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डिप्रेशन के दौरान दीपिका पादुकोण को आते थे सुसाइडल थॉट्स, नींद बन गई थी भागने का जरिया

बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण बहोत पहले ही ये खुलासा कर चुकी है कि वो डिप्रेशन का शिकार हो गयी थी। एक्ट्रेस बिना किसी झिझक के अपने कहानी दुनिया के सामने रख चुकी है। आये दिन वो मेन्टल हेल्थ को लेकर भी बात करती है। अब दीपिका ने हाल ही में एक और खुलासा किया है।

12:07 PM Aug 06, 2022 IST | Desk Team

बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण बहोत पहले ही ये खुलासा कर चुकी है कि वो डिप्रेशन का शिकार हो गयी थी। एक्ट्रेस बिना किसी झिझक के अपने कहानी दुनिया के सामने रख चुकी है। आये दिन वो मेन्टल हेल्थ को लेकर भी बात करती है। अब दीपिका ने हाल ही में एक और खुलासा किया है।

बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण बहोत पहले ही ये खुलासा कर चुकी है कि वो डिप्रेशन का शिकार हो गयी थी। एक्ट्रेस बिना किसी झिझक के अपने कहानी दुनिया के सामने रख चुकी है। आये दिन वो मेन्टल हेल्थ को लेकर भी बात करती है। अब दीपिका ने हाल ही में एक और खुलासा किया है। 
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आपको बता दे, दीपिका पादुकोण न सिर्फ डिप्रेशन में थी, बल्कि एक वक्त पर उन्हें सुसाइडल थॉट्स भी आते थे।रिपोर्ट के मुताबिक दीपिका ने कहा कि वो अपनी सक्सेस और उस वक्त से उबरने का पूरा श्रेय अपनी मां को देती हैं, जिन्होंने उनका दर्द समझा और उन्हें इससे बाहर निकाला।
दीपिका ने कहा, ‘मैं अपने करियर के टॉप पर थी और सब कुछ ठीक चल रहा था, इसलिए कोई कारण नहीं था या कोई स्पष्ट कारण नहीं था कि मुझे वैसा महसूस करना चाहिए था, जैसा मैं करती थी। ऐसे दिन थे जब मैं जागना नहीं चाहती थी, मैं सोती थी क्योंकि मेरे लिए नींद एक भागने का जरिया थी, मुझे कई बार आत्महत्या करने के विचार भी आते थे।’ 
दीपिका ने कहा, ‘मेरे माता-पिता बेंगलुरु में रहते हैं और हर बार, पहले भी आज भी.. मैं ऐसे दिखाती हूं कि सब कुछ एक दम बढ़िया है। आप हमेशा यही दिखाना चाहते हैं अपने पैरेंट्स को सब ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है। मैं तब भी वैसा ही कर रही थी लेकिन एक दिन जब वो बेंगलुरु वापस जा रहे थे, तब मैं टूट गई और रो पड़ी। इसके बाद मां ने मुझे बहुत ही आम से सवाल पूछे- क्या ब्वॉयफ्रेंड की वजह से? क्या काम की वजह से? कुछ हुआ है क्या?’
दीपिका आगे कहती हैं, ‘मेरे पास जवाब नहीं होते थे क्योंकि ऐसा कुछ भी हुआ ही नहीं था, बस सब कुछ खाली सा था और वो समझ गई थीं। मुझे लगता है कि मेरे लिए उन्हें भगवान ने ही भेजा था। मुझे प्रोफेशनल की मदद चाहिए थी, और फिर मेरा सफर शुरू हुआ। मैं मनोचिकित्सक से मिली, मेडिकेशन हुई। शुरुआती वक्त में मुझे ये सब पसंद नहीं आता था क्योंकि मेंटल इलनेस को काफी अलग नजर से देखा जाता है लेकिन कुछ वक्त के बाद मुझे अच्छा महसूस होने लगा। ‘ 
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