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सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के बाद Isha Foundation के खिलाफ मामला बंद किया

Isha Foundation : तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ साल में ईशा योग केंद्र से संबंधित कुछ लोगों के लापता होने की शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन जांच में पता चला है कि केंद्र से लापता हुए छह लोगों में से पांच मिल गए हैं।

10:28 AM Oct 19, 2024 IST | Abhishek Kumar

Isha Foundation : तमिलनाडु पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक रिपोर्ट में कहा है कि पिछले कुछ साल में ईशा योग केंद्र से संबंधित कुछ लोगों के लापता होने की शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन जांच में पता चला है कि केंद्र से लापता हुए छह लोगों में से पांच मिल गए हैं।

SC ने Isha Foundation के खिलाफ मामला बंद किया

तमिलनाडु पुलिस ने उम्मीद जताई है कि एक लापता व्यक्ति भी जल्द ही मिल जाएगा। पुलिस ने यह भी कहा कि केंद्र में रहने वाले लोग अपनी मर्जी से ऐसा कर रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट के बाद ईशा फाउंडेशन के खिलाफ मामला बंद कर दिया। यह मामला एक पिता की शिकायत पर आधारित था कि जिसने आरोप लगाया था कि उसकी दो बेटियों को सद्गुरु के कोयंबटूर आश्रम जोड़ने के लिए ब्रेनवॉश किया गया था और उन्हें अपने परिवार से संपर्क करने से रोका जा रहा था।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

मुख्य न्यायाधीश डी.वा.ई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि दोनों बेटियां गीता (27) और लता (24) वयस्क थीं और आश्रम में अपनी मर्जी से रही थीं। वे पहले ही हाईकोर्ट में पेश हो चुकी थीं, इसलिए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का उद्देश्य पूरा हो गया है और इस पर आगे कोई कार्रवाई जरूरी नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर Isha Foundation ने क्या कहा ?

ईशा फाउंडेशन(Isha Foundation ) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, हमें लापता व्यक्ति की सुरक्षित वापसी की उम्मीद है। हम लापता व्यक्ति का पता लगाने के प्रयासों में सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।बाल उत्पीड़न के आरोपों के बारे में फाउंडेशन ने स्पष्ट किया कि आरोपी डॉक्टर ईशा आउटरीच का कर्मचारी था, आश्रम का नहीं। ईशा फाउंडेशन के बयान के अनुसार, घटना आश्रम परिसर के बाहर हुई और हम जांच में अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सद्गुरु ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट को दुर्भावनापूर्ण इरादे से दायर की गई तुच्छ याचिकाओं पर अपना बहुमूल्य समय बर्बाद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि अनगिनत वास्तविक मामलों पर न्यायालय को ध्यान देने की आवश्यकता है। अब समय आ गया है कि हम लोकतंत्र के विशेषाधिकारों का अधिक जिम्मेदारी से उपयोग करें।

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