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Stone Astrology: कौन सा स्टोन है आपके लिए लाभदायक, जानें क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपके लिए सही स्टोन का चयन

08:17 AM May 14, 2025 IST | Shweta Rajput

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपके लिए सही स्टोन का चयन

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सही रत्न का चयन आपकी जन्म कुंडली और बिजनेस की प्रकृति पर आधारित होता है। सही मुहूर्त में रत्न धारण करने से लाभ मिलता है। रत्नों का प्रभाव ग्रहों की शक्ति को बढ़ाने में मदद करता है। नाम राशि के आधार पर भी उपयुक्त रत्न का चयन किया जा सकता है।

रत्नों के मूल्य, चमक-दमक और इनका प्रभावी होना, हमेशा बहस का विषय रहा है। तथापि यदि कोई व्यक्ति अपनी जन्म कुंडली या अपने बिजनेस की नेचर के आधार पर अपने लिए सही मुहूर्त में कोई रत्न धारण करता है तो निश्चित रूप से उसका लाभ मिलता है। अपवाद हो सकते हैं लेकिन ज्यादातर मामलों में कम या ज्यादा फायदा जरूर होता है। इसमें संशय रखने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि किसी भी विचार को पूरी तरह से खारिज करने या स्वीकार करने से पहले, रत्नों के लाभों की अनुभवजन्य प्रकृति को समझना महत्वपूर्ण है। इसलिए यहां में आपको रत्न पहनने के महत्व और ज्योतिष के आधार पर सही रत्न चुनने में अंतर्दृष्टि किस प्रकार से समझें, इस संबंध में बताने की कोशिश करूंगा।

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सही रत्न का चुनाव कैसे करें

रत्न, राशि चिन्हों और ग्रहों के बीच संबंध को समझना आवश्यक है। प्रत्येक राशि का एक संगत रत्न होता है जो विशिष्ट ग्रहों के साथ संबंध रखता है। उदाहरण के लिए मेष और वृश्चिक राशियों का स्वामी मंगल ग्रह है। जिसके कारण जिन लोगों की कुंडली में मेष या वृश्चिक राशि शुभ भावों में है उनके लिए मूंगा रत्न उपयुक्त रत्न है। वैसे रत्नों के लाभों को अधिकतम करने के लिए, उन्हें अपने लग्न के अनुसार रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। हालांकि, जिनके पास जन्म संबंधी कोई आकड़े उपलब्ध नहीं है उनको चाहिए कि वे हस्तरेखा विज्ञान या नाम राशि के आधार पर अपने लिए रत्न का चुनाव करें। जब जन्म संबंधी आकड़े नहीं हो तो अपने बिजनेस या सर्विस की प्रकृति के अनुसार भी रत्नों का चयन करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

जन्म कुंडली के अनुसार करें रत्न धारण

यदि आपको रत्न धारण करने का पूरा लाभ लेना है तो आपको जन्म कुंडली के अनुसार रत्न धारण करने पर विचार करना चाहिए। यह सबसे बेहतर परिणाम देने वाली सोच है। नीचे जो सारणी दी गई है उसमें जन्म कुंडली के लग्न के आधार पर सटीक और लकी स्टोन के बारे में बताया गया है। हालांकि यह स्थूल आकलन है। और बेहतर परिणामों के लिए आपको कुंडली का अवलोकन करवा कर रत्न धारण करना चाहिए।

सारणी – 1 – लग्नानुसार रत्न धारण।

लग्न – रत्न

मेष लग्न – माणिक या नीलम

वृषभ लग्न – नीलम

मिथुन लग्न – हीरा

कर्क लग्न – मूंगा

सिंह लग्न – मूंगा

कन्या लग्न – मोती

तुला लग्न – नीलम

वृश्चिक लग्न – मोती या माणिक

धनु लग्न – माणिक

मकर लग्न – हीरा

कुंभ लग्न – हीरा

मीन लग्न – पुखराज या मोती

अपने नाम से जाने अपना लक्की स्टोन

कुछ मामलों में देखा जाता है कि जन्म संबंधी आकड़े नहीं होने के कारण जन्म कुंडली नहीं बन पाती है। इस स्थिति में हमें चाहिए कि हम अपनी नाम राशि के आधार पर अपने लिए रत्न या उपरत्न का चयन करें। ज्यादातर मामलों में नाम राशि के अनुसार निर्धारित किया गया रत्न भी बहुत अच्छा फल देता है। मैं यहां नाम राशि के अनुसार मुख्य रत्न, उपरत्न और ग्रह या राशि से संबंधित धातु के बारे में बता रहा हूं। इस सारणी से आप आसानी से अपने लिए रत्न या उपरत्न का चुनाव कर सकते हैं।

नाम राशि के अनुसार रत्न और उपरत्न की जानकारी

मेष राशि –

रत्न – मूंगा।

वैकल्पिक या उपरत्न – लाल अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना या चांदी।

वृषभ राशि –

रत्न – हीरा।

वैकल्पिक या उपरत्न – ओपल। क्यूबिक जिरकोनिया या सफेद अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – प्लेटिनम।

मिथुन राशि –

रत्न – पन्ना।

वैकल्पिक या उपरत्न – पेरिडॉट, हरा हकीक या ओनेक्स।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – कांस्य या स्वर्ण।

कर्क राशि –

रत्न – मोती।

वैकल्पिक या उपरत्न – मून स्टोन या सफेद अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – चांदी।

सिंह राशि –

रत्न – बर्मा का माणिक।

वैकल्पिक या उपरत्न – तामड़ा। अफ्रीकन माणिक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना या तांबा।

कन्या राशि –

रत्न – पन्ना।

वैकल्पिक या उपरत्न – पेरिडॉट, हरा हकीक या ओनेक्स।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – कांस्य या स्वर्ण।

तुला राशि –

रत्न – हीरा।

वैकल्पिक या उपरत्न – ओपल। क्यूबिक जिरकोनिया या सफेद अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – प्लेटिनम।

वृश्चिक राशि –

रत्न – मूंगा।

वैकल्पिक या उपरत्न – लाल अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना या चांदी।

धनु राशि –

रत्न – पुखराज।

वैकल्पिक या उपरत्न – सुनहला या पीला अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना या चांदी।

मकर राशि –

रत्न – श्रीलंकाई नीलम।

वैकल्पिक या उपरत्न – लाजवर्त पत्थर। नीली। हल्का नीला अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना।

कुंभ राशि –

रत्न – श्रीलंकाई नीलम।

वैकल्पिक या उपरत्न – लाजवर्त पत्थर। नीली। हल्का नीला अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना।

मीन राशि –

रत्न – पुखराज।

वैकल्पिक या उपरत्न – सुनहरा या पीला अकीक।

अंगूठी के लिए शुभ धातु – सोना या चांदी।

कितने वजन का रत्न होना चाहिए

अंग्रेजों के भारत में आने से पूर्व तक भारत में रत्नों के वजन के बारे में कुछ विरोधी मान्यताएं काम कर रही थीं। वजन को रत्ती में तौला जाता था। शायद उस समय रत्ती वजन के लिए सबसे छोटी इकाई रही होगी। रत्ती में भी कच्ची और पक्की रत्ती जैसे विरोधी मापदंड प्रचलन में थे। जौहरी या ज्योतिषी जिस पारंपरिक रूप से रत्ती इकाई का उपयोग करते रहें हैं उनमें भी 125 मिलीग्राम की कच्ची रत्ती और 180 मिलीग्राम की पक्की रत्ती का उपयोग होता रहा है। जौहरी बाजार में कुछ पारम्परिक व्यापारी आज भी मोती और मूंगा को रत्ती में तौलते हैं। छोटे शहरों और कस्बों में रत्नों को तौलने में कच्ची रत्ती का प्रयोग जारी है।

वजन नहीं बजट के अनुसार धारण करें रत्न

अब प्रश्न आता है कि रत्न का आदर्श वजन क्या होना चाहिए। इस संदर्भ में एक मिथ्या धारणा फैली हुई है कि हमारे वजन के आधार पर रत्न का वजन होना चाहिए। जब कि होना यह चाहिए कि रत्न का वजन हमारे वजन के अनुसार नहीं बल्कि हमारे बजट के अनुसार हो। क्योंकि मुख्य रत्न बहुत महंगे आते हैं। यदि आप अपने वजन के अनुसार उनका वजन देखेंगे तो सभी लोग उनको खरीद नहीं पायेंगे। क्योंकि यह आवश्यक नहीं है सभी लोग धनी हो। समाज में सभी वर्गों के लोग होते हैं। एक खास बात यह भी है कि रत्नों में एक समस्या है कि जैसे-जैसे रत्नों का वजन बढ़ता है वैसे-वैसे उनकी प्रति कैरेट कीमत कई गुना बढ़ जाती है। यहां मैं आपको एक उदाहरण देना चाहूंगा, जिससे आपको ज्यादा बेहतर तरीके से समझ में आयेगा। जैसे यदि सिलोन माईन्स का पुखराज 2 से 3 कैरेट का लेते हैं तो वह जितने रूपये प्रति कैरेट में आपको मिल रहा है। वही रत्न जब 7 से 11 कैरेट को लेना चाहें तो उसकी कीमत कम वजन के रत्न की तुलना में चार सौ प्रतिशत से भी अधिक हो सकती है। लेकिन यहां यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि रत्नों की कोई फिक्स प्राइस नहीं होती है। उपलब्धता और क्वालिटी के आधार पर बहुत कम या बहुत ज्यादा हो सकती है।

निष्कर्ष के तौर पर मैं स्पष्ट कर देना चाहूंगा कि मुख्य रत्नों का वजन किसी भी आयु वर्ग या शरीर के वजन के अनुसार नहीं होना चाहिए। आमतौर पर मैं अपने अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि नव रत्नों का आदर्श वजन 2 से 3 कैरेट पर्याप्त है। यह अलग बात है कि यदि आपके पास बजट है तो आप ज्यादा वजन का स्टोन भी धारण कर सकते हैं। यदि कुंडली या अपने बिजनेस की प्रकृति के अनुसार यदि आप रत्न धारण कर रहे हैं तो ज्यादा वजन का रत्न आप पहन सकते हैं उससे आपको शायद ज्यादा फायदा हो। लेकिन यदि आप उपरत्न धारण करते हैं तो उनका वजन ज्यादा होना चाहिए। सामान्यतया उपरत्नों का आदर्श वजन करीब 6 से 11 कैरेट का होना चाहिए। इससे ज्यादा भी हो सकता है।

रत्न बढ़ाता है ग्रह का बल

बहुत से लोग मुझ से प्रश्न करते हैं कि क्या नीलम पहनने से पहले टेस्ट करनी चाहिए। इस संबंध में मैं कहना चाहूंगा कि कोई भी ऐसा रत्न नहीं है जो कि तुरंत कोई चमत्कार कर दें। रत्नों का काम ग्रहों के बल का बढ़ाना है। यदि कोई ग्रह कारक होकर कमजोर है रत्न उस ग्रह को पुश कर सकता है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि अचानक आपकी लॉटरी लग जायेगी। कहने का भावार्थ है कि कसी भी रत्न को पहनने का सकारात्मक प्रभाव व्यक्तिपरक है और व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग हो सकता है। इस अभ्यास को खुले दिमाग से तलाशना, ज्योतिषीय सलाह पर विचार और हमारी व्यक्तिगत आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर परखना चाहिए। रत्न कभी चमत्कार नहीं करता है वह उस ग्रह को मात्र बल देता है जो कि कमजोर है या उसे बल देने से आपको और ज्यादा फायदा हो सकता है।

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