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Supreme Court ने Kanwar Yatra Route पर दुकानों के लिए जारी किए सख्त निर्देश

01:58 PM Jul 22, 2025 IST | Aishwarya Raj
supreme court ने kanwar yatra route पर दुकानों के लिए जारी किए सख्त निर्देश
Supreme Court ने Kanwar Yatra Route पर दुकानों के लिए जारी किए सख्त निर्देश

Supreme Court ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया जिसमें उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के Kanwar Yatra Route पर स्थित सभी होटलों और भोजनालयों के मालिकों को कानूनी प्रावधानों के अनुसार अपने License और Registration Certificate सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने का आदेश दिया गया।

 

Hotel License Display अनिवार्य

Supreme Court की बेंच जिसमें जस्टिस एम एम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह शामिल थे, उन्होंने स्पष्ट किया कि इस समय Court केवल इतना निर्देश दे रहा है कि सभी होटल और भोजनालय अपने लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करें। Bench ने इस दौरान कहा कि यात्रा लगभग समाप्ति की ओर है, इसलिए इस स्तर पर मालिकों के नाम या QR Code प्रदर्शित करने संबंधी निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।

Bench ने कहा, "हमें बताया गया है कि आज यात्रा का अंतिम दिन है और किसी भी हालत में यह कुछ ही समय में समाप्त हो जाएगी। इसलिए हम इस चरण में केवल होटल मालिकों को वैधानिक नियमों के अनुसार लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्रदर्शित करने का निर्देश दे रहे हैं।"

QR Code Display पर Court की चुप्पी

Court ने QR Code या मालिकों के नाम प्रदर्शित करने पर कोई आदेश पारित नहीं किया। Court का मानना है कि चूंकि Kanwar Yatra का समय समाप्त हो रहा है, इसलिए ऐसे विवादास्पद आदेश जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया आदेश को चुनौती दी थी जिसमें कहा गया था कि Kanwar Yatra मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों और होटलों को QR Code प्रदर्शित करना अनिवार्य है, जिसमें मालिक की पहचान स्पष्ट होगी।

Discrimination और Privacy Rights का उल्लंघन

याचिका में तर्क दिया गया कि इस तरह के निर्देशों से धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा मिलता है और इससे Article 14 और Article 21 के तहत मिलने वाले Privacy Rights का उल्लंघन होता है। याचिकाकर्ताओं में प्रमुख रूप से अकादमिकian Apoorvanand Jha शामिल थे, जिन्होंने Court में दलील दी कि यह फैसला मालिकों की गोपनीयता के अधिकार के खिलाफ है।

याचिका में कहा गया, "QR Code Display का आदेश असंवैधानिक है क्योंकि यह पूर्व में Court द्वारा रोके गए भेदभावपूर्ण आदेशों के समान है। इसे कानूनी लाइसेंस आवश्यकता के नाम पर लागू किया जा रहा है, जबकि इसका असली उद्देश्य धार्मिक और जातिगत पहचान को उजागर करना है।"

पिछले साल के फैसले का हवाला

पिछले वर्ष Supreme Court ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों द्वारा जारी किए गए समान निर्देशों पर रोक लगा दी थी। उन आदेशों में Kanwar Yatra मार्ग पर स्थित भोजनालयों और होटलों को मालिकों और कर्मचारियों का विवरण सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था।

Court ने तब भी माना था कि इस तरह के आदेश समाज में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ा सकते हैं और नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।

Kanwar Yatra का महत्व

Kanwar Yatra हर साल सावन महीने में होती है जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा नदी से जल लाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। इस दौरान बहुत से श्रद्धालु मांस, प्याज और लहसुन जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते, जिस कारण राज्य सरकारें खाने-पीने की दुकानों के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी करती हैं।

लेकिन, इस बार की Yatra के दौरान जारी QR Code Display का आदेश Court में विवाद का विषय बना।

धार्मिक स्वतंत्रता बनाम राज्य का हस्तक्षेप

इस मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया कि राज्य सरकारें धार्मिक आयोजनों में किस सीमा तक हस्तक्षेप कर सकती हैं। Court ने संतुलित रुख अपनाते हुए मालिकों को केवल कानूनी दस्तावेज सार्वजनिक करने का आदेश दिया, लेकिन निजी पहचान उजागर करने से बचने की सलाह दी।

Supreme Court का यह फैसला धार्मिक आयोजनों के दौरान संवैधानिक अधिकारों की रक्षा का उदाहरण है। Kanwar Yatra Route पर Hotel Owners अब केवल License Display करेंगे जबकि QR Code Display जैसे विवादास्पद नियमों पर Court ने कोई निर्देश नहीं दिया। यह भविष्य के लिए भी एक संदेश है कि धार्मिक आयोजनों में किसी भी प्रकार का भेदभाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और नागरिकों के Privacy Rights की रक्षा होगी।

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Aishwarya Raj

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