Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट बोला-भगोड़ा आरोपी कोर्ट से किसी रियायत या माफी का हकदार नहीं

कोर्ट ने कहा कि संबंधित व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का उचित तरीके से पालन किए बिना और कानून के मुताबिक व्यवहार किये बिना अपने मौलिक अधिकारों के लिए कोई भी दावा नहीं कर सकता है।

03:29 PM May 25, 2022 IST | Desk Team

कोर्ट ने कहा कि संबंधित व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का उचित तरीके से पालन किए बिना और कानून के मुताबिक व्यवहार किये बिना अपने मौलिक अधिकारों के लिए कोई भी दावा नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी जांच एजेंसी की पहुंच से दूर ‘भगोड़ा’ घोषित व्यक्ति को कोर्ट से कोई रियायत या माफी नहीं मिलनी चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित फैसले को चुनौती देने वाले एक आरोपी की अपील खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की।  
Advertisement
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि जब कोई आरोपी फरार है और उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया है, तो उसे दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 438 (गिरफ्तारी की आशंका के आधार पर जमानत देने का निर्देश) का लाभ देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।

केंद्र सरकार ने तय की चीनी निर्यात की सीमा, सूरजमुखी के तेल का किया जाएगा आयात

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मौलिक अधिकारों के हनन वाले कड़े प्रावधान लगाये जाने से संबंधित आरोपी के मामले पर विचार करने से व्यक्ति के दोषपूर्ण आचरण का प्रभाव दूर नहीं हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि संबंधित व्यक्ति कानून की प्रक्रिया का उचित तरीके से पालन किए बिना और कानून के मुताबिक व्यवहार किये बिना अपने मौलिक अधिकारों के लिए कोई भी दावा नहीं कर सकता है।
 पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह स्पष्ट करने में कोई हिचक नहीं है कि कोई भी व्यक्ति, जिसे ‘भगोड़ा’ घोषित किया जाता है और जांच एजेंसी की पहुंच से वह दूर रहता है तथा इस तरह सीधे तौर पर कानून को चुनौती देता है, तो वह आमतौर पर किसी रियायत या माफी का हकदार नहीं होता है।’’
आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1992 की धारा 23 (2) के तहत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और नागपुर के पुलिस आयुक्त के एक आदेश को चुनौती दी थी। इसके तहत अलग-अलग अपराधों के लिए पांच अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ याचिकाकर्ता के खिलाफ भी मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई थी। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की सभी दलीलें निराधार हैं। इस प्रकार, हमें वर्तमान मामले में भगोड़ा घोषित करने के प्रभाव के संबंध में और कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है।’’
Advertisement
Next Article