Sulakshana Pandit Death: जिस अधूरे प्यार के लिए जिंदगीभर अकेली रही Sulakshana Pandit, उसी की पुण्यथिति के दिन दुनिया को कहा अलविदा
Sulakshana Pandit Death: बॉलीवुड की दिग्गज सिंगर और एक्टर Sulakshana Pandit का 71 साल की उम्र में निधन हो गया हैं। उनके जाने की खबर ने पुरे इंडस्ट्री को गमगीन कर दिया हैं। 70 और 80 के दशक में अपनी सुरीली आवाज़ और अपनी अदाओं से लाखों दिलों पर राज करने वाली Sulakshana हमेशा के लिए खामोश हो गई। तो चलिए आपको बताते हैं आखिर क्यों अधूरी रह गई Sanjeev-Sulakshana की मोहब्बत
जिंदगीभर अकेली रही सुलक्षणा

Sulakshana Pandit Death: Sulakshana Pandit ने अपनी जिंदगी में कई सुपरहिट गाने दिए हैंम, जैसे की 'बंधन छोड़ दो', 'सुन्या-सुन्या', 'मैं हूं न तेरा दीवाना ', जैसे सुपरहिट गानों से लोगो के दिलों में आज भी राज करती हैं। लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ एक अधूरी मोहब्बत की कहानी बनकर रह गई। कहा जाता है कि वह मशहूर अभिनेता Sanjeev Kumar से बेइंतेहा प्यार करती थी।
बता दें, दोनों ने साथ में फिल्म 'उलझन' में काम किया थाऔर वहीं से उनकी नजदीकियां बढ़ने लगी थी, Sulakshana चाहती थी की उनकी Sanjeev के साथ शादी हो जाए, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था
एकतरफा प्यार और अधूरी कहानी

Sulakshana Pandit Death: रिपोर्ट के मुताबिक, Sanjeev Kumar उस दौर में Hema Malini को पसंद करते थे, जब उन्होंने हेमा के सामने अपने प्यार का इज़हार किया और शादी का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने ठुकरा दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपने टूटे दिल को संभालने की पूरी कोशिश की और उसी बीच उनकी ज़िन्दगी में Sulakshana Pandit ने दस्तक दी। जिसके बाद Sulakshana को Sanjeev से प्यार हो गया लेकिन, उन्होंने Sulakshana के प्यार को कभी नहीं अपनाया।
बता दें, Sulakshna ने एक इंटरव्यू में कहा था की “मैं उनसे बहुत प्यार करती थी, लेकिन वो मेरे नहीं बन सके।” संजीव की बिगड़ती सेहत और शराब की लत ने उन्हें जल्द ही मौत के करीब पहुंचा दिया।
Sanjeev की पुण्यतिथि पर Sulakshna ने दुनिया को कहा अलविदा

Sulakshana Pandit Death: Sanjeev Kumar का निधन 6 नवंबर 1985 को हुआ था। उस दिन Sulakshana Pandit बुरी तरह टूट गई थीं। उन्होंने उसी दिन फैसला कर लिया कि अब वह कभी शादी नहीं करेंगी। उन्होंने अपना वादा निभाया और ताउम्र अकेली रहीं। इत्तेफाक देखिए, सुलक्षणा पंडित का निधन भी 6 नवंबर को ही हुआ, यानी ठीक उसी दिन जब संजीव कुमार की पुण्यतिथि होती है। क्या इसे इत्तेफाक कहा जाए या किस्मत की लिखी हुई कहानी?

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