कर्नल सोफिया कुरैशी पर टिप्पणी करने वाले विजय शाह को लगी सुप्रीम कोर्ट की फटकार
विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, संवेदनशील बयान पर चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से जिम्मेदार बयान देने की उम्मीद जताई। शाह के खिलाफ हाईकोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई है, और सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार किया है।
भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी करने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह को फटकार लगाई है। गुरुवार (15 मई, 2025) को नए मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने इस मामले में (CJI BR Gavai)कहा कि संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति ऐसा बयान कैसे दे सकता है? कोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में हस्तक्षेप करने से भी इनकार कर दिया है। CJI ने कहा कि हम जानते हैं कि सिर्फ मंत्री होने से कुछ नहीं होगा, लेकिन इस पद पर होने के नाते आपको जिम्मेदारी से बयान देना चाहिए।
एससी पहुंचे विजय शाह
आपको बता दें कि कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए विवादित बयान को लेकर हाईकोर्ट ने विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। जिसके बाद बुधवार को ही मंत्री शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शाह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। अब सुप्रीम कोर्ट में भी उन्हें फटकार लगी है।
मेरे बयान को गलत समझा गया विजय शाह ने एओआर शांतनु कृष्णा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मेरे बयान को गलत समझा गया जबकि हमने इसके लिए माफी मांगी है। मीडिया ने इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मंत्री हैं, ऐसे संवेदनशील समय में संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को संभलकर बोलना चाहिए। विजय शाह के वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने आदेश पारित करने से पहले हमारी बात नहीं सुनी।
मानपुर थाने में एफआईआर दर्ज
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर बुधवार को ही कर्नल कुरैशी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी का संज्ञान लिया और राज्य के पुलिस महानिदेशक को मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर शाह के खिलाफ मानपुर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने बताया कि एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 196 (1) (बी) (विभिन्न समुदायों के बीच आपसी सद्भाव पर प्रभाव डालने वाला कार्य, जो सार्वजनिक शांति भंग करता है या भंग होने की संभावना है) और 197 (1) (सी) (किसी समुदाय के सदस्य के बारे में बोलना, जो विभिन्न समुदायों के बीच आपसी सद्भाव पर प्रभाव डालता है, या जो उनके बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करता है या पैदा होने की संभावना है) के तहत दर्ज की गई थी।
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