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मुसीबत में फिर घिरे Sukhbir Badal! पटना साहिब ने करार दिया तनखैया

12:45 PM Jul 05, 2025 IST | Amit Kumar
मुसीबत में फिर घिरे sukhbir badal  पटना साहिब ने करार दिया तनखैया
Sukhbir Badal

Sukhbir Badal: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को तख़्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब ने 'तनख़ैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया है. यह फ़ैसला धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप और तख़्त के समन को नजरअंदाज करने के आरोपों के चलते लिया गया. शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को तख़्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब की ओर से 'तनख़ैया' करार दिया गया है. यह फैसला धार्मिक नियमों की अनदेखी और तख़्त के बुलावे की अवहेलना करने के कारण लिया गया. तख़्त पटना साहिब ने सुखबीर बादल को एक अहम धार्मिक मुद्दे पर जवाब देने के लिए दो बार बुलाया था. उन्हें इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन वे दोनों ही बार पेश नहीं हुए.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने हस्तक्षेप करते हुए तख़्त से निवेदन किया कि सुखबीर बादल को थोड़ा और समय दिया जाए. तख़्त ने उनके आग्रह पर 20 दिन की अतिरिक्त मोहलत दी, लेकिन सुखबीर बादल इस अवधि में भी तख़्त के सामने हाज़िर नहीं हुए.

धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन

सुखबीर बादल की इस लगातार अनुपस्थिति को तख़्त पटना साहिब की धार्मिक समिति ने गंभीरता से लिया. समिति का मानना है कि यह कार्य सिख धार्मिक मर्यादाओं का उल्लंघन है और तख़्त की गरिमा को ठेस पहुंचाने जैसा है. इसी आधार पर समिति ने उन्हें 'तनख़ैया' घोषित किया है, जिसका मतलब है कि वह व्यक्ति जिसने सिख धार्मिक अनुशासन का उल्लंघन किया हो. सिख परंपरा में 'तनख़ैया' वह होता है जो धार्मिक नियमों का उल्लंघन करता है और जिसे माफी मांगकर समुदाय के सामने अपनी गलती स्वीकार करनी होती है.

सिख राजनीति में हलचल की संभावना

यह फैसला सिख राजनीति में एक बड़े विवाद को जन्म दे सकता है. सुखबीर सिंह बादल न केवल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हैं, बल्कि पंजाब की राजनीति और सिख समाज में उनका व्यापक प्रभाव है. ऐसे में उन्हें 'तनख़ैया' घोषित किया जाना एक असाधारण और गंभीर घटनाक्रम माना जा रहा है. धार्मिक मामलों में तख़्त साहिबों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, और इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक संस्थाएं अपने नियमों और मर्यादाओं पर किसी भी प्रकार की ढील नहीं देना चाहतीं.

अब आगे क्या होगा ?

अब देखना यह होगा कि सुखबीर बादल इस फैसले पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं. क्या वे अपनी गलती स्वीकार कर माफी माँगते हैं या इस फैसले को चुनौती देने का कोई रास्ता अपनाते हैं?सिख धर्म की परंपरा में जब कोई व्यक्ति 'तनख़ैया' घोषित होता है, तो उसे पंथक सभा के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती माननी होती है और धार्मिक दंड स्वीकार करना होता है. आगामी दिनों में यह मामला सिख समुदाय, धार्मिक संस्थाओं और पंजाब की राजनीति में व्यापक चर्चा का विषय बन सकता है.

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Amit Kumar

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