहिए।
पुखराज कौन पहन सकता है
मेष, धनु और मीन लग्न में पुखराज अधिक काम करता है। जिन लोगों की नाम राशि धनु या मीन है वे भी पुखराज धारण कर सकते हैं। लेकिन दूसरे लग्नों या राशि में पुखराज को धारण करने से कुछ लाभ मिलने की संभावना होती है तो कुछ नुकसान भी हो सकता है। इसलिए पूरी सावधानी से ही धारण करना चाहिए। जो लोग शौकीन मिजाज होते हैं और पुखराज को केवल सजावट के लिए ही धारण करना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि वे पीले रंग के कांच को धारण करें। यह देखने में तो पुखराज की तरह ही दिखाई देगा लेकिन इसका कोई अच्छा या बुरा प्रभाव नहीं होगा। उपरोक्त के अलावा जब सर्विस या बिजनेस के आधार पर पुखराज धारण करना हो तो निम्नलिखित लोग पुखराज धारण कर सकते है:-
– जिन लोगों को प्रसिद्धि पाने की इच्छा रहती है उन्हें पुखराज और माणिक रत्न धारण करना चाहिए।
– जो लोग पेट संबंधी रोगों से पीड़ित हैं वे भी पुखराज पहन सकते हैं।
– पुखराज पहनने से लक्ष्य साधन में मदद मिलती है।
– पदोन्नति की प्रतिक्षारत लोगों को भी पुखराज धारण करके इसका चमत्कार देखना चाहिए।
– जो लोग शिक्षा कर्मी, सलाहकार, सरकारी कर्मचारी, खाने-पीने की वस्तुओं के व्यापारी या राजनीतिज्ञ हैं उनको अवश्य पुखराज धारण कर लेना चाहिए।
– स्त्रियां यदि पुखराज धारण करती हैं तो उनके पति की उन्नति होती है।
– मान-सम्मान और सरकारी पुरस्कार आदि की प्राप्ति के लिए भी पुखराज धारण किया जाता है।
कितने वजन का पुखराज होना चाहिए
यदि सिलोन श्रीलंका माइन्स का पुखराज है तो लगभग 3 से 5 कैरेट वजन पर्याप्त होता है। इससे अधिक वजन का पुखराज भी पहना जा सकताा है लेकिन उस स्थिति में वह बहुत महंगा आयेगा। क्योंकि स्टोन में जैसे-जैसे वजन बढ़ता है वैसे-वैसे प्रति कैरेट मूल्य कई गुणा हो जाता है। अनुभव में आता है कि 3 से 5 कैरेट का पुखराज प्रभावी होता है। पुखराज को हमेशा सोने या चांदी में ही धारण करना चाहिए।
क्या है पुखराज का वैकल्पिक रत्न
पुखराज एक महंगा पत्थर है। हर कोई इसको धारण नहीं कर सकता है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि पुखराज जिसके बजट में नहीं आता है वह पुखराज के लाभ लेने से वंचित हो जाता है। जब आप पुखराज नहीं खरीद सकते हैं तो आप पीला हकीक या फिर सुनहला पत्थर पहन सकते हैं। यह दोनों ही बहुत सस्ते पत्थर है। लेकिन उनको कम से कम 8 कैरेट से ज्यादा वजन का होना चाहिए। यदि यह भी नहीं कर सकते हैं तो प्रतिदिन हल्दी में चुटकी भर हल्दी मिलाकर पीने से भी पुखराज जैसा ही लाभ मिलता है।
कब धारण करें पुखराज
पुखराज को किसी भी शुक्ल पक्ष के गुरुवार को प्रातः किसी ब्राह्मण के हाथ से धारण करना चाहिए। अंगूठी या लॉकेट को धारण करने से पूर्व कम से कम एक रात्रि के लिए गेहूं में रखना चाहिए। गेहूं से निकाल कर बृहस्पति के तांत्रिक मंत्रों के जाप से पुखराज की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए। उसके बाद ही पहनें।