भाखड़ा जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित
भाखड़ा जल मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में भाखड़ा जल विवाद की सुनवाई पूरी हो गई है और फैसला सुरक्षित रखा गया है। पंजाब और हरियाणा के बीच इस विवाद पर कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। हरियाणा ने पंजाब के नए मुद्दों पर सवाल उठाए, जबकि पंजाब ने कानूनी आधार पर अपने तर्क प्रस्तुत किए।
भाखड़ा जल बंटवारे को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहा विवाद सुप्रीम कोर्ट में अहम मोड़ पर पहुंच गया है। लगातार तीसरे दिन सुनवाई के बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब देश की शीर्ष अदालत इस संवेदनशील जल विवाद पर जल्द निर्णय दे सकती है। इस दौरान हरियाणा सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि पंजाब द्वारा उठाए गए कई मुद्दे पहले कभी नहीं उठाए गए थे, जबकि पंजाब ने कानूनी पहलुओं के आधार पर अपने तर्क रखे। दूसरी ओर, हरियाणा को नया जल कोटा जारी कर दिया गया है और भाखड़ा बांध पर केंद्रीय सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की तैनाती को लेकर भी नया विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस तैनाती पर सवाल उठाते हुए केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका को कठघरे में खड़ा कर दिया है।
पंजाब-हरियाणा के तर्कों पर सुप्रीम कोर्ट में बहस पूरी
तीन दिन तक चली सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी-अपनी बात रखी। हरियाणा सरकार ने कहा कि पंजाब की याचिका में जो मुद्दे उठाए गए हैं, वे पहले कभी किसी मंच पर नहीं उठाए गए। वहीं पंजाब ने कुछ महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दों के साथ-साथ प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का आरोप भी लगाया। कोर्ट ने इन सभी दलीलों को सुनने के बाद अब फैसला सुरक्षित रख लिया है। माना जा रहा है कि जल बंटवारे के इस लंबे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से भविष्य की जल नीति को भी दिशा मिल सकती है।
पंजाब का आरोप- BBMB और हरियाणा ने दिए गलत तथ्य
पंजाब सरकार ने इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। इसमें पंजाब ने आरोप लगाया है कि जब हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही थी, तब केंद्र और हरियाणा सरकार ने जरूरी तथ्य छुपाए। पंजाब ने बताया कि 28 अप्रैल को बीबीएमबी की बैठक में सभी राज्यों के बीच कोई समाधान नहीं निकल सका। इसके बाद हरियाणा ने लगातार पत्राचार करते हुए केंद्र को मामले में हस्तक्षेप के लिए कहा और गृह सचिव की अध्यक्षता में बैठक भी हुई। पंजाब ने सवाल उठाया कि जब बिजली विभाग को मीटिंग की जिम्मेदारी नहीं होती, तो उसने बैठक क्यों की?
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सीआईएसएफ की तैनाती बना नया विवाद का कारण
डैम पर सीआईएसएफ की तैनाती अब नए विवाद का रूप ले चुकी है। 19 मई को केंद्र सरकार ने सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ की 296 कर्मचारियों वाली यूनिट को मंजूरी दी और इसके लिए बीबीएमबी से 8.59 करोड़ रुपये की मांग की गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसका विरोध करते हुए कहा कि जब पंजाब पुलिस सुरक्षा दे रही थी, तो नए खर्च की जरूरत क्यों? उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह फैसला पंजाब बीजेपी नेताओं की सहमति से लिया गया है? इस पर केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने सफाई दी कि सीआईएसएफ की जिम्मेदारी केवल सुरक्षा तक सीमित है, जल प्रबंधन में उनकी कोई भूमिका नहीं है।