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अमरनाथ यात्रा की पुख्ता तैयारी

वर्ष 2019 में अधूरी रह गई पवित्र अमरनाथ यात्रा लगभग तीन वर्ष बाद फिर से शुरू हो रही है। तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से ठीक पहले अमरनाथ यात्रा बीच में ही रद्द कर दी गई थी

01:06 AM May 19, 2022 IST | Aditya Chopra

वर्ष 2019 में अधूरी रह गई पवित्र अमरनाथ यात्रा लगभग तीन वर्ष बाद फिर से शुरू हो रही है। तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से ठीक पहले अमरनाथ यात्रा बीच में ही रद्द कर दी गई थी

वर्ष 2019 में अधूरी रह गई पवित्र अमरनाथ यात्रा लगभग तीन वर्ष बाद फिर से शुरू हो रही है। तीन साल पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने से ठीक पहले अमरनाथ यात्रा बीच में ही रद्द कर दी गई थी। इसके बाद कोरोना महामारी के चलते दो साल यह यात्रा स्थगित रही। 2021 में 56 दिनों की यात्रा की घोषणा हुई थी लेकिन महामारी के चलते इसे स्थगित करना पड़ा था। इस वर्ष यह यात्रा 30 जून से 11 अगस्त रक्षाबंधन तक चलेगी। कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद देशभर के धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों पर लोग उमड़ रहे हैं। चारधाम की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ यह दिखाती है कि मनुष्य भगवान के प्रति बहुत आस्थावान भी है और वह प्रकृति के प्रति आकर्षित भी है। वैसे भी कोरोना काल में प्रतिबंधों को झेलने के बाद हर कोई यात्रा के लिए उत्सुक भी है। अमरनाथ की यात्रा पर भी दस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान है। 
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अमरनाथ यात्रा हमेशा ही आतंकवादियों के निशाने पर रही है लेकिन आस्था हमेशा आतंकवाद पर भारी पड़ी है। आतंकवादियों की धमकियों की परवाह न करते हुए देशभर से श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करने आते हैं। श्रद्धालुओं की जिज्ञासा पवित्र गुफा में निर्मित होने वाले शिवलिंग के प्रति भी होती है। शिवलिंग के बायीं ओर दो छोटे बर्फ के पिंड भी बनते हैं उन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश का प्रतीक माना जाता है। य​ह हिमलिंग गुफा की छत में एक दरार से पानी की बूंदों के टपकने से प्राकृतिक रूप से बनता है। यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है जो चंद्रमा की रोशनी के आधार पर बढ़ता और घटता है। इस यात्रा में श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावनाओं के दृष्टिगत व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। वैसे तो हर साल इस यात्रा में भीड़ के प्रबंधन को लेकर पर्याप्त कदम उठाए जाते हैं लेकिन इस बार गृहमंत्री अमित शाह इस यात्रा की तैयारियों को लेकर खुद कमान संभाले हुए हैं। तीर्थ या​त्रियों की सुरक्षा, रहने के प्रबंध और अन्य सुविधाओं पर लगातार बैठकें की जा रही हैं। गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की मौजूदा ​स्थिति और अमरनाथ यात्रा के प्रबंधों का आंकलन करने के लिए सुरक्षा प्रतिष्ठानों के अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं। 
गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि प्रत्येक तीर्थयात्री का पांच लाख का बीमा किया जाएगा और प्रत्येक तीर्थयात्री को आरएफआईडी यानी रेडियो फ्रीक्वैंसी आईडैंटडीफिकेशन कार्ड प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा गृहमंत्री ने यात्रा मार्ग पर मोबाइल कनैक्टीविटी बढ़ाने पर जोर दिया है। दक्षिणी कश्मीर में पहलगांव से यात्रा मार्ग के 39 किलोमीटर के दौरान वाईफाई हॉटस्पाट बनाने का भी निर्णय लिया गया है। पर्याप्त संख्या में आक्सीजन सिलेंडर, 6000 फुट से अधिक की ऊंचाई पर अस्पताल और किसी भी आपातकालीन चिकित्सा ​िस्थति से निपटने के लिए एंबुलेंस और हैलीकॉप्टर की तैनाती की जाएगी। ऊंचाई अधिक होने के कारण जिन यात्रियों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होंगी उनके लिए भी पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। चारधाम की यात्रा के दौरान इस वर्ष अब तक 40 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। उससे सबक लेते हुए अमरनाथ यात्रा के दौरान पर्याप्त व्यवस्था करना जरूरी है। अमरनाथ यात्रा के दौरान 1993 से अब तक 14 हमले हो चुके हैं जिनमें 68 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। आतंकवादियों ने 1993 में पहली बार अमरनाथ यात्रियों को निशाना बनाया था। 2000 में अमरनाथ यात्रा पर हुए सबसे बड़े हमले में 32 श्रद्धालुओं की जान गई थी। 2017 में भी श्रद्धालुओं की बस पर हमला किया गया। अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा की चुनौती हमेशा ही सबसे बड़ी रही है। इस बार भी आतंकियों ने तीर्थयात्रा पर हमले की धमकी दी है। ध​मकियां लश्कर के हिट एक्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन दे रहे हैं। श्रद्धालुओं को यात्रा से दूर रहने और खून-खराबे की चेतावनी देने वाले पोस्टर जारी किए जा चुके हैं जिससे इस्लामिक कट्टरवाद का चेहरा फिर सामने आ गया। कश्मीर के हजारों मुस्लिम घोड़े, पिट्ठू और टैंट वालों समेत अन्य लोगों की रोजी-रोटी इस यात्रा से जुड़ी है और उन्हें इस यात्रा के शुरू होने का इंतजार भी रहता है। इसके बावजूद आतंकवादी ताकतें कश्मीरियों के दिलों पर कुठाराघात करने को तत्पर रहती हैं। 
अमरनाथ यात्रा कश्मीरियत का प्रतीक है और इसे नुक्सान पहंुचाने वाला कश्मीर और इस्लाम का ही दुश्मन है। दरअसल अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। इस वर्ष पर्यटकों की संख्या भी काफी बढ़ी है। डल झील के शिकारे गुलजार हो उठे हैं और अन्य स्थलों पर भी पर्यटकों की काफी भीड़ देखी गई है। यह सब आतंकियों को रास नहीं आ रहा। गृह मंत्रालय ने आतंकी साजिशों से निपटने के लिए ठोस सुरक्षा व्यवस्था की है और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात रहेंगे। भगवान शंकर के धामों में एक अद्भुत शक्ति है। बाबा अमरनाथ की यात्रा न केवल यात्रा है बल्कि तात्विक रूप से कहा जाए तो यह एक जीवन यात्रा है। यह अमरत्व की यात्रा, जीव से शिव यात्रा, संघर्ष से सफलता की यात्रा और जड़ता से चेतना की यात्रा है। अमरनाथ की यात्रा का मुख्य संदेश ज्ञान, भक्ति एवं वैराग्य की प्राप्ति है। बाबा बर्फानी के आशीर्वाद से इस बार यात्रा बिना किसी बाधा के संपन्न होगी। इसकी हम सबको उम्मीद है।
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